एमपी के नगरपालिका-परिषद अध्यक्षों को अविश्वास प्रस्ताव का डर, सीएम मोहन तक पहुंचा मामला
भोपाल।
मध्य प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषदों में अध्यक्षों को लेकर यह नियम बनाया गया था कि तीन साल तक उनके खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं आ सकता है. लेकिन तीन साल का यह समय पूरा हो चुका है, ऐसे में मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा हो रही है कि कई नगर पालिका और परिषदों में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारियां हो रही हैं, जिसके बाद मध्य प्रदेश नगर पालिका अध्यक्ष संघ के अध्यक्ष जमना सेन ने सीएम मोहन यादव को पत्र लिखकर एक बार फिर से अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नियमों में बदलाव करने की मांग की है. क्योंकि तीन साल का समय पूरा हो चुका है, जिसके बाद परिस्थितियां बदल रही हैं.
एमपी के कई निकायों में बदल सकती है स्थिति
दरअसल, मध्य प्रदेश में नगर पालिका और परिषदों में पहले अध्यक्ष के खिलाफ 2 साल बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का प्रावधान था. लेकिन पिछले साल अगस्त के महीने में मोहन सरकार ने इस प्रस्ताव में बदलाव किया और अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की अवधि बढ़ाकर तीन साल कर दी, जबकि यह भी बदलाव किया गया कि केवल उसी अध्यक्ष के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा सकेगा जहां पार्षदों में तीन चौथाई की स्थिति होगी. जबकि पहले दो चौथाई अध्यक्षों के विरोध में ही अविश्वास प्रस्ताव आ जाता था. लेकिन बताया जा रहा है कि तीन साल पूरा होने के बाद कई जगह बीजेपी के ही पार्षद अपने अध्यक्ष के खिलाफ बगावत करने के लिए तैयार नजर आ रहे हैं, जिससे कई जिलों में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं.