रसूखदार परिवार का शैतान वारिस... ताउम्र जेल में रहेगा देवेगौडा परिवार का विकृत चेहरा

भोपाल, सबकी खबर।
50 से अधिक महिलाएं, ढाई हजार से अधिक वीडियो क्लिपिंग और इनके साथ निरंतर ज्यादती। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है। यह एक रुसूखदार बिगड़ैल परिवार के वारिस के दुष्कर्म की दास्तान है। जिसे अदालत ने दोषी करार दे दिया है। अब उसे सजा का इंतजार है। यह मामला है कर्नाटक के सबसे रुसूखदार परिवार के वारिस प्रज्वल रेवन्ना का। प्रज्वल रेवन्ना देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगोड़ा का पोता है। जिसने निरंतर अपने साथ काम करने वाली महिलाओं खासतौर से घर में काम करने वाली महिलाओं को शिकार बनाया। उसने ना उनकी उम्र का लिहाज किया और ना अन्य किसी बात का। उसने अपने ओहदे को ताक पर रख दिया। उसके खिलाफ सबसे पहली जिस महिला ने मामला दर्ज करवाया वह 48 बरस की है। और जब यह घटना हुई तो प्रज्वल 31—32 बरस का रहा होगा। उसने उसके साथ दुष्कर्म किया और उसके वीडियो भी बनाए। उसे धमकाया अगर इस बात को उसने किसी से कहा तो वो उसे वायरल कर देगा। एक बार नहीं उससे अधिक बार उसने उसके साथ ज्यादती की। जब यह मामला खुला और यह मामला भी बड़े नाटकीय अंदाज में खुला। पेन ड्राइव मिली और तकरीबन 3000 वीडियो क्लिपिंग मिली जिसमें 50 महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हुई। दुष्कर्म का शिकार हुई। यह अप्रैल माह का मामला है और जब यह वीडियो क्लिपिंग सामने आनी शुरू हुई उस वक्त देश में लोकसभा का चुनाव चल रहे थे। प्रज्वल एनडीए के सहयोगी दल जेडीएस का प्रत्याशी था। प्रज्वल उस समय सांसद था। 26 अप्रैल को उसने बाकायदा वोट डाला। अपने एक पारिवारिक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ और उसके बाद 27 अप्रैल को वह देश से जर्मनी भाग गया। इसके बाद 48 वर्षीय पीड़ित महिला की शिकायत पर उस पर मामला दर्ज हुआ दुष्कर्म का और पुलिस ने उसे देश लौटने का दबाव बनाना शुरू किया। जो भी कानूनी प्रक्रियाएं हैं पुलिस ने उसको अपनाना शुरू किया। उसके पासपोर्ट को निरस्त करने का भी पुलिस ने सिफारिश की। उसके बाद 31 मई को प्रज्वल वापस लौटा और बेंगलुरु एयरपोर्ट से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर जो मामले दर्ज हुए थे उस पर सुनवाई हुई। 38 बार सुनवाई हुई। अंततः अब कोर्ट उस पर अंतिम मुहर कभी भी लगा सकती है। सोचने वाली बात यह है कि एक रसूखदार परिवार का वारिस सांसद सबसे कम उम्र के तीन सांसदों में वह शामिल था। 2019 में वह सांसद बना था। कर्नाटक की हासन लोकसभा क्षेत्र से वो सांसद बना था यह सीट किसी और की नहीं उसके दादा एचडी देवेगौडा ने उसके लिए खाली की थी। दादा के वारिस के तौर पर वह सामने आया। लेकिन उसका यह जो दुष्कर्म हैं जो उसका घिनौना चेहरा है पूरी दुनिया ने देखा सियासत भी इस पर शर्मसार हुई और देश के रुसूखदार
परिवारों में से एक एचडी देवेगौड़ा का परिवार इसमें बदनाम हुआ और उन्हें काफी राजनीतिक क्षति भी हुई। आप यह देखिए कि प्रज्वल यह पोल तो बाद में खुली लेकिन जनता ने उसे खारिज कर दिया। आप एक बार अपने पुरखों, अपने बुजुर्गों, अपने परिवार के रुसूख का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन बार-बार नहीं उठा सकते। यदि आप लापरवाह हैं, बेगैरत हैं तो आपको उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी और हासन से प्रज्वल हार गया चुनाव कांग्रेस के कैंडिडेट से। पूर्व सांसद है लेकिन अब लगता नहीं है कि आने वाले वक्त में उसको कभी यह मौका मिलेगा। इसलिए कि यह दुष्कर्म का मामला है, धमकाने का मामला है और जाहिर है सजा लंबी होगी और जिसकी माफी भी नहीं है। अभी तो यह एक मामला है। इस तरह के चार मामले दर्ज हुए। एक 60 साल की महिला ने भी उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। आप अंदाज लगा सकते हैं कि यह किस तरह का विकृत मानसिकता का इंसान है। इंसान नहीं यह हैवान है। शैतान है। किस तरह की विकृति है इसमें। और कैसी हवस है इसमें कि इसने ना अपनी इज्जत का, ना अपने पद का, ना अपने परिवार के रुसूख का किसी का लिहाज नहीं किया। और कम से कम इस बात का भी लिहाज नहीं किया कि जो उसके शरण में है उसकी रक्षा करना चाहिए ना कि उसका शोषण। ये उन परिवारों के लिए भी सबक है जो इस तरह के बेगैरत निकम्मे मरमर्जी करने वाले बिगड़ैल लोगों को अपने वारिस बनाते हैं। और कम से कम सियासत में तो ऐसे लोगों को कतई नहीं लाना चाहिए। इसलिए कि परिवार इसमें शामिल नहीं है। यह कहा नहीं जा सकता। इसलिए कि उनके जो पिता हैं, वह भी राजनेता हैं। उन पर भी मामला दर्ज कराया था इस पीड़ित महिला के 20 वर्षीय पुत्र ने कि उसकी मां का अपहरण कर लिया है इन लोगों ने। दबाव बना रहे हैं कि वह शिकायत ना करें। और जो पहली एफआईआर इस मामले में दर्ज हुई थी वो प्रज्वल रेवन्ना के पिता एसडी रेवन्ना मुख्य आरोपी हैं। उसमें तो यह ऐसे रुसूखदार परिवार की जिसकी देश में बड़ी प्रतिष्ठा है। उसको उनके ही वारिस ने धूमिल कर दिया। घर में आग लगा दी घर के चिराग ने। तो यह सबक है उन्हें जो कानून को खिलौना समझते हैं। अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल करते हैं। न्याय ने बता दिया न्यायालय ने कि किस तरह से ऐसे लोगों को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की जो का जो न्यायालय है उसके जो विशेष न्यायाधीश हैं। कर्नाटक के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष जानन ने अपने फैसले में प्रज्वल को दोषी ठहराया है और अभी तो और मामलों की सुनवाई बाकी है। वो भी सुनवाई निरंतर जारी है। प्रज्वल ने इस पूरे मामले में अपने पार्टी के कार्यकर्ता को भी नहीं छोड़ा। उसने भी प्रज्वल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है कोर्ट ने भी अपना फैसला सुनाते हुए प्रज्वल को उम्रकैद की सजा सुनाई है।