पर्यावरणीय अनुमति में गडबड़ी, क्या सुप्रीम कोर्ट इन दोनों आईएएस को जेल भेजेगा!
भोपाल, सबकी खबर।
सिया में चल रहे विवाद का अंततः पटाक्षेप हो गया है। सरकार ने एक बड़ी कारवाई की है। प्रमुख सचिव पर्यावरण और एक और प्रशासनिक अधिकारी को वहां से स्थानांतरित कर दिया है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार उन्हें दोषी मान रही है। इस विवाद का जिम्मेदार मान रही है। लंबे समय से ये विवाद चलता रहा जिससे कई बार कई तरह के बदनामी हुई सरकार की और इसके पीछे वजह क्या है? सरकार आने वाले वक्त में क्या करने वाली है इस पर और पर्यावरणीय जो सुधार है प्रदेश का जिसकी अनुमति देता है विभाग इसका पर्यावरण क्यों बिगड़ गया । दरअसल जिनेवा में 2009 में एक सम्मेलन हुआ था और पूरी दुनिया में जो ग्लोबल वार्मिंग थी उसे लेकर चिंता व्यक्त की गई थी और सभी देशों ने यह कहा था कि अब हम नए प्रोजेक्ट को जो अनुमतियां देंगे पर्यावरण अनुमतियां उसको बाकायदा असेस करेंगे। उसका जो इंपैक्ट पड़ रहा है वो सारी चीजें की जाएगी। भारत ने भी यह निर्णय लिया था कि अब राज्यों के लिए सिया बनाई जाएगी। सिया का फुल फॉर्म है एनवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी। यह बनाई जाएंगी और भारत सरकार यदि केंद्र की कोई योजनाएं हैं तो उसे अनुमति देने का काम पर्यावरण विभाग करेगा। तो मध्य प्रदेश में भी सिया का गठन किया मतलब किया जाता है। और इसके आदेश निकालता है भारत सरकार। यह बात दूसरी है कि मध्य प्रदेश सरकार से नाम लिया जाता है। एक सदस्य बनाया जाता है। एक चेयरमैन बनाया जाता है। और इन इन जो सिया के दोनों पदाधिकारी हैं इन्हें सचिवालय देने का काम मध्य प्रदेश सरकार करती है। मध्य प्रदेश में इस समय सिया के चेयरमैन है रिटायर्ड आईएएस अधिकारी शिव नारायण सिंह चौहान। शिव नारायण सिंह जी चौहान की नियुक्ति हुई थी जनवरी 2025 में। उन्होंने काम भी किया। लेकिन अचानक ऐसा लगा कि पर्यावरण विभाग में जो प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी हैं वो कह रहे थे कि अधिकार मेरे पास होना चाहिए। सिया के चेयरमैन के अधिकारों को छीनने की कोशिश की और एक षड्यंत्र रचा गया। बैठक मत होने दीजिए। उसमें एक्ट में यह लिखा है कि यदि 45 दिन में आवेदन के 45 दिन में आपको अनुमति नहीं मिलती है पर्यावरणीय जिसको हम ईसी बोलते हैं एनवायरमेंट क्लीयरेंस जो इसको ईसी बोलते हैं। यदि 45 दिन में नहीं मिलती है तो फिर आवेदक फिर से प्रोसेस कर सकता है। यह लिखा है। यह नहीं लिखा है कि 45 दिन में नहीं मिलती या बैठक नहीं होती है तो आपको डीम्ड दे दी जाएगी। ऐसा कुछ नहीं लिखा है। तो मई के बाद से वहां जो सदस्य सचिव हैं जिनका नाम उमा महेश्वरी आर है जो एक आईएएस अधिकारी की पत्नी है और खुद आईएएस भी हैं। इन्होंने और प्रमुख सचिव ने एक षड्यंत्र रचा कि अपन बैठक मत होने दो। और प्रमुख सचिव के आदेश से हम इसी जारी कर देंगे।
237 अनुमतियां इन्होंने अपने मनमाफिक तरीके से दे दी
कितना बड़ा आपराधिक कृत इन लोगों ने किया कि 237 अनुमतियां इन्होंने अपने मनमाफिक तरीके से दे दी और इन अनुमतियों के लिए ये जो उमा माहेश्वरी है ये षड्यंत्र की जो मास्टर माइंड भी कह सकते हो आप इन्हें ये जो तीनों अधिकारी हैं इन्ह श्रीमंत शुक्ला की ड्यूटी लगाई। उमा माहेश्वरी जानबूझकर मेडिकल लीव पे जाती हैं। श्रीमंत शुक्ला जी आते हैं और तीन-चार दिन में सारी अनुमतियां जारी कर दी जाती हैं। और इसे लेकर निश्चित तौर पे आप यदि किसी के अधिकारों को छीनेंगे अधिकारों को हनन करेंगे तो वो अपना रिएक्शन करेंगे। तो कहीं ना कहीं जो चौहान साहब हैं जो चेयरमैन है उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराया। आप विश्वास करेंगे उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार को, मुख्यमंत्री को, प्रमुख सचिव को, भारत सरकार को 50 से ज्यादा पत्र लिखे हैं। वे मई से लगातार कह रहे थे कि बैठ के नहीं होने दे रहे ये लोग। वो लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे। चेयरमैन कह हैं कि इन्होंने आपराधिक षड्यंत्र रचा है। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराओ
