भोपाल, सबकी खबर। 
देश और दुनिया में विमान दुर्घटनाएं अचानक क्यों बढ़ गई हैं और ये थोड़ी बहुत नहीं बढ़ी है। अचानक इतनी तेजी आई है कि पिछले 45 दिनों में इतनी दुर्घटनाएं हुई है कि अब  लोग विमान में बैठने से डरने लगे हैं।  अच्छा, आम यात्री तो डरने लगा है। लेकिन  साथ-साथ जो विमान चालक हैं, वह अचानक  छुट्टी लेकर घर बैठने लगे हैं और उन्हें  भी समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी घटनाएं  क्यों हो रही हैं। मैं बात करूंगा 12 जून से लेके अभी तक की। छह बड़े विमान हादसे  हुए हैं। जिसमें 400 के आसपास लोग मर चुके  हैं। आप सोचिए हमने पहले भी पहले भी देखा है। इक्का-दुक्का विमान दुर्घटनाएं होती थी। लेकिन 12 तारीख को अहमदाबाद में Air  इंडिया का विमान जो गिरा है उसके बाद से  लगातार आप खबरें पढ़ रहे हैं। हर दूसरे  तीसरे दिन यहां विमान गिर गया। वहां विमान  गिर गया। इतने लोग मर गए। वहां हेलीकॉप्टर गिर गया। वहां एयर बैलून गिर गया। ये  लगातार जो घटनाएं हो रही है उसने लोगों को हिला के रख दिया है। और ये केवल भारत में हो रही है। ऐसा नहीं है। यह रशिया में हो रही है,चाइना में हो रहा है, लंदन में हो रहा है। ये अचानक विमान क्यों गिर रहे हैं? इसके पीछे क्या कोई ग्रहों की चाल  ऐसी हो गई है? क्या ऐसी कोई टेक्निकल खराबी आ गई है? क्या हमारा जो पूरा सिस्टम है, जो एआई सिस्टम है, उसकी वजह से हो रहा  है? हम आज इन तमाम सारी चीजों को समझेंगे।  उससे पहले अहमदाबाद में विमान गिरा था। उसने पूरी देश और दुनिया को हिला के रख दिया था। उसके बाद  15 जून को उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर गिरा सात लोग मारे गए। 21 जून को  ब्राजील ब्राजील में एयर बैलून गिरा। उसमें आठ लोग मरे। कई घायल हुए। 13 जुलाई को लंदन में साउथ हैंड जो एयरपोर्ट है वहां विमान दुर्घटनास्त हुआ। चार लोग मारे गए। 21 जुलाई को बांग्लादेश में आपने देखा कि ट्रेनी विमान स्कूल के ऊपर  गिर गया। कॉलेज के ऊपर गिर गया। लगभग 31 लोग मारे गए वहां भी और 24 जुलाई को चाइना बॉर्डर पर रशिया का एक विमान गिरा है जिसमें 48 लोग मारे गए हैं। अब आप देखिए ये कितनी घटनाएं अचानक हो रही  हैं और इसके बाद लोग विमान से यात्रा करने  में डरने लगे हैं। अब आप इसके साथ-साथ यदि  दूसरी पैरेलल खबरें देखेंगे कि यहां विमान  की इमरजेंसी लैंडिंग हुई है। वहां इमरजेंसी लैंडिंग हुई है। विमान हवा में सीधा नीचे आया है। कितनी घटनाएं आप केवल  45 दिन की बात करें तो 15 से ज्यादा  घटनाएं केवल भारत में हुई हैं। कहीं जम्मू  कश्मीर में, कहीं इंदौर में, कहीं गोवा  में। आप हर दूसरे तीसरे दिन पढ़ते हैं कि  यहां इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई, वहां  इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। तो आखिर यह  घटनाएं क्यों हो रही हैं? इसने बाकई लोगों  को हिला के रख दिया है। 2024 के यदि आप आंकड़े देखें तो पूरी दुनिया में 187 विमान हादसे हुए थे और हम 2025 की बात करें तो पहले छ महीने यानी 30 जून तक ही 115 से ज्यादा विमान हादसे हो चुके हैं। यानी यह जो परसेंटेज बहुत तेजी से हो रहा है इसके पीछे लोगों  में चिंता है। मीडिया में तो यह खबर भी चल रही है कि कई पायलट  छुट्टी ले रहे हैं। मतलब वो बीमारी के  बहाने से छुट्टी पर जा रहे हैं। विमानन विभाग ने एयर इंडिया को चार नोटिस थमा दिए हैं। संचालन ठीक नहीं हो रहा है। तो निश्चित तौर पे विमान में यात्रा करने  वाले यात्री चाहे वो भारत के हो, मध्य  प्रदेश के हो, देश के हो, दुनिया के हो,  सब में दहशत का माहौल है। इसे लेकर सबकी खबर ने  पंडित विनोद गौतम जी से बात की और हमने पूछा क्या कोई  ऐसे ग्रह हैं जो इस समय विमानों के लिए  खतरा पैदा कर रहे हैं? तो उन्होंने बताया कि गृह राज्यम प्रक्षामि गृह राज्यम हरेण चौ ग्रह ही राज्य देते हैं और ग्रह ही राज्य का हरण कर लेते हैं। हम आपको बताएं कि  वर्तमान समय पर जो ग्रह स्थितियां चल रही  हैं। एक तो रुद्रविषि का 13वा वर्ष चल रहा  है ये और