भोपाल,सबकी खबर। 
ईओब्ल्यू ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जिसने  फर्जी मृत्यु प्रमाण के सहारे तकरीबन ₹20 करोड़ की बीमा राशि हड़प ली है। प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण जीवन ज्योति जो बीमा योजना है उसमें यह धोखाधड़ी की गई है। आपको बता दें कि यह जो योजना है इसमें  मृतक के परिजनों को उनके नॉमिनी को दो लाख  की आर्थिक सहायता बीमा के माध्यम से दी  जाती है। इसी का फायदा उठाकर इस गिरोह ने  ग्वालियर में, भिंड में और मुरैना में  इन्होंने आठ बीमा कंपनियों के फर्जी क्लेम  हासिल किए हैं। इसमें बाकायदा मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए गए। मरे व्यक्तियों को  जीवित किया गया या जीवित को पहले मार दिया गया। इस तरह से इन्होंने इस क्लेम किया है। इन्होंने बहुत ही शातिराना ढंग से ये  किया है और इन्होंने जिस तरह से दस्तावेज  हासिल किए हैं वो भी अपने आप में लोगों को सावधान करने वाला वो जो उनकी उनका कृत है वो सावधान करने वाला है। लोगों को समझ  जाना चाहिए कि किसी भी के भरोसे में आकर अपने दस्तावेज उन्हें ना दें। वरना आपके नाम से फर्जी बैंक अकाउंट खोल लिए जाएंगे। आपके नाम से सरकारी योजनाओं का लाभ ले  लिया जाएगा। आपके नाम से ऋण ले लिया जाएगा और ये कई बार इस तरह की घटनाएं सामने पहले भी आई हैं। तो ईओब्ल्यू ने जो इस पूरे मामले में जांच की तकरीबन 20 करोड़  की अभी तक धोखाधड़ी सामने आ चुकी है किस तरह से इन्होंने किस एक एनजीओ के माध्यम से लोगों के दस्तावेज हासिल किए और वो कौन सी कंपनियां हैं बीमा कंपनियां हैं  जिनके फर्जी क्लेम इन्होंने हासिल किए। आठ  बीमा कंपनियां हैं। न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी स्टार यूनियन डाई लाइफ इंश्योरेंस, भारतीय एक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी आईसीआईसीआई  प्रोडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी , मैक्सिमम लाइफ इंश्योरेंस कंपनी यूनाइटेड , इंडिया इंश्योरेंस कंपनी SBI लाइफ  , इंश्योरेंस LIC इंडिया इसमें 2020 से 2024 , जो 5 वर्ष की अवधि है इस अवधि को केंद्रित करके ये जांच की गई थी और  इसमें  नॉमिनी के नाम से अलग-अलग जगह पर इस तरह  की क्लेम हासिल किया गया था। प्रारंभिक  तौर पर कुल 104 क्लेम लिए गए हैं। इन कंपनियों से लिए गए हैं। तकरीबन ₹20 करोड़ की यह राशि है जिसकी अभी तक जानकारी हासिल  हो गई है । इसके अलावा भी अन्य  कंपनियों की भी जांच कर रही है वो। इसमें कंपनियों के भी कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। जो ग्वालियर में जो क्लेम लिए गए हैं, उसका तरीका यह था कि इन्होंने एक एंटी करप्शन फाउंडेशन वर्ल्ड नामक एक  संस्था से लोगों को जोड़ने के लिए उसका  सदस्य बनाने के नाम पर लोगों से उनके दस्तावेज हासिल किए। कम पढ़े लिखे, गरीब या विश्वास करने वाले लोगों को ही इन्होंने टारगेट किया और इन्होंने उनसे  उनके आधार कार्ड अन्य ऐसे दस्तावेज हासिल कर लिए। उनके नाम पर बैंक में अकाउंट खुलवाए। फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाए। कई मामलों में तो उन्होंने यह भी किया है  कि जो जीवित व्यक्ति हैं उन्हें मृत घोषित  कर दिया और कई मामलों में इन्होंने मृत  व्यक्ति को पहले जीवित घोषित किया उसके  नाम से बैंक में अकाउंट खुलवाए उसका  नॉमिनी किसी को बनाया और यह क्लेम वसूल  लिए। पहले भी मुरैना में भी इस तरह की  धोखाधड़ी हुई है और भिंड में भी हुई है। इन इस पूरे मामलों में दो तरह का इन्होंने  तरीका अपनाया था। एक वो इन्होंने सचिव और  अन्य जो अधिकारी कर्मचारी हैं उनसे मृतकों  की संख्या संख्या हासिल की। मृतकों की जानकारी ली। इस इसी एनजीओ के माध्यम से और  इन्होंने उन मृतकों को सरकारी दस्तावेज में एक बार फिर जीवित  किया। जीवित करके उनके नाम से अकाउंट खोले।