शराब माफियाओं से बैंक गाारंटी की रिकवरी करने वार्ल इमानदार अधिकारी को हटाने की साजिश

भोपाल/जबलपुर, सबकी खबर।
विगत दिनों जबलपुर में शराब माफियाओं से बैंक गांरटी की रिकवरी करने वाले एक जबलपुर के सहायक आबकारी अधिकारी की ईमानदारी अब रास नहीं आ रही है। माफियाओं ने एकमत होकर उनके खिलाफ साजिशें रचना शुरू कर दी है। शनिवार को जबलपुर में अवैध शराब के खिलाफ कठोर और सख्त कारवाई करना एक अधिकारी को भारी पड़ गया है। यद्यपि इस अधिकारी को बचाने के प्रयास भी हो रहे हैं। लेकिन भोपाल से ले जबलपुर तक एक बड़ी साजिश रची गई है। दरअस मामला कुछ यूं है कि सुशील इंदु तिवारी ने 10 जुलाई को आबकारी अधिकारी संजीव दुबे को चिट्ठी लिखी थी और इन्होंने उसमें बरेला क्षेत्र है उसके आसपास के जो इलाके हैं वहां शराब का बेहद मतलब अवैध कारोबार चल रहा है। ऐसी शिकायत की थी। वहीं शिकायतें तिलहारी से भी आ रही थी। तिवारी नगर परिषद के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। और यह शिकायतें लगातार यह आबकारी विभाग को की जा रही थी कि इस पूरे इलाके में अवैध कारोबार चल रहा है। इसके बाद में वहां जो सहायक आबकारी आयुक्त हैं अह संजीव दुबे उन्होंने खुद मैदान में उतर के कारवाई शुरू की। वे खुद गोडान में पहुंचने लगे, दुकानों पर पहुंचने लगे, रजिस्टर मांगने लगे। आपका कितना स्टॉक है। यही रवैया ठेकेदारों को अखर रहा है। और एक वीडियो जिसमें मारपीट की वीडियो है। हो सकता है उन्होंने मारपीट की हो। ये तमाम जांच के विषय है कि वो वीडियो झुमाझटकी की है, मारपीट की है।क्या ये दुकानदार के जो एक सेल्समैन है उन्होंने गाली दी है? क्या हुआ है? यह जांच का विषय हो सकता है। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि इसी जबलपुर शहर में यही शराब के ठेकेदार शराब के ठेके तो ले लेते थे लेकिन बैंक गारंटी का पैसा खाते में नहीं आता था। आबकारी अफसर संजीव दुबे ने वहां ज्वाइन होते ही कलेक्टर से अनुमति लेकर सबसे पहला काम किया था के इन शराब ठेकेदारों के गले में हाथ डाल के 25 करोड़ की वसूली करके जमा करा दिया था और जब यह पैसे जमा हुए ज्यादा पुरानी बात नहीं है। संजीव दुबे ने यह जब यह 25 करोड़ दिए थे तो कलेक्टर जबलपुर ने बाकायदा प्रशंसा पत्र जारी किया था और मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव आबकारी को भी पत्र लिखा था कि यह काम होता है। हमारे यहां कई अधिकारी आए और चले गए। यह जो 25 करोड़ फंसे पड़े हुए थे यह आबकारी के जो नए अधिकारी हैं संजीव दुबे उन्होंने निकलवाए हैं। अब पूरे जबलपुर में जिस तरह का शराब का अवैध कारोबार चल रहा है इसमें सिंडिकेट काम करता है। इसमें भोपाल के कुछ अधिकारी काम करते हैं। कुछ अधिकारी जो रिटायर हो गए हैं, वह आज भी इंटरेस्ट लेते हैं।
मप्र के पूर्व मुख्य सचिव की तो खास रूचि थी आबकारी में
खबर तो सूत्रो से यह भी आ रही है कि मध्य प्रदेश के एक पूर्व मुख्य सचिव जो अपने कार्यकाल में सबसे ज्यादा वसूली आबकारी से किया करते थे। उनका एक खास बंदा था और उसके भाई का यह पूरा के पूरा व्यवसाय है जिस पर जबलपुर के अधिकारी ने चोट कर दी है और यह चोट इतनी गहरी लगी है कि चोट की है जबलपुर में छापा डले बरेला और तिलहरी में और दर्द हुआ है भोपाल में बैठे हुए लोगों को कि यह क्या हो गया अब हमको महीना कैसे मिलेगा ये तमाम सारी चीजें हैं और जिस तरह से संजीव दुबे को हटाने का एक पूरी साजिश रची जा रही है वह रहे जाए कुछ भी हो। लेकिन मैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को अपने स्तर पर इसकी जांच जरूरी करनी चाहिए। कोई अधिकारी सख्ती के कारण शिकार हो जाए। आबकारी विभाग में जिस तरह षड्यंत्र रचे जा रहे हैं गुटबाजी बन गई है जो कुछ हो रहा है वो निश्चित तौर पे ये षड्यंत्रों का एक बहुत बड़ा अड्डा बन गया है और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव रिटायरमेंट के बाद भी इंटरेस्ट ले रहे हैं। इस तरह की खबरें आ रही हैं। यह तो मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के पास के विभाग का मामला है। वह यदि वाकई निष्पक्ष जांच कर ले। तो एक बडा सच सामने आ सकता है।