मप्र में कलेक्टर की कार को टक्कर मारने का अर्थदण्ड 11 लाख रुपए!
- आम आदमी इन डंपरों से मारा जा रहा है, कुचला जा रहा है। तब यह शांति क्यों?
भोपाल / झाबुआ, सबकी खबर।
मध्य प्रदेश में कलेक्टर की कार को टक्कर मारने का जो अर्थदंड है वह ₹11 लाख है। यह बात हम इसलिए कह रहे हैं कि हमने पहले भी खबर बताई थी सोमवार को झाबुआ की कलेक्टर नेहा मीणा जब अपने बंगले से कार्यालय की ओर जा रही थी। तभी एक डंपर ने उनकी कार को टक्कर मार दी और कार क्षतिग्रस्त हुई। लेकिन सहयोग से सौभाग्य से कलेक्टर महोदया बच गई। लेकिन इसके बाद में पूरा प्रशासन सक्रिय हुआ। पता लगाया गया डंपर किसका है। ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया और इसके बाद कारवाई शुरू हुई खनिज विभाग की। जो खनिज विभाग गहरी नींद में सो रहा था। कलेक्टर की कार को टक्कर लगते ही एकदम जाग उठा। और उसके बाद उसने जो झाबुआ का राणापुर क्षेत्र है वहां एक गांव है पाडलवा। उस पाडलवा में जो रेत कारोबारी है शांति लाल बसेर इनके यहां छापा डाला। इनके गोडाउन पे छापा मारा। गोडाउन सीज किया गया। और फिलहाल शांति लाल जिनके डंपर रहे होंगे जो मालिक हैं उन्हें ₹11 लाख का अर्ध दंड का नोटिस थमा दिया गया है। अब आप सोचिए कि यदि कलेक्टर की कार को टक्कर नहीं मारी जाती तो यह अवैध कारोबार चलता रहता। फिर कोई गोदाम सील नहीं होते। उसके बाद कोई अर्थदंड नहीं लगाया जाता। तो क्या शांति लाल जी बसेर दूसरी व्यवस्थाएं करके चल रहे थे। क्या अधिकारियों को गहरी नींद सुलाने की कोई गोली थी उनके पास? जो खनिज विभाग तब तक सोता रहा जब तक कलेक्टर की कार को टक्कर नहीं लग गई? क्या इस संबंध में कोई सोचेगा, विचार करेगा कि मध्य प्रदेश में जब तक कलेक्टर की गाड़ी से कोई गाड़ी नहीं टकराएगी तब तक यह अवैध खनिज वाले काम करते रहेंगे। अवैध रेत का कारोबार चलता रहेगा। अच्छा एक बात और है कि यह रेत का वो था डंपर जिसे टक्कर मारी यदि शराब की गाड़ी टक्कर मारती तो क्या शराब कारोबारियों पर कारवाई होती? यह सवाल इसलिए भी लाजिमी है क्या शासन प्रशासन नियम से चल रहा है या इस बात से चल रहा है कि जब तक आप अधिकारी को नहीं ठोकोगे या उनकी गाड़ी को नहीं ठोकोगे तब तक आपको जो करना है आप मनमर्जी करते रहिए और यदि आपने कलेक्टर को ठोक दिया उनकी गाड़ी को ठोक दिया तो समझ लीजिए फिर तो प्रशासन आप पर कारवाई करेगा फिर आप चाहे किसी को कोई भी नींद की गोली देते रहे प्रशासन नींद से जगेगा और आप पर अर्थदंड लगा देगा। फिलहाल कलेक्टर महोदया को चोट नहीं आई। वे बिल्कुल सुरक्षित हैं। लेकिन कलेक्टर महोदया अब आपको यह तय करना चाहिए कि आपकी टक्कर के बाद मतलब आपके वाहन को टक्कर मारने के बाद ही आपका खनिज विभाग सक्रिय क्यों हुआ? आपके वह खनिज विभाग के अधिकारी कौन थे जिनके नींद में सोने के कारण से यह शांति लाल यह खनिज का अवैध कार्य कर रहा था? क्या आप उनके अधिकारियों के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कारवाई करेंगी जिनके कारण से यह अवैध डंपर चल रहे हैं और केवल झाबुआ नहीं चल रहे पूरे मध्य प्रदेश में चल रहे हैं। डंके की चोट पे चल रहे हैं। आपके नेता और मंत्री खुल के पैसे लेते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है। यह बात इसलिए चर्चा में आई कि केवल कलेक्टर महोदया की गाड़ी को टक्कर लगने के बाद ही कारवाई क्यों होती है? आम आदमी इन डंपरों से मारा जा रहा है, कुचला जा रहा है। तब यह शांति क्यों? तब नींद में क्यों सोते रहते हो? सिर्फ यह मुद्दा उठाना था।