आजीवन मिशन में भारी भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी कांग्रेस : करोडों के भ्र्ष्टाचार की हो सीबीआई जांच: अवनीश बुंदेला
भोपाल, सबकी खबर।
मध्य प्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की कोई चर्चा हो रही है तो वो हो रही है आजीविका मिशन को लेकर। दरअसल आजीविका मिशन में जो सीईओ रहे हैं लंबे समय तक ललित मोहन बेलवाल उनके ऊपर हाथ रहा है तत्कालीन सीएस यानी चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस का और यही कारण है कि उन्होंने ना नियमों की चिंता की है ना उन्होंने कोई कानून की चिंता की है और जमकर भ्रष्टाचार का खेल चला है। अब खबर यह आ रही है कि एक समाचार पत्र दैनिक भास्कर ने तो अपनी पूरी टीमें फील्ड में उतार दी और उन टीमों की जो रिपोर्ट आई है बड़ी चौंकाने वाली है कि इसमें 90% भ्रष्टाचार हुआ है। एक-दो साल नहीं हुआ है। 3 साल अभी हुआ है। लगभग चार साल पहले हुआ है। तो आज इस मुद्दे पे हमने मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अवनीश बुंदेला से बात की उनका कहना था कि कोई भी इस तरह का एक मिशन जो होता है उसकी एक निर्धारित सीमा होती है। 2 साल 3 साल इससे बड़ा कोई मिशन नहीं हो सकता। नहीं तो फिर वो मिशन नाम ही बेकार है। जैसा आपने अभी कहा करीब 7 आठ साल से ये इस मिशन के नाम पे मतलब भ्रष्टाचार निरंतर हो रहा है। और आप देखें सबसे बड़ी बात इसकी शुरुआत से ही अगर आप देखें तो इसकी शुरुआत जो है वो कहीं ना कहीं एक खराब नियत से की गई क्योंकि अगर नियत साफ होती इसमें उस समय की सरकार की जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे उस समय के अधिकारी प्रमुख अधिकारी इकबाल सिंह बैस अगर उनकी नियत साफ होती तो इतने सारे योग्य अधिकारी थे आईएएस ऑफिसर थे कई सारे मतलब जिनकी योग्यता में कहीं कोई कमी नहीं थी आप लेकर आते हो एक रिटायर्ड अधिकारी को वह भी आईएफएस जो कि पात्रता नहीं रखता इस पद पर आने की मतलब आईएफएस की पात्रता नहीं है। जहां तक मेरी जानकारी कहती है इस पर आप नहीं इसमें तो बाकायदा एसीएस मनोज श्रीवास्तव ने फाइल पे लिखा है कि ये आईएएस कैडर का पद है या रिटायर आईएफएस नहीं चल सकता और दिलचस्प बात यह है कि उस समय के पंचायत मंत्री थे उसी सरकार में महेंद्र सिंह सिसोदिया उन्होंने भी इस पर आपत्ति दर्ज की थी कि इनकी नियुक्ति नहीं होना फिर भी आप देखें बेलवाल की नियुक्ति हो जाती है औरसके बाद एक नया खेल शुरू होता है और आप देखें वो खेल था सिर्फ उस समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुश करने का खेल उनकी राजनीतिक जमीन तैयार करने का खेल आपने देखिए स्वायता समूह बनाए ऑन पेपर आपने 472 स्वयता समूह बनाए हैं और उन स्वाता समूहों में आपने लगभग 58 लाख महिलाओं को जोड़ा आपने नाम या कि मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात कही है तो हम महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं और आप आश्चर्य करेंगे उसमें जब आप डिटेल में जाएंगे जैसे आपने भास्कर अखबार का जिक्र किया उसमें भी छपा है कि जब जाकर पड़ताल की 100 स्वायता समूह की पड़ताल की न्यूज़ पेपर के पत्रकारों ने उनकी टीम ने तो पाया कहीं भी कोई जिस नाम से जो था वो पाया ही नहीं गया मतलब जो महिलाओं मतलब वो जो वो आपने सुना होगा