• मजदूर से बना था अधिकारी

इंदौर । बेलदार से सहायक राजस्व अधिकारी बने राजेश परमार के घर ईओडब्ल्यू ने छापा मारकर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया। कार्रवाई में बंगला, फ्लैट, प्लॉट, सोना-चांदी और कैश मिला। इंदौर में बेलदार से सहायक राजस्व अधिकारी बने राजेश परमार के घर पर शुक्रवार (28 फरवरी) को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने छापा मारा। इस छापेमारी में ईओडब्ल्यू को 10 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति मिली है, जिसमें प्रॉपर्टी, नकद राशि, बैंक खाते, लॉकर और सोने-चांदी के जेवर शामिल हैं। आज (1 मार्च) को भी ईओडब्ल्यू की कार्रवाई जारी है। अधिकारियों को उम्मीद है कि जांच में और भी संपत्तियों और दस्तावेजों का खुलासा होगा। ईओडब्ल्यू एसपी रामेश्वर यादव ने बताया कि आज राजेश परमार के बैंक लॉकर की जांच की जाएगी, जिससे उनकी कुल संपत्ति का सही आकलन किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो उनके पास महू में भी जमीन है, जिसके दस्तावेज इस लॉकर में मिलने की संभावना है। अब तक की जांच में परमार के पास एक बंगला, चार फ्लैट और दो प्लॉट के दस्तावेज मिले हैं।   

राजस्व को नुकसान पहुंचाने के आरोप में निलंबित  
राजेश परमार नगर निगम के जोन-16 में सहायक राजस्व अधिकारी के पद पर थे। उन पर संपत्ति कर की बकाया राशि को जानबूझकर कम दिखाकर नगर निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप है। वे टैक्सपेयर्स से आंशिक भुगतान लेकर बकाया खाता शून्य कर देते थे और इसके बदले में मोटी रकम वसूलते थे। इन आरोपों के चलते निगम कमिश्नर शिवम वर्मा ने हाल ही में उन्हें निलंबित कर दिया था। नौकरी के दौरान परमार ने अपने और अपने परिवार के नाम पर कई घर और प्लॉट खरीदे। इस मामले की शिकायतें लंबे समय से की जा रही थीं।  

सैलरी से 30 गुना ज्यादा संपत्ति
ईओडब्ल्यू डीएसपी पवन सिंघल के अनुसार, राजेश परमार 28 साल पहले नगर निगम में बेलदार के पद पर भर्ती हुए थे। बाद में प्रमोशन पाकर वे सहायक राजस्व अधिकारी बने। उनके खिलाफ टैक्स हेराफेरी की शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर जांच की गई। परमार का अब तक का कुल वेतन 40 लाख रुपये आंका गया है, लेकिन उनके पास इससे 30 गुना अधिक यानी 10 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति मिली है। अधिकारियों के अनुसार, उनके बैंक लॉकर खुलने के बाद यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।  

पांच बार विदेश यात्रा और फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर का काम भी किया  
ईओडब्ल्यू की छापेमारी में बड़ी मात्रा में सोना, चांदी और नकद रकम बरामद हुई है, जिसका वजन और मूल्यांकन किया जा रहा है। इसके अलावा, बैंक खातों और अन्य वित्तीय दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि परमार ने सरकारी नौकरी में रहते हुए पांच बार विदेश यात्रा की है। इसके बारे में भी शिकायत दर्ज की गई थी। दिलचस्प बात यह है कि वे पहले फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर के तौर पर भी काम कर चुके हैं।  

अक्टूबर 2024 में दर्ज हुई थी भ्रष्टाचार की शिकायत  
वार्ड-39 की कांग्रेस पार्षद रुबीना खान ने 20 अक्टूबर 2024 को नगर निगम आयुक्त से परमार के खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि परमार केवल दरोगा के पद के योग्य हैं, लेकिन वे प्रभारी सहायक राजस्व अधिकारी (एआरओ) का पद संभाल रहे हैं। रुबीना ने यह भी आरोप लगाया कि जोन-19 में बेटरमेंट शुल्क की कम वसूली कर परमार भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने बिना अनुमति विदेश यात्राएं की हैं। इस शिकायत के समर्थन में महापौर, आयुक्त, राजस्व समिति प्रभारी सहित अन्य अधिकारियों को सबूत भी सौंपे गए थे।  

नगर निगम के अफसर पहले भी ईओडब्ल्यू के निशाने पर रहे  
यह पहली बार नहीं है जब नगर निगम का कोई अधिकारी ईओडब्ल्यू के रडार पर आया हो। यह तीसरा मामला है जब किसी नगर निगम कर्मचारी के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई हुई है। इससे पहले, एरोड्रम इलाके में नगर निगम के अधिकारी राजकुमार के खिलाफ भी छापेमारी हुई थी, जिसमें करोड़ों रुपये की काली कमाई का खुलासा हुआ था। इसी तरह, नगर निगम के इंजीनियर अभय राठौर के खिलाफ भी ईओडब्ल्यू की कार्रवाई हुई थी, जिसमें उनके पास बड़ी मात्रा में अवैध संपत्ति मिली थी। अभय राठौर ड्रेनेज घोटाले में भी शामिल थे और उनके खिलाफ एमजी रोड थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। यूपी से गिरफ्तारी के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था, जहां से अभी तक उन्हें जमानत नहीं मिली है। ईओडब्ल्यू की इस कार्रवाई के बाद राजेश परमार के भ्रष्टाचार से जुड़े और भी खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है। जांच पूरी होने के बाद ही उनकी कुल संपत्ति और घोटाले का असली आंकड़ा सामने आ पाएगा।