'जीवित नेताओं के नाम पर न चलाई जाएं सरकारी योजनाएं', हाईकोर्ट के निर्देश
चेन्नई।
मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह किसी भी जीवित व्यक्ति के नाम, किसी पूर्व मुख्यमंत्री या वैचारिक नेता की तस्वीर, राजनीतिक दल के प्रतीक, झंडे अथवा चिह्न का उपयोग सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में न करे। कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश एआईएडीएमके सांसद सी.वे. शन्मुगम और वकील इनियन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार एक आदेश के जरिए ऐसी योजना चला रही है, जिसमें मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का नाम जोड़ा गया है। उन्होंने चुनाव आयोग और सरकारी विज्ञापन कंटेंट निगरानी समिति से इस पर कार्रवाई की मांग की है। शन्मुगम ने कहा कि इस तरह की योजनाएं मतदाताओं को गुमराह करने और सत्ताधारी दल के प्रचार के लिए चलाई जा रही हैं।
निर्देशों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए- हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा कि सरकारी विज्ञापनों के कंटेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही कई दिशानिर्देश जारी कर चुका है। वर्ष 2015 के ‘कॉमन कॉज बनाम भारत सरकार’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सरकारी विज्ञापनों में केवल प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री की तस्वीर की अनुमति हो सकती है, वह भी सीमित उद्देश्य के लिए। किसी पूर्व नेता या वैचारिक व्यक्ति की तस्वीर का उपयोग अनुचित होगा।
राजनीतिक दलों के प्रतीक भी न हों शामिल
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि सरकारी योजना के नाम में किसी जीवित राजनीतिक व्यक्ति का नाम देना या उसमें सत्ताधारी दल का प्रतीक, झंडा या चिह्न लगाना संविधान और चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। यह न केवल सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग है, बल्कि इससे मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास भी होता है।