कि अगर महिला सरपंच है तो सरपंच जी चलाता पति है। यहां भी यह हुआ बेचारी महिलाओं के नाम सिर्फ समूह में डाले गए। हकीकत में बात थी उसको चलाने वाले उनके या तो पति थे, उनके बेटे थे, उनके चाचा थे, कोई भी परिवार के पुरुष थे। और एक पुरुष या दो पुरुष मिलकर 10.12 महिलाओं के नाम पर समूह चला रहे थे। और जब आपने उनके जो वर्किंग स्पॉट पर जाके टीमों ने देखा कई लोगों ने चेक किया तो उसमें हमने भी देखा तो पाया गया न तो मशीनें थी और नही कोई सिलाई सेंटर। सिलाई सेंटर के नाम पे कहीं ₹15 लाख लोन लिया गया और इस लोन की खानापूर्ति करने में पैसा खाने में सारे अधिकारी शामिल थे और यह सब घटित हुआ है बेलवाल की नाक के नीचे। दरअसल यह सारा खेल शिवराज की राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए किया गया। क्या शिवराज सिंह जी को समझ में नहीं आ रहा था कि उनकी राजनीतिक जमीन के लिए के नीचे भ्रष्टाचार कितना हो रहा है। शिवराज को भी ऐसा व्यक्ति चाहिए था जो उनका सबसे ज्यादा कहते हैं ना एकदम खास हो भरोसेमंद हो। तो इकबाल सिंह से ज्यादा भरोसेमंद तो सर कोई हुआ नहीं। उस पैरामीटर में पहले कई सारे आईएएस अधिकारियां आते गए, जाते गए, बाहर हो गए। लेकिन इकबाल सिंह बैस एक ऐसे ऐसा नाम है कि जो एकदम शुरू से अंत तक शिवराज के साथ जो बिल्कुल पहाड़ की तरह खड़ा रहा और फिर अब इकबाल सिंह बैस को भी चाहिए था कि उनका सबसे नजदीकी कौन तो वो भी ढूंढ के लाए एक व्यक्ति जो अपना रिटायरमेंट एंजॉय कर रहा था सर उसको रिटायरमेंट एंजॉय नहीं करने दिया उसको कहा आओ तुम्हारे लिए मेरे पास काम हैं उससे आवेदन दिलवाया पहले दिन से इस योजना की जो थी अजीविका मिशन की इनकी नियत साफ नहीं थी। अगर नियत साफ होती सर 58 लाख महिला मतलब आप उसको परिवार मेंकन्वर्ट करें सर तो एक बहुत बड़ा फिगर होता है। मतलब मुझे लगता है मध्य प्रदेश में लगभग गरीबी जो है 40% कंट्रोल हो जानी चाहिए। आपको ये लग रहा है कि जो 58 लाख महिलाओं का जो डाटा था उनसे उनका सीधा संपर्क था और इसने चुनाव में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। भूमिका निभाई और सर एक बात और बोलूं उनका राजनीतिक उपयोग हुआ। बिल्कुल हुआ। मतलब वही शिवराज की रैलियों में भीड़ का उनका मिशन एक राजनीतिक हथियार था। बिल्कुल राजनीतिक हथियार था और साथ में उस उस मिशन के सबसे बड़े लाभार्थी मैं कहूंगा इकबाल सिंह बैस हैं और बैलवाल हैं। इन लोगों ने सबसे ज्यादा उससे लाभ उठाया है। ये जो मुद्दा कांग्रेस के जानकारी में आया है तो हमारा आगे इस पे प्लान है जीतू पटवारी का उमंग सिंगार का कि इसको और आगे बढ़ाया जाए और इसकी तह तक पहुंचा जाए कि आखिर अगर शिवराज जी आपने इकबाल सिंह बैस के माध्यम से अगर 58 लाख महिलाओं को लाभ पहुंचाए। कहां है वह 58 लाख महिलाएं और उनकी आर्थिक हालात आज की तारीख में क्या है? क्योंकि अगर आप निरंतर उनको स्वायत्ता समूह के माध्यम से आप निरंतर उनको ग्रांट दे रहे हैं। उनको फंड दे रहे हैं तो वो पैसा कहां गया और आज उनका जीवन स्तर किस स्तर पर पहुंचा है? सर इसकी जांच होगी और आगे कांग्रेस सदन से सड़क तक इसके इस इस मुद्दे को उठाएगी और अगर आवश्यकता पड़ी सर तो हम मांग भी करेंगे कि इसकी सीबीआई जांच करवाई जाए। क्योंकि सर यह कहीं ना कहीं मैं तो कहता हूं रासुका का मामला है।