साउथ अफ्रीका की आर्थिक मदद रोकेंगे ट्रम्प, कहा-
- वहां सरकार जबरदस्ती लोगों की जमीन कब्जा रही
- हम बर्दाश्त नहीं करेंगे
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को साउथ अफ्रीका को भविष्य में मिलने वाली सभी फंडिंग रोकने की घोषणा की। ट्रम्प ने आरोप लगाया कि साउथ अफ्रीका की सरकार जबरदस्ती लोगों की जमीन पर कब्जा कर रही है। इसके साथ ही वहां कुछ लोगों को परेशान कर रही है। रॉयटर्स के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने हाल ही में एक भूमि अधिग्रहण बिल पारित किया है। इस बिल में प्रावधान है कि सरकार सार्वजनिक हित में बिना किसी मुआवजे के लोगों की जमीन पर कब्जा कर सकती है।
ट्रम्प ने सोशल मीडिया ट्रुथ पर लिखा-
दक्षिण अफ्रीका सरकार लोगों की जमीन जब्त कर रही है और कुछ वर्गों के साथ बहुत बुरा व्यवहार कर रही है। अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेगा, हम कार्रवाई करेंगे। मैं मामले की जांच पूरी होने तक दक्षिण अफ्रीका को भविष्य में मिलने वाली सभी फंडिंग रोक दूंगा!
दक्षिण अफ्रीका में ही जन्मे हैं ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क
रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका ने 2023 में दक्षिण अफ्रीका को स्वास्थ्य कार्यक्रमों, आर्थिक विकास और सुरक्षा सहयोग के लिए लगभग 3.82 हजार करोड़ रुपए की मदद दी थी। ट्रम्प के इस फैसले के बाद अब दक्षिण अफ्रीका को मिलने वाली फंडिंग जल्द रुक सकती है और अमेरिका सरकार मानवाधिकार उल्लंघनों के मामले की जांच भी कर सकती है।
डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी और दक्षिण अफ्रीका में जन्मे अरबपति इलॉन मस्क ने चेतावनी दी है कि रामफोसा की इस पॉलिसी से वैसा ही असर हो सकता है जैसा 1980 के दशक में जिम्बाब्वे में भूमि जब्ती के बाद हुआ था। जिसे जिम्बाब्वे की आर्थिक बर्बादी का कारण माना जाता है।
दक्षिण अफ्रीका बोला- मनमाने तरीके से जमीन जब्त नहीं होगी
दूसरी तरफ दक्षिण अफ्रीकी सरकार का कहना है कि वो मनमाने तरीके से जमीन जब्त नहीं कर रही है, बल्कि इसके लिए पहले भूमि मालिकों से बात की जाएगी। दक्षिण अफ्रीका में भूमि सुधार और रंगभेद लंबे समय से विवादित मुद्दा बना हुआ है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामफोसा ने अमेरिका के साथ किसी भी तरह के तनाव की चिंता को खारिज कर दिया है। हालांकि दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने अभी तक फंडिंग रोकने के मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है। रॉयटर्स के मुताबिक ट्रम्प ने पहले अपने पहले कार्यकाल के दौरान दक्षिण अफ्रीका में हिंसक भूमि अधिग्रहण और गोरे किसानों की हत्याओं की जांच करने का वादा किया था।