निसार... आज एक बार फिर भारत अंतरिक्ष में रचेगा इतिहास

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पृथ्वी की बेहतर निगरानी की भारत को मिलेगी महाशक्ति
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धरती पर नजर रखेगा नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार
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अब दुनिया देखेगी भारत की अंतरिक्ष इंजीनियरिंग की ताकत
नई दिल्ली। भारत अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रचने जा रहा है। नासा और इसरो की साझेदारी से बना पहला सैटेलाइट निसार आज अंतरिक्ष में अपने सफर की शुरुआत करेगा। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर पर लॉन्च का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। इसके साथ ही निसार यानी नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार को नासा और इसरो ने मिलकर तैयार किया है। दरअसल, इसरो आज बुधवार को निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) मिशन का प्रक्षेपण करेगा। इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी नारायणन के अनुसार उपग्रह को एक भारतीय रॉकेट द्वारा पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में शाम 5:40 बजे निसार को जीएसएलवी-एस16 रॉकेट के जरिये लॉन्च किया जाएगा। यह पहला ऐसा मिशन है जिसमें पहली बार किसी जीएसएलवी रॉकेट के जरिये ऐसे उपग्रह को सन-सिंक्रोनस आर्बिट (सूर्य-स्थिर कक्ष) में स्थापित किया जाएगा।
पृथ्वी से संबंधित डाटा प्रसारित करेगा
सन-सिंक्रोनस आर्बिट वह कक्षा होती है, जिसमें उपग्रह पृथ्वी के ध्रुवों के ऊपर से गुजरता है और हर बार जब वह एक विशेष स्थान से गुजरता है तो सूरज की रोशनी की स्थिति एक जैसी रहती है। कावुलुरू ने मिशन के बारे में बताया कि नासा ने निसार के लिए एल-बैंड उपलब्ध कराया है जबकि इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार के लिए एस-बैंड उपलब्ध कराया है। इससे बड़ी मात्रा में डाटा एकत्र करना संभव हो पाएगा। यह उपग्रह अंटार्कटिका, उत्तरी ध्रुव और महासागरों सहित पृथ्वी से संबंधित व्यापक डाटा प्रसारित करेगा।
हर देश की सरकारें करेंगी इस्तेमाल
निसार पूरे विश्व से डाटा एकत्र करेगा और इसका इस्तेमाल व्यावसायिक तथा वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।कवुलुरु ने कहा, इसरो इस डाटा का प्रसंस्करण करेगा और इसका अधिकांश हिस्सा ओपन-सोर्स के रूप में उपलब्ध कराएगा, ताकि दुनिया भर के उपयोगकर्ता इसे आसानी से प्राप्त कर सकें। इससे हम हिमालय और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में वनों में होने वाले बदलवा, पर्वतों की स्थिति या स्थान में बदलाव और ग्लेशियरों की गतिविधियों सहित मौसमी परिवर्तनों की निगरानी कर सकेंगे।
19 मिनट बाद कक्षा में होगा स्थापित
जीएसएलवी-एस16 रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है। यह चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित होगा। प्रक्षेपण के लगभग 19 मिनट बाद उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिए जाने की संभावना है।
12 दिन में पूरी पृथ्वी का डेटा
इसरो के मुताबिक, निसार उपग्रह का प्रक्षेपण दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच एक दशक से अधिक लंबे सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इसरो ने बताया कि यह उपग्रह हर 12 दिनों में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा, और दिन-रात, हर मौसम में उच्च-रिजॉल्यूशन वाला डेटा प्रदान करेगा। उपग्रह पृथ्वी की सतह पर अत्यंत सूक्ष्म बदलावों की पहचान करने में सक्षम होगा, जैसे वनस्पति में बदलाव, बर्फ की चादरों का खिसकना और जमीन का विकृति। इसरो ने कहा कि इस मिशन से समुद्र के स्तर की निगरानी, जहाजों का पता लगाना, तूफानों पर नजर रखना, मिट्टी की नमी में बदलाव, सतही जल संसाधनों की मैपिंग और आपदा प्रबंधन जैसे कई अहम क्षेत्रों में मदद मिलेगी। यह उपग्रह भूकंप से जमीन में आई हल्की दरारें या बर्फ की चादर में बदलाव का पता लगाएगा।