पूर्व मुख्यसचिव इकबाल सिंह बैंस पर हो सकती FIR, जा सकते हैं जेल!
भोपाल, सबकी खबर।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। अब उन पर एफआईआर भी हो सकती है और वे जेल भी जा सकते हैं। दरअसल सोमवार को विधनसभा के पटल पर मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री प्रहलाद पटेल ने जो जानकारी दी है जो नोट शीटें रखी हैं जो दस्तावेज रखे हैं उसमें प्रथम दृष्ट्या मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस आरोपी बनते दिख रहे हैं। जिस तरह से इकबाल सिंह बैस ने अपने खासम खास ललित मोहन बेलवाल को आजीविका मिशन का सीईओ बनवाया। नियमों को धता बता कर मंत्री के और तत्कालीन एसीएस के आदेशों को धता बता कर दरकिनार कर दिया गया और ललित मोहन बेलवाल ने भी तीन चार साल में सीईओ रहते हुए लगभग ₹3500 करोड़ का खेल कर दिया। अब यह मामला बिल्कुल पीक पर आ गया है ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है। और अब ललित मोहन बेलवाल को पालने वाले बढ़ाने वाले नियुक्त करने वाले तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के खिलाफ भी एफआईआर हो सकती है। उन पर उनके जेल जाने का रास्ता भी साफ हो सकता है। दरअसल कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने एक सवाल पूछा था और उन्होंने कहा था कि ललित मोहन बेलवाल की जो नियुक्ति हुई थी एक पहली बार तो वे आईएफएस ऑफिसर थे ललित मोहन बेलवाल और वे प्रतिनियुक्ति पर आए थे आजीविका मिशन में और उसके बाद जब रिटायर हो गए तो जुलाई 2020 में इन्हें पुनः सीईओ बनाने के लिए जो किया गया जो नोट शीट बनाई गई वो सारे दस्तावेज विधानसभा के पटल पर आ गए हैं। अब इस पूरे खेल में कोई कोर्ट जाता हैं तो इसमे पूर्व सीएस बेंस भी आरोपी बनाए जा सकते है। क्योंकि यह नोट शीटें यही कह रही हैं कि सारा खेल सीधा सीधा इकबला सिंह बैंस ने ही खेला हैं बेलवाल तो एक पियादा था मास्टरमाइंड तो इकबाल ही था।
बगैर सीएम को विश्वास में लिए जारी कर दिए थे आदेश
जब एसीएस कह रहे हैं मंत्री कह रहे हैं विभाग के कि मुख्यमंत्री को फाइल भेजिए। लेकिन मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को फाइल भेजने तैयार नहीं। उन्होंने लिख दिया मेरी चर्चा हो गई है। आप आदेश जारी करें। इसमें सोचने वाली और समझने वाली बात यह है कि एक सीएस स्तर का अधिकारी एक निचले स्तर के आधिकारी को फायदा पहुंचाने के लिए कीतना नीचे गिर सकता है। करप्शन की पराकाष्ठा है ये तो।
मप्र कैडर के आईएफएस हैं बेलवाल
ललित मोहन बेलवाल वैसे मूलत मध्य प्रदेश कैडर के आईएफएस ऑफिसर हैं। यानी इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के ऑफिसर हैं। लेकिन ये जो इकबाल सिंह बैंसे हैं वे उन्हें डेपुटेशन पर लेके आए थे आजीविका मिशन में और उसी समय आजीविका मिशन में एक और फर्जी नियुक्ति हुई थी और उनका नाम है सुषमा रानी शुक्ला। बिल्कुल फर्जी दस्तावेज, फर्जी कागजात और ये सुषमा रानी शुक्ला और बेलवाल ने मिलकर जो कुछ किया है आजीविका मिशन में यदि उसकी जांच होगी तो इनकी शेष जिंदगी जेल में कटेगी। चाहे वो सुषमा रानी हो, इकबाल सिंह बैंस हो, चाहे ललित बेलवाल हो। यद्यपि अभी बेलवाल के खिलाफ जो एफआईआर हुई है, वो फर्जी नियुक्तियों को लेकर हुई है। ये जो आर्थिक अनिवताएं हैं, ये जो भ्रष्टाचार है, इस मामले की तो अभी जांच शुरू नहीं हुई है। अभी तो यह पता चला है कि इकबाल सिंह बैस ने मुख्य सचिव के पद का पूरा दुरुपयोग किया।
