जबलपुर/भोपाल। 
आर्थिक तंगी के चलते जमानत मिलने के बावजूद साढ़े पांच साल से जेल में बंद एक महिला को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए.के. सिंह की युगलपीठ ने इस मामले को दुर्लभतम में से दुर्लभ करार देते हुए महिला को 10,000 के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है। जानकारी के अनुसार, जबलपुर जिला न्यायालय ने वर्ष 2014 में महिला को अपने पति सुरेंद्र उपाध्याय की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने 8 जनवरी 2020 को सुनवाई के दौरान महिला की सजा को निलंबित करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित किया था। लेकिन जमानत बांड और जुर्माने की राशि जमा न कर पाने के कारण महिला रिहा नहीं हो सकी और वह लगातार जेल में ही बंद रही। हाल ही में महिला की ओर से हाईकोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया कि वह अत्यंत गरीब है और जमानत बांड भरने की स्थिति में नहीं है। हालांकि, जुर्माने की राशि विधिक सहायता के माध्यम से भर दी गई है। ऐसे में उसे निजी मुचलके पर रिहा किया जाए। युगलपीठ ने मामले की गंभीरता और महिला की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए उसे राहत प्रदान की। अदालत ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम में से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है, क्योंकि सजा के निलंबन के बावजूद अपीलकर्ता महिला साढ़े पांच वर्षों से जेल में निरुद्ध रही। अंततः अदालत ने महिला को 10,000 के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश देते हुए आवेदन का निराकरण कर दिया।