गुजरात में 2027 विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) ने अभी से बड़े खेल की तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार को पार्टी ने अपने मिशन विस्तार 2027 के तहत गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में 450 से अधिक पदाधिकारियों की नियुक्ति कर दी — और यह सिर्फ शुरुआत है।

संगठन का मेगा विस्तार — 450+ पदाधिकारी, 1 मिशन

आप ने अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, भरूच, गांधीनगर, अमरेली समेत 15 से अधिक जिलों में संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया है। इन नियुक्तियों में लोकसभा क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय प्रभारी, लोकसभा प्रभारी, सह प्रभारी, और विधानसभा प्रभारी-सह प्रभारी शामिल हैं।

यह पहली बार है जब AAP ने इस स्तर पर इतनी बड़ी संख्या में पदाधिकारी नियुक्त किए हैं — और इसके पीछे हैं दो दमदार चेहरे:

  • गोपाल राय – गुजरात के नए प्रभारी

  • दुर्गेश पाठक – सह प्रभारी

इन दोनों नेताओं को पूर्वांचल में पकड़ के लिए जाना जाता है — और गुजरात के शहरी व औद्योगिक क्षेत्रों में पूर्वांचली समुदाय की मजबूत मौजूदगी को देखते हुए यह एक सोची-समझी रणनीति लगती है।

"घर-घर आप" का टारगेट

AAP का दावा है कि ये सभी पदाधिकारी पार्टी के संगठनात्मक कार्यों को ज़मीन तक पहुंचाएंगे और गुजरात के हर घर में पार्टी की मौजूदगी दर्ज कराएंगे।

यानी AAP अब सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, लंबी रेस के लिए गुजरात में डेरा डालने आ चुकी है।

2022 का बेस, 2027 की उड़ान?

2022 के विधानसभा चुनाव में AAP ने गुजरात में 5 सीटें जीती थीं और 13% वोट शेयर हासिल किया था। भले ही सीटें कम थीं, लेकिन ये वोट प्रतिशत एक संकेत था — कि लोग विकल्प की तलाश में हैं।

अब पार्टी उस जनाधार को न सिर्फ बचाए रखना चाहती है, बल्कि 2027 में उसे दोगुना करने का प्लान भी बना चुकी है।

केजरीवाल का मास्टरप्लान — पूर्वांचल + संगठन

गुजरात में पूर्वांचली वोटबैंक अब AAP के लिए एक बड़ा फोकस है। गोपाल राय और दुर्गेश पाठक, दोनों पूर्वांचल से आते हैं और उन्हें ग्राउंड लेवल पॉलिटिक्स में माहिर माना जाता है।

इसका मतलब साफ है — AAP अब सिर्फ दिल्ली-मॉडल पर भरोसा नहीं कर रही, बल्कि ग्रासरूट पर स्ट्रॉन्ग पकड़ बनाकर गुजरात में पैठ बनाना चाहती है।

 निष्कर्ष: क्या बदलेगा गुजरात का सियासी समीकरण?

"मिशन विस्तार 2027" सिर्फ एक संगठनात्मक कवायद नहीं है, बल्कि AAP की पॉलिटिकल वॉर रूम से निकली रणनीति है।
BJP के गढ़ में सेंध लगाने का सपना देख रही AAP अब मैदान में उतर चुकी है — और इस बार उसके पास न केवल रणनीति है, बल्कि ज़मीन पर काम करने वाले 450 से ज्यादा सिपाही भी हैं।

2027 तक क्या AAP गुजरात में कांग्रेस की जगह ले पाएगी?
या बीजेपी के लिए नई चुनौती बनेगी?

ये तो वक्त बताएगा — लेकिन इतना तय है कि AAP अब गेम खेलने नहीं, गेम बदलने आई है।