दूसरा अभी पूर्व में खष्ट ग्रही योग बना हुआ था। जो एक राशि में छह ग्रह इकट्ठे हो गए थे। शास्त्र ये कहता है कि एक राशि यदांतो चत्वार पंच खेचरा बिलवंतु  मही सर्वे जलेन रुद्रनवा अर्थात एक राशि में जब चार पांच ग्रह छह ग्रह तक इकट्ठे  हो जाते हैं तो स्थितियां अनुकूल नहीं  रहती हैं। चारों तरफ से अशांति तनाव के  साथ दुर्घटनाएं ज्ञान खान की होती हैं। साथ ही अभी वर्तमान समय पर जो स्थितियां  चल रही हैं ग्रहों की वो कई साल बाद बनती हैं। जैसे जो बदलाव होते हैं ग्रहों के तो  कोई शताब्दी के आधार पे होते हैं, कोई बीसी के आधार पे होते हैं। तो जो इस वर्ष  बदलाव हो रहे हैं उस शताब्दी के आधार पे बदलाव हो रहे हैं। अर्थात आप समझे कि जैसे  अभी गुरु अतिचारी चल रहा है। मतलब शीघ्रगामी चल रहा है। इतनी तेज गति से चल 
रहा है और शनि वक्री है। ये दोनों प्रभाव अंतरिक्ष यान और खान दुर्घटना की ओर संकेत  करते हैं। साथ ही हमारे यहां पर देखा जाए तो अह प्रधानमंत्री जी को भी अपने जेट  सुरक्षा या अन्य मंत्री गणों को भी इस ओर विशेष ध्यान देने की स्थिति है। क्योंकि ये एक षडयंत्री योग भी उजागर करता है। अर्थात शास्त्रों में कहा गया है अतिचारे  गते जीवे शनिव वक्रत्व मांगते हाहा भूतम जगत सर्वम रुंड मुंडा चमेदनी अर्थात जब  गुरु अतिचारी होते हैं शनि वक्री होते हैं तो इस प्रकार की स्थितियां बनती हैं। लेकिन अगर हम हरि स्मरण में रहे तो निश्चित तौर पर जो ऐसे हमारे कई आख्यान भागवत वेद पुराणों में आए हैं कि जो लोग हरि स्मरण में रहे हैं उनका तो सोचिए कि मीराबाई का विष का प्याला भी जो है तो अमृत में बदल गया था।  इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार रिजवान अहमद सिद्दीकी ने बताया कि तकनीकी के युग में जी रहे हैं हमें कई तरह की कई तरह की आशंकाओं से घिरे हुए हैं लोग और खासतौर से अहमदाबाद वाली  दुर्घटना के किसी साजिश की भी आशंका लंबे समय तक रही  है। अभी तक जांच रिपोर्ट ठीक से नहीं आई।  डीजीसीए क्या कर रहा है? बाकी जांच एजेंसी  ने क्या किया? और एक बहुत बड़ी एक जो  चिंता की बात है क्योंकि ये एयरक्राफ्ट जो  बनाती है कंपनियां वो कोई छोटी कंपनियां  है नहीं। वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़े-बड़े प्रोपगेंडा भी करती हैं।  इसलिए कि उस जांच कमेटी में पहले पायलट ही नहीं  शामिल था। कोई प्रोफेशनल पायलट को शामिल  किया जाना चाहिए था। बाद में शामिल किया गया। तो पायलट महसूस कर रहे हैं कि कहीं ऐसा ना हो। ये इतना बड़ा नेक्सेस है, इतनी बड़ी कंपनियां है, इतना बड़े लोग हैं कि वो  कहीं ऐसा ना हो दोष इन्हीं के सर आ जाए। ज्योतिष तो विज्ञान माना है। हमारे यहां  पढ़ाया जाता है कॉलेज में  इसलिए लेकिन तकनीकी तकनीकी रूप से हमें  बहुत बेहतर होना पड़ेगा, उन्नत भी होना  पड़ेगा, सावधान भी होना पड़ेगा। तकनीकी  रूप से बहुत जरूरी है कि इस चीज पर ध्यान  दिया जाए और सबसे बड़ी दुर्घटना तो हमारे  यहां हुई है  और दुर्घटना ऐसी हुई है कि विमान उड़ा और  उसको फ्यूल ही नहीं मिला और वो विमान गिर  गया। कितने लोगों की जान चली गई। विमान  में बैठे इतने ढेर सारे लोग मारे गए और  विमान जहां गिर गया वहां लोग मारे गए।  सबसे बड़ी दुर्घटना का शिकार हम हुए और  विवाद में वही बोइंग आया जिसको लेकर  समय-समय पर लोग आशंका व्यक्त करते हैं। तो इन चीजों का भी बहुत बिना भाई भतीजावाद बिना किसी कॉरपोरेट के प्रभाव बिना किसी  इस तरह की चीजों के प्रभाव में आए हुए एक  ऐसा माहौल एक ऐसी जांच एजेंसी एक ऐसा जांच  का माहौल और ऐसे सुधार का इसलिए कि जांच  की जाए इससे काम नहीं चलेगा। सुधार क्या  किया जाए लेकिन सुधार तभी होगा जब जांच  करेंगे आप। तो दोनों चीजें आपस में जुड़ी  हुई हैं। लेकिन बहुत चिंता की बात है। देखिए सुधार और जांच के बीच में एक जो  लोगों के मन में दहशत है ये कैसे निकाली  जाए? वही यह वैसे ही निकाली जा सकती है कि  आप लोगों पर विश्वास उनका बढ़ाएं जो हम सब  भारतीय लोग खासतौर से हम भारतीय लोग जो  हैं वो बड़े आस्थावान हैं।