मप्र के इतिहास के सबसे करप्ट सीएस बैंस
एक मुख्य सचिव कितना दुरुपयोग पद का कर सकता है। एक मुख्यमंत्री के विश्वास को जिस तरह दुरुपयोग किया इकबाल सिंह बैंस ने उसकी यह मिसाल है यह घोटाला। दरअसल एक मामला यह भी है कि ललित मोहन बेलवाल रिटायर हो गए थे और रिटायरमेंट के बाद में वे घर बैठ गए थे। 3 साल प्रतिनियुक्ति में रहे। लेकिन जुलाई 2020 में ललित मोहन बेलवाल जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने और इकबाल सिंह मुख्य सचिव बने तो बेलवाल को लाना तय हो गया।
बेलबाल को पहले ओएसडी बनाया गया क्योंकि जो सीईओ हैं आजीविका मिशन के राष्ट्रीय आजीविका मिशन के जो सीईओ हैं उसमें एक सीनियर आईएएस का पद आरक्षित है। वहां केवल आईएएस ही पदस्थ हो सकते हैं और वहां शिल्पा गुप्ता ऑलरेडी काम कर रही थी। आप सोचिए ललित मोहन बेलवाल जो एक रिटायर्ड अधिकारी है उसे संविदा नियुक्ति पे ओएसडी बनाया गया और ओएसडी बनाने के बाद उन्हें सीईओ बनाने के लिए इकबाल सिंह ने तत्काल नोटशीट चला दी और जब ये नोट शीट चली कि इन्हें प्रभार दे दिया जाए तो उस समय पंचायत के एसीएस थे मनोज श्रीवास्तव जो आजकल मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयुक्त हैं उन्होंने साफ-साफ लिखा है यह कैडर पोस्ट है। इसमें वित्तीय अधिकार का मामला है। वित्त विभाग इसमें कह चुका है कि संविदा नियुक्ति के लिए पहली बार तो विज्ञप्ति जारी करिए। उसके बाद में उसके वित्तीय अनुमतियां लीजिए आप। यह तमाम सारी चीजें मनोज श्रीवास्तव ने उस समय बताई थी। मनोज श्रीवास्तव ने उस समय के तत्कालीन पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री महेंद्र सिसोदिया जी को भेजी थी। उन्होंने जो नोट नोट लगाया है उसमें उन्होंने लिखा था मैंने विशेषज्ञों से बात कर ली है। यहां संविदा नियुक्ति का अधिकारी पदस्थ नहीं रह सकता। उनका कहना है कि यहां पर एक आईएएस कैडर का है। इसलिए आईएएस कैडर ही होना चाहिए। मैं एसीएस के प्रस्ताव से सहमत हूं। महेंद्र सिसोदिया ने लिखा है और इन्होंने यह भी कहा है कि इस फाइल को मुख्यमंत्री के समन्वय में भेजा जाए और यह फाइल उन्होंने मुख्य सचिव को भेज दी। मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री के समन्वय में नहीं भेजी है और मुख्य सचिव इकबाल सिंह ने इस पर लिख दिया कि कई और विभाग में है जहां संविदा नियुक्ति पे पूरे अधिकार दिए जाते हैं। आप तो बेलवाल को नियुक्त कर दीजिए बावजूद इसके जब बैंस को बोला गया कि आप मुख्यमंत्री से बात कर लीजिए तो इकबाल सिंह ने खुद ही साइन कर दिए। मुख्यमंत्री को फाइल भेजी नहीं गई और उन्होंने लिख दिया मुख्यमंत्री से चर्चा हो गई। आदेश जारी करिए। सोचने वाली बात यह है कि इकबाल सिंह किस तरह से काम कर रहे थे। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज के सामने ये नोट शीट जाएगी तो इकबाल सिंह को कोई भी मौका नहीं मिलेगा। यदि यह मामला हाई कोर्ट और कोर्ट पहुंचा तो इकबाल सिंह बैंस को हथकडी लगना तय माना जा रहा है। क्योंकि इसमें सीधा-सीधा गड़बड़ी दिखाई दे रही है। इसके बाद भी इकबाल सिंह जी के यह कहने के बाद कि हमारी तो मुख्य सचिव से पर्चा हो गई है। अब तो आदेश जारी करिए।
इकबाल सिंह बैंस का पाप का घड़ा भर गया है
