रीवा के 184 वर्ष पुराने लक्ष्मण बाग मंदिर की करोड़ों की भूमि पर माफिया की नजर!
रीवा, सबकी खबर।
रीवा में 58 एकड़ में 1841 में एक मंदिर बनाया गया था भगवान लक्ष्मण का मंदिर और इसे लक्ष्मण बाग संस्थान के नाम से जाना जाता है। अब भूमाफिया की नजर इस पर लग गई है और एक के बाद एक षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। कैसे यह 58 एकड़ जमीन भूमाफिया हथिया ले और इसी को लेकर आज रीवा में संभाग आयुक्त को एक ज्ञापन भी दिया गया है। कलेक्टर को भी ज्ञापन दिया गया है। दरअसल रीवा में तत्कालीन जो महाराजा थे जिनका नाम विश्वनाथ प्रताप सिंह जुदेव है। उन्होंने 1841 में एक मंदिर बनाया था और यह भगवान लक्ष्मण का मंदिर था। लगभग 58 एकड़ में यह मंदिर बनाया गया है। आज यह पूरा मंदिर रीवा शहर के बीच में आ गया है। और आप समझ सकते हैं शहर के बीच में यदि जमीन आ जाती है तो भूमाफिया की नजर सबसे पहले इस जमीन पर पड़ जाती है।
इसी जगह पर रखा गया था महात्मा गांधी का अस्थि कलश
सबसे बड़ी बात है कि जब महात्मा गांधी का निधन हुआ था और अंतिम संस्कार के बाद उनका अस्थि कलश जब रीवा लाया गया था तो इसी संस्थान की जमीन पर रखा गया था। इस संस्थान को लेके कई एग्रीमेंट हुए हैं। क्योंकि पहले यह विंध्य प्रदेश में आता था। जब राज परिवार चले गए तो व प्रदेश बना यहां पर एक महंत को बिठाया गया और इन महंत का नाम था महंत स्वामी जी उन्हें अध्यक्ष बनाया गया था और वे इस पूरे ट्रस्ट की देखरेख किया करते थे। लेकिन 2005 में शिकायतें आई कि महंत वहां पर कुछ गड़बड़ी कर रहे हैं। क्योंकि स्वामी जी महंत के बाद में एक और महंत आए थे। महंत श्री हरिवंसाचार्य जी महाराज। इनके समय में कुछ गड़बड़ियां हुई थी और इसकी शिकायत जब भोपाल तक आई थी तो भोपाल के धर्मस्व विभाग ने 2005 में यह महंत को हटा दिया था और कलेक्टर को वहां का अध्यक्ष बना दिया था।तब से लेकर आज तक यानी लगभग 20 साल से वहां महंत नहीं है और इस ट्रस्ट की देखरेख कलेक्टर करते हैं। इस जमीन में से लगभग पांच एकड़ जमीन पर इंक्रोचमेंट हुआ है जिसे प्रशासन को हटाना चाहिए लेकिन आज तक कलेक्टर ने कोई कारवाई नहीं की है। अब खबर यह आ रही है कि इस जमीन पर भूमाफिया की नजर है और कैसे इस जमीन को हथिया जाए इसके लिए एक पूरी पटकथा लिखी गई है।
यह हैं असल कहानी
दरअसल उज्जैन में एक विश्वविद्यालय है संस्कृत विश्व विश्वविद्यालय जिसका नाम हम और आप सब जानते हैं महर्षि परिणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय इसका रीवा में ऑफिस खोला जाना है। इसमें रीवा में कॉलेज खोला जाना है और इसके लिए इस संस्थान की जमीन खरीदने का प्रस्ताव कलेक्ट्रेट में बना है। यह बेशक इस कॉलेज के लिए जमीन मांगी जा रही है। लेकिन इसके पीछे पटकथा यह है कि कॉलेज के बाद में यह जमीन देने का अधिकार बेचने का अधिकार कलेक्टर को मिल जाएगा और फिर यह कलेक्टर इस जमीन को पूरा खुर्द मुर्द करने लिए नेताओं के साथ बैठ के कोई भी योजना बना सकते हैं। अब इसका विरोध शुरू हो चुका है। आज कांग्रेस ने बाकायदा कलेक्टर को और कमिश्नर को ज्ञापन दिया है। कांग्रेस की ओर से जो ज्ञापन दिया गया है। इसमें बाकायदा इन्होंने कहा है कि इसको किसी भी कीमत पर संस्थान की जमीन नहीं बिकना चाहिए। कांग्रेस ने कहा है कि यह सनातनी संपत्ति है। मतलब जो सनातन की बात बीजेपी कर रही थी उस सनातन की बात आज रीवा में कांग्रेस करती हुई दिखाई दी है। कांग्रेस की ओर से सुभाष तिवारी, विनोद शर्मा और कुंवर सिंह पटेल ने संभाग आयुक्त से मुलाकात की है और उन्हें बाकायदा ज्ञापन दिया है। ज्ञापन देने के बाद कांग्रेस नेता विनोद शर्मा ने कहा जब तक भूस्वामी दस्तखत नहीं करेगा तो उस जमीन का कोई भूर्जन नहीं कर सकता। तो भूमि स्वामी कौन है उस संस्थान का? रीवा की कलेक्टर और रीवा की कलेक्टर ने ही राजेंद्र शुक्ला के दबाव में वो दे रहे हैं किसी और को। क्यों दे रहे हो भाई? तुम जब दे ही नहीं सकते।
सबसे बडा सवाल महाकाल के सेवक और प्रदेश् के सीएम मोहन क्या कार्रवाई करेंगे
सबसे बड़ी बात यह है कि महाकाल के बेटे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस खबर के बाद क्या रवैया अपनाते हैं यह देखना होगा दरअसल ये वो चीजें हैं वो संपत्तियां हैं वो इतिहास है वो हमारे हमारी धरोहर है जो हमें हमारा इतिहास की याद दिलाती है। हमारी जो संस्कृति है उसकी याद दिलाती है और जो हमारे पूर्वजों ने ये जो मंदिर बनाए हैं जो संपत्तियां खड़ी की हैं इसे खुर्द बुर्द नहीं होना चाहिए। निश्चित तौर पे आज कांग्रेस ने जो कुछ किया है उसकी मैं अनुमोदना ही करूंगा क्योंकि यह तो बीजेपी को भी करना चाहिए क्योंकि यह सनातन का स्थान है। यदि भूमाफियाओं की नजर लगी है। नेताओं की नज़र लगी है तो कांग्रेस के जिम्मेदार लोगों को कांग्रेस के अह भारतीय जनता पार्टी के जिम्मेदार लोगों को भारतीय जनता पार्टी के आम कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं को नहीं बल्कि रीवा के आम आदमी को भी उठ खड़ा होना चाहिए। इस तरह से इस जमीनों को खुद होने से सब लोग मिलकर बचाएंगे। तभी आप यह सब चीजें बच पाएंगी।