खुद चेयरमेन बोल रहे हैं इन्होंने आपराधिक षड्यंत्र रचा है इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराओ
मुख्य सचिव क्या कर रहे थे? अनुराग जैन की जो काबिलियत है, उनकी योग्यता है, उनकी ईमानदारी है, कार्य क्षमता है, उससे कोई अनभिज्ञ नहीं है। सब जानते हैं उनके बारे में। लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर उन्होंने चुप्पी क्यों साधी? मुख्यमंत्री व्यस्त वह विदेश भी गए थे और अपने काम में व्यस्त रहते हैं। मुख्यमंत्री के नाक, कान, गला यदि कोई होता है तो मुख्य सचिव होते हैं। मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री को सारी स्थिति अवगत कराना चाहिए था। लेकिन क्या हुआ क्या नहीं हुआ? यह विवाद बिल्कुल सड़कों पे आ गया। कल के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश सरकार ने एक फैसला सुना दिया है कि इस पूरे विवाद में कोई दोषी था तो वो थे नवनीत मोहन कोठारी और उमा महेश्वरी आर यह दोषी थे। एक सीधा संदेश आ गया है। लेकिन मध्य प्रदेश का बड़ा दुर्भाग्य है कि यही काम यदि दूसरे कैडर के किसी अधिकारी ने किया होता तो अभी तक सस्पेंशन हो जाता नोटिस हो जाते शोकाज नोटिस हो जाते लेकिन हमारे यहां जो आईएएस अधिकारी हैं वो भगवान है और जो डायरेक्ट आईएएस हैं वो बड़े भगवान है हमारे यहां इनके खिलाफ कोई सिर्फ जांच होती है उसके बाद सब भूला दिया जाता है।
पांच साल की सजा का प्रावधान
237 अनुमतियां ये बगर लेनदेन के नहीं हुई है। इन्होंने जिस एक्ट का उल्लंघन किया है उसमें साफ-साफ लिखा है कि पांच 5 साल तक की सिया के चेयरमैन के अधिकारों में हनन करने का अपराध है। और वह अपराध की सजा 5 साल है। कोई बड़ी बात नहीं है। आने वाला समय नवनीत मोहन कोठारी और उमा महेश्वरी के लिए बेहद तकलीफ भरा समय आ सकता है। बहुत भारी समय हो सकता है उनके लिए। सीएस के पास सारी जानकारियां थी। इसके बाद भी ताला बंद हुआ। मुख्यमंत्री को विदेश से कहना पड़ा। नवनीत मोहन कोठारी ने क्या सीएस को ऐसी कौन सी जानकारी दे दी? ऐसा इतना अंधेरे में क्या रखा कि जो भी नवनीत मोहन कोठारी चाहते थे वो होता रहा लंबे समय तक। नवनीत मोहन कोठारी ने सीएस को गलत ब्रीफ किया। सीएस ने भरोसा कर लिया सीएस को अब आगे से ध्यान रखना चाहिए आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए नवनीत मोहन कोठारी ने सीएस को बताया के कहीं भी एक्ट में नहीं लिखा है कि सीएस सीआई के चेयरमैन को हम कमरा दें तो सीएस ने कह दिया कि यदि नहीं लिखा है तो आप बंद कर दो तो ये सब चीजें सीएस को सब चीजें देखना चाहिए थी। मुझे ऐसा लगता है क्योंकि यह बात जार में आई है मैं तो था नहीं वहां ये आया है कि नवनीत मोहन कोठारी अपने दम पे नहीं सीएस से पूछने के बाद उन्होंने ताला लगवाया था। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। मुख्यमंत्री ने इस पे निर्णय लिया है। उन्हें जो इसके लिए जिम्मेदार थे प्रारंभिक रूप से उन्हें रास्ता दिखा दिया गया है। उन्हें उस विभाग से हटा दिया गया है। आने वाले वक्त में इस पे और कारवाईयां हो सकती हैं और कारवाईयां अदालती भी होंगी, प्रशासनिक भी होंगी।