मुंबई लोकल-मालेगांव ब्लास्ट: इम्तियाज जलील की मांग – झूठे सबूत गढ़ने वालों की हो जांच
मुंबई: महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट केस में 17 साल बाद एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। एनआईए कोर्ट के जस्टिस ए के लाहोटी ने भगवा आतंकवाद की थ्योरी को खारिज कर दिया। उन्होंने अपने फैसले में टिप्पणी की है कि आतंक को कोई रंग नहीं हाेता है। सितंबर, 2008 के इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत सात लोग आरोपी थे। मालेगांव ब्लास्ट केस के फैसले पर औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। जलील ने पूछा है कि मालेगांव मामले और ट्रेन विस्फोट मामले में झूठे सबूत किसने बनाए? इन अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी? अदालत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो।
जलील बोले-कोर्ट करे कार्रवाई
इम्तियाज जलील एआईएमआईएम (AIMIM) के नेता हैं। वह 2019 के चुनावों में औरंगाबाद से जीतकर सांसद चुने गए थे, हालांकि 2024 के लोकसभा चुनावों में जलील हार गए थे। मालेगांव ब्लास्ट से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट में फैसला देते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था, हालांकि तब महाराष्ट्र सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। मालेगांव ब्लास्ट के फैसले पर इम्तियाज जलील ने झूठे सबूत गढ़ने वाले ऑफिसर्स पर कार्रवाई की मांग की है।
साध्वी प्रज्ञा बोलीं-मैं संन्यास जीवन में थी
मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने पर कोर्ट में साध्वी प्रज्ञा सिंह ने कहा है कि मैं शुरू से ही यह कह रही हूं। मुझे बुलाया गया और मैं एटीएस के पास गई क्योंकि मैं कानून का सम्मान करती हूं। मुझे 13 दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और प्रताड़ित किया गया। मैं एक संन्यासी की तरह जीवन जी रही थी और मुझे आतंकवादी करार दिया गया। इन आरोपों ने मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी। यह मामला 17 सालों से चल रहा है और मैंने संघर्ष किया है।