भोपाल। 
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग द्वारा उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी में किस तरह बंदरबांट हो रही है, कैग रिपोर्ट ने इसकी पोल(Big fraud in MP) खोल दी है। लेखा परीक्षा ने एमएसएमई प्रोत्साहन योजनाओं के तहत 173 प्रकरणों में 19.11 करोड़ की सब्सिडी अपात्र उद्योगों को बांटना पाया है। यहां तक कि तीन बंद उद्योगों को भी 67 लाख की सब्सिडी(Big fraud in MP) जारी कर दी गई। एमएसएमई के नियमों के अनुसार श्रेणी के अनुसार मध्यप्रदेश में पूंजीगत सब्सिडी वाले उद्योगों को उत्पादन की तारीख से कम से कम तीन साल या पांच साल संचालित होना अनिवार्य है। जो उद्योग इस तय अवधि तक संचालित नहीं होते हैं वे बंद माने जाते हैं। इन उद्योगों से दंडात्मक ब्याज सहित पूंजीगत सब्सिडी वसूली जाएगी। ऐसे तीन मामले छिंदवाड़ा, खरगौन और शाजापुर के डीटीआइसी में सामने आए जहां बंद उद्योगों को भी सब्सिडी जारी करना पाया गया।
प्रदेश के 20 जिला व्यापार केंद्रों के 148 प्रकरणों पर सवाल
विधानसभा में पेश भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट(Big fraud in MP) के अनुसार, एमएसएमई प्रोत्साहन योजनाओं ने संयंत्र, मशीनरी, भवनों आदि पूंजीगत बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए उद्योगों को पूंजीगत सब्सिडी देने के लिए विशिष्ट शर्तों का उल्लेख किया था। 20 जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों (डीटीआइसी) में 148 प्रकरण इन शर्तों पर खरे नहीं उतरने वाले उद्योगों को भी 14.37 करोड़ की सब्सिडी दे दी। इनमें बड़वानी, बैतूल, भोपाल, बुरहानपुर, छिंडवाड़ा, देवास, ग्वालियर, इंदौर, झाबुआ, खरगौन, पीथमपुर, मालनपुर, मंडीदीप, मंडला, नीमच, रतलाम, रीवा, शाजापुर, टीकमगढ़ और उज्जैन शामिल हैं।