भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु बोले- फोन भारी लगता है

- लैपटॉप बिस्तर से गिरा दिया, सोचा हवा में तैरता रहेगा
- इसी महीने भारत लौट सकते हैं
नई दिल्ली। भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने शुक्रवार को एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने 20 दिनों के अंतरिक्ष मिशन और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 18 दिनों तक रहने के अनुभव साझा किए। शुक्ला ने पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के साथ फिर से तालमेल बिठाने का अपना अनुभव बताया। उन्होंने कहा- धरती पर लौटने के बाद मैंने फोटो लेने के लिए मोबाइल मांगा। जिस समय मैंने मोबाइल पकड़ा, मुझे लगा वह बहुत भारी है। एक और घटना के बारे में उन्होंने बताया- मैं अपने बिस्तर पर बैठा था। मैंने अपना लैपटॉप बंद किया और बिस्तर से किनारे खिसका दिया। मैंने सोचा वह हवा में तैरता रहेगा। शुक्र है, फर्श पर कालीन बिछी थी इसलिए कोई नुकसान नहीं हुआ। शुभांशु शुक्ला का एक्सियम-4 मिशन 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था और 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटा था। शुक्ला के अगस्त के दूसरे या तीसरे हफ्ते तक भारत लौटने की उम्मीद है।
शुभांशु बोले- भारत की दूसरी उड़ान का आगाज
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शुक्ला ने कहा- 41 साल बाद एक भारतीय अंतरिक्ष से लौटा। इस बार यह सिर्फ एक छलांग नहीं थी, यह भारत की दूसरी उड़ान की शुरुआत थी। इस बार हम तैयार हैं। सिर्फ उड़ने के लिए नहीं बल्कि नेतृत्व करने के लिए। उन्होंने कहा कि पूरी अंतरिक्ष यात्रा में सबसे यादगार पल वह था जब 28 जून को PM मोदी से बात की और उनके पीछे तिरंगा लहरा रहा था। PM मोदी ने मुझे हर उस चीज को रिकॉर्ड करने के लिए कहा था जो हम वहां कर रहे थे। मैंने ये काम बहुत अच्छे से किया है।
एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा थे शुभांशु शुक्ला
शुभांशु शुक्ला एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा थे। इसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए थे। यह एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन था। इसे अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम, NASA और स्पेसएक्स की साझेदारी से लॉन्च किया गया था। यह कंपनी अपने स्पेसक्राफ्ट में निजी अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजती है।शुभांशु को ISS में इंडियन एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स के 7 प्रयोग करने थे। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज के थे। उन्हें NASA के साथ 5 अन्य प्रयोग भी करने थे। इसमें लंबे अंतरिक्ष मिशन के लिए डेटा जुटाया जाना था। इस मिशन में किए गए प्रयोगों ने भारत के गगनयान मिशन को मजबूत किया है।
मिशन स्पेस स्टेशन बनाने की प्लानिंग का हिस्सा था
मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में रिसर्च करना और नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना था। ये मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए भी था। मिशन स्पेस प्लानिंग का हिस्सा था। इसमें भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (एक्सियम स्टेशन) बनाने की योजना है।