• स्पेसएक्स के रॉकेट का इस्तेमाल किया

  • मस्क की कंपनी का इस साल तीसरा मून मिशन

वाशिंगटन। अमेरिका का प्राइवेट कंपनी इंट्यूएटिव मशीन्स का दूसरा मून लैंडर बुधवार देर रात (भारतीय समयानुसार गुरुवार सुबह 5:45 बजे) इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया। 6 मार्च को ये चांद के साउथ पोलर रीजन में लैंड करेगा।

रॉकेट को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। मिशन में चांद की सतह पर उतरने वाले इस लैंडर का नाम एथेना है। इस लैंडर में एक ड्रोन भी मौजूद है। IM कंपनी दूसरी बार चांद पर सफलातपूर्वक उतरने की कोशिश कर रही है। इससे पहले पिछले साल भी कंपनी ने एक लैंडर चांद की सतह पर भेजा था। हालांकि तेजी से टकराने के बाद लैंडर का पैर टूट गया था, जिससे लैंडर पलट गया था। अमेरिकी कंपनी ने एक एनीमेशन जारी किया है जिसमें माइक्रो नोवा हॉपर "ग्रेस" को पास के क्रेटर का हाई-रिज़ॉल्यूशन सर्वे करते हुए दिखाया गया है।

मस्क की कंपनी का इस साल तीसरा मून मिशन

मस्क की स्पेसएक्स कंपनी का इस साल ये तीसरा मून मिशन है। इससे पहले 15 जनवरी, 2025 को, फाल्कन 9 रॉकेट से ही अमेरिका की प्राइवेट कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस के ब्लू घोस्ट और जापान के आईस्पेस रेजिलिएंस के मून लैंडर्स को लॉन्च किया था। ब्लू घोस्ट 2 मार्च, 2025 को चंद्रमा पर लैंड करेगा। वहीं जापान का लैंडर अलग रास्ते से जा रहा है, इसलिए मई में चांद पर पहुंचेगा। यानी, अब कुल तीन लैंडर हो गए हैं जो चंद्रमा पर उतरने वाले हैं।

लैंडर चंद्रमा पर कब लैंड करेगा?

इंट्यूएटिव मशीन्स के छह पैरों वाले लैंडर का नाम एथेना है और लगभग जिराफ जितना लंबा है। यह 6 मार्च को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 100 मील (160 किमी) दूर एक सपाट चोटी वाले पहाड़ मॉन्स माउटन पर उतरने का प्रयास करेगा।

इस मिशन का मकसद क्या है?

IM-2 का एक मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह के एक मीटर नीचे तक जांच करने के लिए NASA के ट्राइडेंट ड्रिल और MSolo मास स्पेक्ट्रोमीटर की तैनाती है। इससे चंद्रमा पर पानी और CO₂ जैसी चीजों को डिटेक्ट किया जा सकता है।

एथेना की लैंडिंग के बाद रोवर्स और माइक्रो नोवा हॉपर (ग्रेस) को तैनात किया जाएगा। ग्रेस हॉपर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह लैंडर से दो किलोमीटर तक की दूरी की यात्रा उड़कर पूरी कर सकता है।

इंट्यूएटिव मशीन्स का पहला मिशन कब लॉन्च हुआ था?

इंट्यूएटिव मशीन्स का ये दूसरा मून मिशन है। पहला मिशन ओडीसियस 15 फरवरी 2024 को लॉन्च किया गया था। ये 22 फरवरी को लैंड हुआ था। साइडवेज पोजीशन में लैंडिंग के कारण ये ज्यादा दिन तक डेटा नहीं भेज पाया था।

एथेना IM-2 क्यों नाम दिया गया? इसे इंट्यूशिव मशींस (IM) नाम की कंपनी ने बनाया है। मून लैंडर का नाम भी इसी पर रखा गया है।

चांद के किस हिस्से पर लैंडिंग होगी? एथेना मून लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल के नजदीक मोन्स माउंटेन पर लैंड करेगा। यह चंद्रमा पर स्थित सबसे बड़ा पर्वत है। यह 100 किमी तक फैला है और सतह से 20 हजार फीट ऊंचा है।

कितने दिन का होगा मून मिशन? मून लैंडर चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद करीब 10 दिन तक काम कर सकेगा।

मून लैंडर में क्या-क्या है? लैंडर पर एक छोटा रोबोट माइक्रो नोवा हॉपर है, जिसे ग्रेस नाम दिया गया है। इसके अलावा चार पहियों वाला माइक्रोवेव आकार का एक रोवर भी है, जो चांद की सतह पर डेटा कलेक्ट करेगा।

मिशन का मकसद क्या है

नासा ने एक वीडियो के जरिए मून लैंडर के मिशन के बारे में बताया कि, कैसे यह ड्रिलिंग करके डेटा इकठ्ठा करेगा।

इस मिशन का मकसद चंद्रमा की सतह से जुड़ी नई जानकारी इकट्ठा करना है। लैंडर पर मौजूद रोवर में एक ड्रिल मशीन लगी है। यह करीब 10 ड्रिल करेगी। एक बार की ड्रिलिंग में करीब 10 सेंटीमीटर खुदाई होगी। यानी कुल एक मीटर गहराई तक मशीन जाएगी और जमीन के अंदर से सैंपल कलेक्ट करेगी।