भाजपा जिला कार्यसमितियों के गठन में खींचतान

-
नेताओं की भोपाल दौड़ तेज
भोपाल। भाजपा जिलों में नई कार्यकारिणी के गठन को लेकर अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है। पुराने, नए और दूसरे दलों से आए नेताओं को एडजस्ट करने की चुनौती जिलाध्यक्षों के सामने है। हर कोई संगठन में अपनी जगह पक्की करने के लिए सक्रिय है। प्रदेश भाजपा में हेमंत खंडेलवाल की प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद अब 62 जिलों में नई कार्यकारिणियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिलाध्यक्षों के सामने टीम चयन को लेकर बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। पुराने कार्यकर्ताओं, नए शामिल हुए नेताओं और दूसरे दलों से आए नेताओं को शामिल करने की कोशिश में संतुलन साधना जरूरी हो गया है। जिला स्तर की टीमों में पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ-साथ नए और चुनाव से पहले भाजपा में आए नेताओं को भी जगह देने की मांग उठ रही है। पार्टी के पद जैसे उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री सहित मोर्चा व प्रकोष्ठों में शामिल होने के लिए कई नेता पैरवी में लगे हैं। वहीं, भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि योग्यतानुसार सभी कार्यकर्ताओं को उचित जिम्मेदारी दी जाएगी। सभी से राय लेकर टीम बनाई जाएगी और मन बड़ा रखकर समन्वय के साथ कार्य करेंगे।
जातीय संतुलन भी बड़ी जिम्मेदारी
62 जिलाध्यक्षों में से 30 सवर्ण वर्ग से हैं जिनमें 16 ब्राह्मण, 7 राजपूत और बाकी वैश्य समाज से हैं। 25 अन्य पिछड़ा वर्ग और 7 अनुसूचित जाति-जनजाति से अध्यक्ष चुने गए हैं। साथ ही, 7 जिलों में महिला नेत्रियों को जिलाध्यक्ष बनाया गया है।
दूसरे दलों से आए नेताओं की भी दावेदारी
पिछले दो वर्षों में लगभग ढाई लाख कार्यकर्ता विभिन्न दलों से भाजपा में शामिल हुए हैं। इनमें से अधिकांश कांग्रेस पृष्ठभूमि से हैं। इन नेताओं में सरपंच से लेकर पूर्व विधायक व मंत्री तक शामिल हैं। वे अब जिला संगठन में अपनी भूमिका की अपेक्षा कर रहे हैं।