• मेयर, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर 
  • आरटीओ सहित जिला जज भी शामिल
  • 8 सितम्बर तक प्लान पेश करना होगा

इंदौर। इंदौर के दिनोंदिन बढ़ती समस्याओं को लेकर हाई कोर्ट में लगी जनहित याचिका की फाइनल सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसके लिए पांच सदस्यीय हाई पॉवर कमेटी गठित की है। इसमें मेयर पुष्यमित्र भार्गव, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर, प्रधान जिला न्यायाधीश एवं आरटीओ को शामिल किया गया है। राजलक्ष्मी फाउंडेशन द्वारा पांच वर्ष पूर्व दायर जनहित याचिका के मामले में 22 जुलाई को अंतिम सुनवाई हुई थी। इसमें सभी संबंधित पक्षों ने सुझाव दिए थे। इसमें जस्टिस विवेक रूसिया तथा न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की युगलपीठ ने फैसला सुनाते हुए उच्च स्तरीय समन्वय समिति का गठन कर 8 सितंबर तक विस्तृत प्लान बनाकर कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने समिति में नगर निगम कमिशनर को इस समिति का संयोजक नियुक्त किया है। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि समिति के किसी सदस्य की अनुपस्थिति की स्थिति में वे अपने अधीनस्थ अधिकारी, जिनका पदक्रम संबंधित विभाग में वरिष्ठ हो, को बैठक में भाग लेने हेतु अधिकृत कर सकते हैं। पिछली सुनवाई में न्यायमित्र के रूप में पेश हुए मेयर ने ट्रैफिक समस्याओं को हल करने के सुझाव दिए थे। मामले में अधिकारियों ने मौजूदा और प्रस्तावित पालन को कोर्ट के समक्ष रखा था। कोर्ट ने सुझावों को व्यावहारिक माना और इसे लागू करने के पूर्व उच्च स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया है।
पिछली सुनवाई में मेयर ने दिए थे सुझाव
मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया था कि 35 लाख की जनसंख्या और लगभग समान संख्या में वाहनों वाले शहर में नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है। उन्होंने ई-रिक्शा पॉलिसी बनाने, को-ऑर्डिनेशन कमेटी गठन, फुटपाथ से कब्जे हटाने और मोबाइल कोर्ट शुरू करने के सुझाव दिए थे। मेयर ने यह भी कहा था कि यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए कुछ कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है, जिन्हें सरकार और प्रशासन मिलकर जल्द लागू करेंगे।
बीमा के समय वसूलें चालान की लंबित राशि
मेयर ने ई-रिक्शा के संचालन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के अनुरूप स्पष्ट नियम बनाए जाने की आवश्यकता जताई थी। उन्होंने "ट्रैफिक मित्र" जैसे अभियानों को और तेजी से बढ़ाने की बात कही। टू-व्हीलर चालकों द्वारा नियम उल्लंघन पर जारी चालानों की वसूली के लिए उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया था कि हर साल वाहन बीमा के समय बकाया चालान वसूले जाएं।
स्थायी समिति गठित करने का सुझाव
मेयर ने बताया था कि न्यायालय ने सभी संबंधित विभागों (जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और नगर निगम) के बीच बेहतर समन्वय के लिए एक स्थायी समिति गठित किए जाने का सुझाव दिया था। इसी कड़ी में कोर्ट के निर्देश पर समिति गठित कर दी गई।
हॉस्टल, कॉलेज, कोचिंग की पार्किंग को लेकर बनें नियम श
शहर में नए ब्रिज, सड़कें और मेट्रो जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है, लेकिन ट्रैफिक इंजीनियरिंग के लिहाज से कॉलेज, कोचिंग और हॉस्टल क्षेत्रों की पार्किंग व्यवस्था, ऑन-स्ट्रीट और ऑफ-स्ट्रीट पार्किंग जैसे मुद्दों पर नए नियम बनाना जरूरी है।