• 14 महीने के बच्चे समेत 8 घायल

  • कुछ अन्य के फंसे होने की आशंका

नई दिल्ली । दिल्ली के वेलकम इलाके में शनिवार सुबह चार मंजिला इमारत ढह गई। बिल्डिंग में 10 लोगों का एक परिवार रहता था। हादसे में 14 महीने के बच्चे समेत आठ लोग घायल हैं। अभी भी मलबे में तीन-चार लोगों के दबे होने की आशंका है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। एक अधिकारी ने बताया कि सुबह 7 बजे सीलमपुर में ईदगाह रोड के पास जनता कॉलोनी की गली नंबर 5 में एक इमारत गिर गई। फायर ब्रिगेड की सात गाड़ियां मौके पर मौजूद हैं। कई अन्य एजेंसियां भी राहत कार्य में जुटी हैं।

स्थानीय लोगों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया

जब बिल्डिंग गिरी उस समय स्थानीय लोग सुबह की सैर पर निकले थे। इन्हीं लोगों ने सबसे पहले बचाव कार्य शुरू किया। फायर ब्रिगेड के मौके पर पहुँचने से पहले ही मलबे में फंसे लोगों को बचाने की कोशिश शुरू कर दी गई। बाद में फायर ब्रिगेड की मदद से तीन लोगों को निकाला गया। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के एडिशनल DCP संदीप लांबा ने बताया कि बचाव कार्य जारी है। पुलिस, NDRF, सिविल डिफेंस और स्थानीय लोग मौके पर काम कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बचाव अभियान में बहुत मदद की है।

3 महीने पहले इमारत गिरने से 11 लोग मरे थे

NDRF के DIG ने कहा बताया था जब बिल्डिंग के फ्लोर एक के ऊपर एक गिर जाते हैं, तो इसे पैनकेस कोलैप्स कहते हैं। इसमें बचने की संभावना बहुत कम होती है। दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में 18 अप्रैल की देर रात ढाई बजे चार मंजिला बिल्डिंग ढह गई थी। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी। 20 साल पुरानी इमारत के गिरने के बाद 12 घंटे से ज्यादा समय तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला था। पुलिस के मुताबिक इमारत में 22 लोग रहते थे। इनमें बिल्डिंग के मालिक तहसीन और उनके परिवार के 7 सदस्यों की मौत हो गई। इनमें 3 महिलाएं और 4 बच्चे शामिल हैं। माना जा रहा है कि हादसा तेज बारिश और आंधी-तूफान के चलते हुआ। इमारत गिरते ही आस-पास धूल का गुबार बन गया, CCTV में समय शुक्रवार रात 2.39 बजे का है।

पड़ोसी बोले- ऐसा लगा जैसे भूकंप आया है

हादसे के वक्त पड़ोस में रहने वाले लोगों ने भी भूकंप के झटके जैसे महसूस किए और कहा कि उनके नीचे की मंजिल हिल रही थी। यहां रहने वाले रेयान ने बताया कि हमें लगा कि हमारे घर पर कुछ गिरा है, लेकिन जब हमने बाहर देखा तो पाया कि हमारे बगल की पूरी इमारत मलबे में तब्दील हो गई है। एक अन्य निवासी सलीम अली ने बताया कि सीवर का गंदा पानी सालों से इमारतों की दीवारों में रिस रहा है और समय के साथ नमी ने इमारत को कमजोर कर दिया है, जिससे दीवारों में दरारें पड़ गई हैं। इसी वजह से हादसा हुआ। चार से पांच इमारतों की कंडीशन अब भी खतरनाक है।NDRF के DIG मोहसिन शाहिदी ने कहा कि मुस्तफाबाद हादसे को पैनकेक कोलैप्स कहते हैं। इस तरह के हादसों में बिल्डिंग के फ्लोर एक के ऊपर एक गिर जाते हैं, जहां बचने की संभावना बहुत कम होती है। यह भीड़भाड़ वाला इलाका है, इसलिए मलबा हटाने का काम चुनौतीपूर्ण हो गया। जगह की कमी के कारण भारी मशीनरी का इस्तेमाल नहीं हो सका।