• सरकार ने कंपनियों को नहीं दी राहत

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में स्वच्छ ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए हल्के कमर्शियल वाहनों (LCVs) पर भी फ्यूल एफिशिएंसी नॉर्म्स लागू करने का फैसला किया है। यह फैसला ऑटो इंडस्ट्री के दिग्गजों जैसे महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स की मांगों के विरोध में आया है, जिन्होंने 3.5 टन से कम वजन वाले ट्रकों को इन नियमों से छूट देने की अपील की थी।

किस पर लागू होंगे नए नियम?
ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) ने सोमवार रात को नया ड्राफ्ट जारी किया जिसमें N1, N2 और N3 कैटेगरी के सभी कमर्शियल वाहनों को शामिल किया गया है। इसमें लाइट कमर्शियल व्हीकल्स भी होंगे, जिनका ग्रॉस व्हीकल वेट 3,500 किलोग्राम से कम होता है।

ऑटो कंपनियों की आपत्ति पर सरकार अड़ी
कई कंपनियों ने तर्क दिया था कि लाइट कमर्शियल वाहन सेगमेंट गरीब तबके और छोटे व्यवसायों से जुड़ा है, ऐसे में इन पर नियम लागू करने से लागत बढ़ेगी। लेकिन बीईई ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि ये नियम छोटे व्यापारियों के लिए लंबे समय में फायदेमंद होंगे क्योंकि इससे फ्यूल की बचत होगी और डिकार्बनाइजेशन में मदद मिलेगी।

कमर्शियल वाहनों के लिए उत्सर्जन सीमा तय
बीईई ने कहा कि पैसेंजर कारों को पहले से ही कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिसिएंसी (CAFE) नॉर्म्स के तहत रेगुलेट किया जा रहा है, ऐसे में हल्के कमर्शियल वाहनों को रेगुलेट करना समय की मांग है। ड्राफ्ट के मुताबिक, एन1 कैटेगरी के ट्रकों के फ्लीट की एवरेज कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन सीमा 115 ग्राम/किमी तय की गई है, हालांकि इंडस्ट्री इनपुट के बाद इसमें बदलाव संभव है।

2027 से लागू होंगे नियम
इन नियमों पर इंडस्ट्री को 30 दिन में जवाब देना होगा। इसके बाद ड्राफ्ट को परिवहन मंत्रालय (MoRTH) के पास भेजा जाएगा, जो अंतिम नियम जारी करेगा। नए फ्यूल एफिशिएंसी नॉर्म्स अप्रैल 2027 से लागू होंगे।

स्वच्छ मोबिलिटी की दिशा में सरकार के कदम
यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब सरकार इलेक्ट्रिक ट्रकों को बढ़ावा देने के लिए पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत 500 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा कर चुकी है। इस स्कीम का मकसद लगभग 5,500 इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए डिमांड इंसेंटिव देना है, ताकि कार्बन उत्सर्जन को घटाया जा सके।