भोपाल।
जैन संत 108 मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने भोपाल में 'नारी-साधना और सेवा का स्वरूप' पर उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि नारी सशक्त बने, लेकिन सशक्तिकरण के नाम पर भटकाव नहीं होना चाहिए। नारी को पुरुष बनने की आवश्यकता नहीं है। वह जिस भूमिका में है, उसी में श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि कन्या, पत्नी, जननी, भार्या और कुटुंबिनी की भूमिका में नारी ने हमेशा खुद को सिद्ध किया है। उसे अपनी मौलिकता को अक्षुण्ण रखना चाहिए। यदि नारी संयम, श्रद्धा और विवेक के साथ आगे बढ़े तो वह समाज को नई दिशा देने वाली शक्ति बन सकती है। विद्यासागर इंस्टीट्यूट के श्री विद्याप्रमाण गुरुकुलम् में सकल जैन समाज और अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला परिषद ने महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य नवयुवतियों और महिलाओं को उनके सामाजिक व पारिवारिक उत्तरदायित्वों के प्रति सजग बनाना था।