इस वर्ष के अंत तक हो सकते हैं बीना में उपचुनाव, क्या निर्मला सप्रे को भाजपा देगी टिकट?
भोपाल / बीना
मध्य प्रदेश में एक और विधानसभा उपचुनाव की आहट सुनाई देने लगी है और यह उपचुनाव हो सकते हैं सागर जिले की बीना विधानसभा सीट पर। आप और हम जानते हैं कि बीना विधानसभा सीट पर पिछले आम चुनाव में कांग्रेस की निर्मला सप्रे चुनाव जीती थी। लेकिन निर्मला सप्रे ज्यादा दिन कांग्रेस से विधायक नहीं रही और वे मई 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी में आ गई। बेशक वे भारतीय जनता पार्टी में आ गई हैं। बेशक वे भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में दिखाई देती हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ मंच साझा करती हैं। लेकिन सार्वजनिक रूप से वे घोषणा नहीं करती कि वे बीजेपी की हैं। क्योंकि मध्य प्रदेश सहित देश में इस समय दलबदल कानून लागू है। और यदि वे कहेंगी कि वे बीजेपी की हैं तो दलबदल कानून के तहत उनकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
नवागत भाजपा अध्यक्ष ने कहा या तो इस पार हो जाईये या उस पार
निर्मला सप्रे बेशक भारतीय जनता पार्टी में आ गई हैं। लेकिन आज तक उन्होंने इस्तीफा देकर उपचुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रही हैं। कोर्ट में भी यह मामला चल रहा है। लेकिन बड़ी बात यह है कि क्या निर्मला सप्रे इस्तीफा देके उपचुनाव लड़ने की हिम्मत कर पाएंगी? अब मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का साफ कहना है, साफ सोचना है कि निर्मला सप्रे इस पार रहे या उस पार। यह जो डेढ़ साल से इधर-उधर का चल रहा है, इसके कारण बीना में भारतीय जनता पार्टी दो फाड़ हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक महेश राय और मौजूदा विधायक निर्मला सप्रे के झगड़े अब सड़क पर उतर आए हैं। वहा नगर पालिका में लठ चल रहे हैं। झगड़े हो रहे हैं। पार्टी के दो खेमे बन चुके हैं। दोनों खेमे प्रदेश कार्यालय में रोज आकर एक दूसरे की शिकायत कर रहे हैं। तो इन तमाम माहौल को देखते हुए अब खबर यह आ रही है कि हेमंत खंडेलवाल ने तय कर दिया है और पिछले दिनों निर्मला सप्रे से मुलाकात में उन्होंने साफ कर दिया है कि या तो निर्मला सप्रे इधर रहें या निर्मला सप्रे उधर रहें। यानी भारतीय जनता पार्टी में रहना है तो वह इस्तीफा दें और उपचुनाव का सामना करें।
अब निर्मला को लडना ही होगा उपचुनाव!
अब खबर यह आ रही है कि निर्मला सप्रे की मजबूरी हो गई है उपचुनाव लड़ना। अब सवाल यह भी है कि क्या यदि निर्मला सप्रे इस्तीफा देती हैं तो भारतीय जनता पार्टी उन्हें उपचुनाव का टिकट देगी क्योंकि पूरे बीना विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के 70 से 80 प्रतिशत कार्यकर्ता और नेता पदाधिकारी इस समय निर्मला सप्रे का भारी विरोध कर रहे हैं। तो सवाल यह है कि ऐसे हालात में टिकट किसे मिलेगी? कोशिश तो महेश राय भी करेंगे कि यदि निर्मला सप्रे इस्तीफा देती हैं, इस्तीफा मंजूर होता है, उपचुनाव की घोषणा होती है तो महेश राय पूरी ताकत लगाएंगे कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें टिकट दे। हमारे सूत्र हमें यह बता रहे हैं कि महेश राय यदि भारतीय जनता पार्टी का टिकट लेने में असफल रहते हैं तो वे कांग्रेस से टिकट लेकर चुनाव लड़ सकते है। ऐसी खबरें आ रही है बीना से। इस बार महेश राय किसी भी पार्टी से लड़ेंगे पर चुनाव जरूर लड़ेंगे। क्योंकि जिस तरह के शब्दों का उपयोग महेश राय के लिए निर्मला सप्रे लगातार कर रही हैं। उन्हें कार्यकर्ताओं का बाप और जाने क्या-क्या बोलती हैं। सारे ऑडियो वीडियो वायरल हो रहे हैं। तो निर्मला सप्रे इस समय मुसीबत में है क्योंकि संगठन ने फरमान सुना दिया है कि आपको इस्तीफा देके चुनाव में उतरना होगा। देखते हैं कि निर्मला सप्रे इस्तीफा देंगी। कांग्रेस में वापस लौटेंगी या वह बीच में असंबद्ध सदस्य कहलाएंगी क्योंकि अब भारतीय जनता पार्टी संगठन की ओर से
.... तो महेश राय और निर्मला के बीच फिर होगा मुकाबला
बड़ा साफ संदेश आ गया है सामने कि अब यह दो तरफा नहीं चलेगा। वे या तो इधर रहे या उधर रहे। निर्मला सप्रे के बारे में उनके कुछ समर्थकों का कहना है कि वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। यदि उन्होंने मानसिक रूप से तैयारी कर ली है तो हो सकता है कि इस विधानसभा सत्र के बाद निर्मला सप्रे का इस्तीफा हो जाए और इस्तीफे के बाद में उपचुनाव की घोषणा के बाद पता चलेगा कि भारतीय जनता पार्टी की बीना की सर्वे सर्वे रिपोर्ट क्या कहती है? क्या निर्मला सप्रे को बीजेपी टिकट देगी? या महेश राय को खड़े करेगी या कोई तीसरा कैंडिडेट आएगा? बीना में कुछ नया होगा। यह तय है। बीना में लगभग यह तय माना जा रहा है कि दिसंबर के पहले यानी इस साल के अंत तक चुनाव कराने की पूरी तैयारी है कि उपचुनाव में जीत हार सकी होगी। यह बीजेपी और जनता के हाथ में है। बीजेपी किसको टिकट देती है और जनता किसे चुनती है। लेकिन इतना तय है कि अब निर्मला सप्रे को पर यह दबाव है कि वे सत्र के तत्काल बाद इस्तीफा दें या फिर कांग्रेस में वापस लौट जाए। क्या होगा।