वीर बाल दिवस पर गुरुद्वारा पहुंचे सीएम मोहन बोले-

- हमारे समाज ने बाल दिवस मनाने को लेकर पूर्व में गलती की थी जिसे पीएम मोदी ने सुधारा
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि हमारे समाज ने पहले गलती की थी कि किसी दूसरे दिन बाल दिवस मनाया जाता था लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाल दिवस 26 दिसम्बर को मनाने का ऐलान कर गलती को सुधारा है। राजधानी के हमीदिया गुरुद्वारा में गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों का बलिदान दिवस पर माथा टेकने के बाद सीएम यादव ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद आज वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है। सच्चे अर्थों में गुरु गोविन्द सिंह के परिवार के बलिदान को स्मरण कर रहा हूं। हमारे समाज ने पुरानी गलती की थी और किसी और दिन बाल दिवस मानने की थी। इससे संशोधित करते हुए आज 26 दिसम्बर को बाल दिवस मनाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह के चार बच्चों में से दो मैदान में और दो दीवार में हंसते- हंसते देश के लिए बलिदान हो गए। यह पराक्रम, श्रद्धा, आस्था और विश्वास रखने का दिन है कि भविष्य की पीढ़ियां अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए तैयार रहती हैं। परमात्मा से कामना है कि दोबारा ऐसा दिन न आए। जैसे कष्ट गुरुजी और उनके साहिबजादों ने भोगे हैं, ऐसे दिन अब न देखने पड़ें।
गुरुद्वारे में माथा टेका, गुरबाणी सुनी
इसके पहले मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने वीर बाल दिवस पर हमीदिया रोड गुरुद्वारा पहुंचकर माथा टेका। उन्होंने साहिबजादों के बलिदान का स्मरण किया और गुरबाणी का श्रवण भी किया। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने वीर बाल दिवस पर हमीदिया रोड गुरुद्वारे में जो बोले सो निहाल- सत श्री अकाल के उद्घोष के साथ अपना संबोधन आरंभ करते हुए कहा कि आज का दिन भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व के लिए विशेष है। गुरु गोविंद सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन, धर्म- समाज और देश के लिए समर्पित कर दिया। ऐसे महान व्यक्तित्व का यह सौभाग्य था कि उनके परिवार ने भी स्वयं को देश पर बलिदान किया। यह इतिहास की अद्वितीय घटना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करतारपुर साहब के दर्शन की व्यवस्था और आज के दिन के वीर बाल दिवस के रूप में आयोजन जैसी अनेक सौगातें प्रदान की हैं।
भारत भवन में वीर बाल दिवस कार्यक्रम
मुख्यमंत्री आज कैबिनेट के मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मंथन बैठक के पहले राजधानी के भारत भवन में वीर बाल दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में सिख समाज के धर्मगुरु और अन्य गणमान्य नागरिकों की मौजूदगी रही।