• भोपाल, सागर में संपत्तियां बेचने के मामले में EOW ने दर्ज की FIR

भोपाल। मध्यप्रदेश के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी को लेकर सहारा समूह और उसके अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जांच में सामने आया कि सहारा ने 210 एकड़ जमीन बेचकर करीब 72.82 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। यह पैसा गरीब निवेशकों का था, जिसे सेबी के खाते में जमा करना था, लेकिन सहारा ने इसे अपने ही लोगों के खातों में डाल दिया। इस मामले में सहारा प्रमुख के बेटे सीमांतो रॉय समेत कई बड़े अधिकारियों पर मामला दर्ज हुआ है। मध्यप्रदेश के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने सहारा समूह की कंपनियों और उनके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन और निवेशकों के  72.82 करोड़ की हेराफेरी के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई तीन शिकायतकर्ताओंआशुतोष दीक्षित (मनु), दीपेन्द्र सिंह ठाकुर और हिमांशु पवैया की शिकायतों के आधार पर की गई है। ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निर्देश दिए थे कि वह अचल संपत्तियां बेचकर प्राप्त राशि SEBI-Sahara Refund Account में जमा करे, जिससे निवेशकों की धनराशि लौटाई जा सके। लेकिन सहारा समूह ने आदेश की अवहेलना करते हुए यह राशि निजी और सहायक कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर दी। भोपाल और सागर में लगभग 210 एकड़ भूमि को औने-पौने दामों पर बेच दिया गया, जिससे लगभग 62.52 करोड़ की राशि प्राप्त हुई, लेकिन इसे सेबी के खाते में जमा नहीं किया गया। जबलपुर, कटनी और ग्वालियर में अवैध कटौतियों के जरिए 10.29 करोड़ का गबन भी सामने आया है।

जमीनें कम कीमत पर बेचीं, आदेशों की खुली अवहेलना
जांच में यह भी सामने आया कि भोपाल में 110.10 एकड़ भूमि जिसकी अनुमानित कीमत 125 करोड़ थी, उसे मात्र 47.73 करोड़ में बेच दिया गया और पूरी राशि 'हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी' के खाते में डाल दी गई। सागर में 99.76 एकड़ भूमि 14.79 करोड़ में बेची गई, परंतु एक भी रुपया सेबी के खाते में नहीं गया। एक विक्रय विलेख में 1.61 करोड़ का चेक बाउंस होने के बावजूद भुगतान दिखाकर रजिस्ट्री कर दी गई, जबकि वास्तविक भुगतान दो साल बाद हुआ।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की बार-बार अनदेखी
5 दिसंबर 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को अचल संपत्तियां बेचकर प्राप्त राशि सीधे सेबी के खाते में जमा करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद 4 जून 2014 को आदेश दिया गया कि संपत्तियां सर्कल रेट से कम पर नहीं बिकेंगी और खरीदार सहारा से जुड़ा नहीं होना चाहिए। वहीं, 2016 में, कोर्ट ने दोबारा कहा कि संपत्तियां सर्कल रेट की 90 प्रतिशत से कम कीमत पर नहीं बिकें और पूरी राशि टीडीएस व कर कटौती के बाद सीधे सेबी खाते में जाए। इन सभी आदेशों का खुला उल्लंघन किया गया। 

फर्जी तरीके से अधिकृत प्रतिनिधियों की नियुक्ति
ईओडब्ल्यू को यह भी पता चला कि संपत्ति विक्रय के लिए जिन प्रतिनिधियों को अधिकृत बताया गया, वे वास्तव में सहारा समूह के ही कर्मचारी थे। इनकी नियुक्ति सिर्फ दिखावे के लिए की गई और किसी बोर्ड बैठक में इनका अनुमोदन नहीं हुआ था।

बड़े अधिकारियों की संलिप्तता, दर्ज हुई FIR
EOW की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए जानबूझकर करोड़ों रुपये की राशि का गबन किया। इसमें सहारा प्रमुख के पुत्र सीमांतो रॉय और कंपनी के पदाधिकारी ओपी श्रीवास्तव और जेबी रॉय की सीधे भूमिका पाई गई है। इनके खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120-B (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

गरीब निवेशकों की मेहनत की कमाई का हरण
यह पैसा उन लाखों छोटे निवेशकों मजदूरों, किसानों और छोटे दुकानदारों का था, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई सहारा में निवेश की थी। सहारा समूह ने इनकी राशि लौटाने के बजाय कानून की अनदेखी कर उसे निजी हितों में इस्तेमाल किया। अब EOW की विस्तृत जांच में और भी नाम सामने आने की संभावना है।