• मंत्री संपतिया उईके के जिले में टेंडर की दर 265 फीसदी बढ़ाई

भोपाल। जल जीवन मिशन के तहत पीएचई विभाग के अधिकारियों ने सरकार को 2800 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। जल जीवन मिशन के तहत पाइप लाइन बिछाने के काम में तय टेंडर के दरों में मनमानी बढ़ोतरी की गई। खास बात तो यह है कि विभाग की मंत्री संपतिया उईके के जिले में टेंडर की दर 265 प्रतिशत तक बढ़ाई गई। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उईके पर जल जीवन मिशन से जुड़े 1000 करोड़ रुपये के कमीशन लेने के आरोपों के बाद अब एक नया खुलासा हुआ है। जल जीवन मिशन के तहत विभाग के अधिकारियों ने अलग-अलग जिलों में टेंडर की दरों में मनमानी बढ़ोतरी की। इससे सरकार को 2800 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया। इन इंजीनियरों ने सर्वे में छूटे हुए घरों में पानी पहुंचाने के नाम पर टेंडर की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बदलकर उसकी लागत 50 से 60 प्रतिशत तक बढ़ा दी थी। यह खेल विभाग के उच्च अधिकारियों और इंजीनियरों के आपसी तालमेल से हुआ था, इसलिए इसकी भनक किसी को नहीं लगी।
141 इंजीनियरों को नोटिस
इस मामले का खुलासा होने के बाद 141 इंजीनियरों को नोटिस जारी किया गया है। गांवों में जल जीवन मिशन के तहत सर्वे नहीं होने की शिकायत जिलों के कलेक्टरों के माध्यम से पीएचई के प्रमुख सचिव पी. नरहरि तक शिकायत पहुंची थी।
आठ लाख घरों का नहीं हुआ सर्वे
इसके बाद पी. नरहरि ने गांवों का सर्वे कर जमीनी हालात जाने तो पता चला कि प्रदेश के 8 लाख घरों का सर्वे ही नहीं हुआ है। जांच के बाद आईएएस पी. नरहरि ने रिपोर्ट मुख्य सचिव अनुराग जैन को सौंपी और मामला मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक पहुंच गया। 
मंत्री के गृह जिले में बड़ी धांधली
मंत्री संपतिया उईके के गृह जिले मंडला में टेंडर की दर 117 प्रतिशत तक बढ़ गई। वहीं, उनके प्रभार वाले जिले सिंगरौली में यह बढ़ोतरी 265 प्रतिशत तक पहुंच गई। बता दें, इस मामले में पीएमओ को शिकायत मिली थी, जिस पर उन्होंने राज्य सरकार को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। इस पर पीएचई विभाग के प्रमुख अभियंता संजय अंधवान ने सभी मुख्य अभियंताओं और जल निगम के परियोजना निदेशकों से रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। 

मंत्री ने खुद को बेदाग बताया
हालांकि, इस मामले के मीडिया में आने के बाद हंगामा मच गया था। मंत्री ने मामले में खुद को बेदाग बताया था। साथ ही सरकार ने भी मंत्री को बचाव किया था। अब जिलों में टेंडर की संशोधित दरों की सूची बाहर आने के बाद फिर मामला गरमा गया है।