इकबाल सिंह बहस के पाप का घड़ा भर गया है कि बैंस का एक और राजदार कथित तौर से पार्टनर राजेश शर्मा विदेश भाग गया है परिवार के साथ उसे लग रहा है कि ईओडब्ल्यू कभी भी उठा लेगी गिरफ्तार कर लेगी जेल भेज देगी। राजेश शर्मा के और बैंस के बारे में बताते चलें कि राजेश शर्मा और राधिका शर्मा यह दोनों दंपत्ति इकबाल सिंह के सबसे राजदार रहे हैं। लोग यह कहते हैं कि उनकी संपत्ति को उनकी प्रॉपर्टी का देखरेख करते थे। हालांकि इसके कोई पुख्ता दस्तावेज तो नहीं हैं लेकिन सूत्रों की माने तो राजेश शर्मा इकबाल सिंह का इतना राजदार था कि जब वो चीफ सेक्रेटरी थे। एसीएस उनके कमरे में नहीं आ सकते थे। लेकिन राजेश शर्मा उनकी कुंडी खोल के सीधे अंदर जाते थे। यह सबने देखा है और राजेश शर्मा के ऊपर पिछले दिनों ईओडब्ल्यू ने एक एफआईआर दर्ज की है। एक किसान के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में। उसके बाद राजेश शर्मा हाईकोर्ट गए अग्रिम जमानत के लिए। यद्यपि उन्हें अग्रिम जमानत तो नहीं मिली है। लेकिन कोर्ट ने कहा है कि इनसे पूछताछ करने से पहले गिरफ्तार ना किया जाए। ऐसा कुछ आदेश जरूर मिला हुआ है। लेकिन राजेश शर्मा को पता है कि एक नहीं कई पाप उन्होंने किए हैं। और यही कारण है कि राजेश शर्मा सोमालिया भाग गया है। विदेश में है इस समय और कुछ दिन बाद तो उनके बीवी बच्चे भी वहीं पहुंच गए हैं। सोचने वाली बात तो यह है कि हाई कोर्ट ने अभी उनकी गिरफतारी पर रोक लगाई हुई है। लेकिन डरे हुए इतने उन्हें मालूम है के इस केस में नहीं दूसरी एफआईआर होगी और मुझे उठा लिया जाएगा। क्योंकि राजेश शर्मा राजदार हैं इकबाल सिंह के जिस दिन पुलिस के ईओडब्ल्यू के और लोकायुक्त के हाथ में राजेश शर्मा आएंगे उस दिन इकबाल सिंह का पूरा काला चिठृा सामने आएगा। इसलिए इनको विदेश भगाने में भी कहीं ना कहीं बड़े साहब की मतलब आप समझ लो बड़े साहब की कहीं ना कहीं भूमिका हो सकती है। अब इकबाल सिंह के पाप का घडा भर गया है। क्योंकि जिस तरह से मध्य प्रदेश वो चला रहे थे। जिस दादागिरी से मध्य प्रदेश चला रहे थे। जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस समय उनके उनके विश्वास का दुरुपयोग वो कर रहे थे। जिस तरह उन्होंने नए आईएएस अधिकारियों के साथ अत्याचार किया था। जिस तरह से उनकी सीआर बिगाड़ी थी। अपने बेटे को कलेक्टर बनाते थे। दूसरे के बेटे को लूप लाइन भेजते थे। अब बस मोहन यादव जी की स्वीकृति का इंतजार है। मंत्रालय में अभी भी कुछ ऐसे अधिकारी बैठे हैं जो इकबाल सिंह के खिलाफ कारवाई करने से रोकने की
कोशिश करेंगे। पंचायत विभाग के स्वीकृति के बगैर एफआईआर नहीं हो पाएगी और यह स्वीकृति देने में कई अधिकारी अड़ंगा लगाएंगे लेकिन यदि मुख्यमंत्री और प्रहलाद पटेल ने तय कर लिया जो अभी इस समय पंचायत मंत्री हैं तो फिर इकबाल सिंह पे एफआईआर कोई नहीं रोक पाएगा। कोई नहीं रोक पाएगा।
जांच हुई तो गिरफतार भी हो सकते हैं बैंस!
मध्य प्रदेश के इतिहास में कुछ नया घटित होने वाला है। मध्य प्रदेश में बहुत बड़ा कुछ नया होने वाला है और यदि हो गया तो मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार कोई आई एक रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी पर आपराधिक प्रकरण कायम होगा कोई बड़ी बात नहीं कि गिरफतारी भी हो जाए कुछ भी हो सकता है क्योंकि जिस तरह से सरकार चलाई गई है जिस तरह से पूरे आजीविका मिशन का भंडा भट्टा बैठाया गया है जिस तरह से भ्रष्टाचार किया गया है कार्रवाई होना तय मानी जा रही है।