जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

- भोपाल गैस त्रासदी पर याचिका की खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद जजों की नियुक्ति में देरी को लेकर दाखिल याचिकाओं पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करने का फैसला किया है। मुख्य न्यायाधीश ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और प्रशांत भूषण की अपील पर यह सहमति दी। अधिवक्ताओं ने कहा कि कुछ नाम 2019, 2020 और 2022 में दोबारा सिफारिश के बावजूद अभी तक मंजूर नहीं हुए हैं, जिससे उम्मीदवारों की रुचि और वरिष्ठता दोनों प्रभावित हो रही है। दातार ने बताया कि दिल्ली और मुंबई के कुछ वकीलों ने अंततः नाम वापस ले लिए। प्रशांत भूषण ने एक महिला वकील का उदाहरण दिया जो नेशनल लॉ स्कूल की टॉपर थीं, लेकिन उनका नाम बार-बार अटका। यह मामला उस बड़ी बहस का हिस्सा है जिसमें केंद्र और न्यायपालिका के बीच कॉलेजियम प्रणाली को लेकर मतभेद जारी हैं।
भोपाल गैस त्रासदी पर कोर्ट ने याचिका की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े एक मामले में याचिका खारिज कर दी, जिसमें दावा किया गया था कि कई गंभीर रूप से घायल पीड़ितों को गलत श्रेणी में डालकर कम मुआवजा दिया गया। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाईकोर्ट में जाने की अनुमति दी है। कोर्ट ने याचिका के तथ्यों पर कोई टिप्पणी नहीं की। याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार उन पीड़ितों की दोबारा पहचान करे जिन्हें 'अस्थायी विकलांगता' या 'हल्की चोट' मानकर कम मुआवजा दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कई लोगों को किडनी फेल और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हुईं, फिर भी उन्हें मामूली रूप से घायल माना गया।