बैरागढ़, कोलार, काटजू, बैरसिया और मिलिट्री अस्पताल होंगे अपग्रेड
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- शहर के 5 स्वास्थ्य केंद्रों में होगी
- सीजेरियन डिलीवरी, कम होगा बड़े अस्पतालों का लोड
- रोज 10 हजार मरीज आते हैं बड़े अस्पतालों में
भोपाल। राजधानी के सिविल अस्पताल बैरागढ़, बैरसिया, काटजू, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोलार और मिलिट्री हॉस्पिटल को अब फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) के रूप में विकसित किया जाएगा। इन अस्पतालों में ब्लड स्टोरेज यूनिट स्थापित की जा रही है, जिससे अब सीजेरियन डिलीवरी और छोटे ऑपरेशन यहीं हो सकेंगे। इसका उद्देश्य जिला अस्पतालों और बड़े चिकित्सा केंद्रों पर बढ़ते बोझ को कम करना है।
दरअसल, जेपी अस्पताल में प्रतिदिन करीब 1,800 मरीज पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकांश सामान्य बीमारियों के होते हैं। हमीदिया में यह संख्या 2,500, जबकि एम्स में 5,000 तक है। हर दिन राजधानी में 10 हजार मरीज इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। एफआरयू के रूप में सिविल अस्पतालों को विकसित करने से मरीजों को उनके क्षेत्र में ही उपचार मिलेगा और जिला अस्पतालों पर निर्भरता कम होगी।
6 डॉक्टर नियुक्त होंगे, ब्लड यूनिट बनेगी
बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सीधे जिला अस्पताल का रुख नहीं करना पड़े, इसलिए स्वास्थ्य विभाग शहर के नागरिक अस्पताल (सिविल अस्पताल यानी सीएससी) को फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) के तौर पर विकसित कर रहा है। एफआरयू का दर्जा मिलने के बाद अस्पताल में विभिन्न विभागों में छह डॉक्टर नियुक्त किए जाएंगे। इन अस्पतालों में ब्लड स्टोरेज यूनिट भी शुरू की जा रही है। हर मरीज को जिला अस्पताल आने की जरूरत नहीं होगी।
ज्यादा फायदा उन प्रसूताओं को होगा जिन्हें सिजेरियन डिलीवरी के लिए जिला अस्पताल या शहर के बड़े अस्पतालों में भटकना पड़ता है। इन्हें घर के पास ही ?िसजेरियन की सुविधा मिलेगी।
प्रदेश के करीब 280 ब्लॉक में ब्लड स्टोरेज यूनिट तैयार की जा रही हैं। इन्हें एफआर यूनिट के तौर पर तैयार किया जा रहा है। इसमें से 117 के लिए लाइसेंस प्राप्त हो चुका है। 163 नए ब्लड स्टोरेज यूनिट बनाए जा रहे हैं।
फायदा : समय पर इलाज से मातृ मृत्य दर होगी कम
1. अस्पतालों में ब्लड स्टोरेज यूनिट स्थापित करने की तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।
2. खून की कमी से गर्भवतियां एनीमिया का शिकार होती हैं। ब्लड यूनिट होने से मातृ मृत्युदर घटेगी।
3. सड़क हादसे या अन्य कारणों से घायलों को इमरजेंसी स्थिति में खून की जरूरत पूरी हो सकेगी।
अपग्रेडेशन के लिए जरूरी व्यवस्थाएं करने को कहा है...
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लड स्टोरेज यूनिट की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सीएचसी को फर्स्ट रेफरल यूनिट के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं। संस्थागत प्रसव बढ़ने से मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में सुधार होगा।
-राजेंद्र शुक्ला, डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री