• 400 से अधिक पैरामीटर और सरकार की प्राथमिकता बनेगी रेटिंग का आधार

भोपाल। मोहन यादव सरकार कलेक्टरों के बार-बार किए जाने वाले तबादलों पर कंट्रोल करने के बाद अब उनके कामों की रेटिंग करा रही है। योजनाओं पर अमल के लिए तय की परफार्मेंस इंडिकेटर के साथ डायनॉमिक पैरामीटर भी रेटिंग तय करने में प्रभावी भूमिका निभाएंगे। सरकार ने परफार्मेंस रेटिंग के लिए पहले स्टेट कॉल सेंटर से किए गए कॉल को आधार बनाया था लेकिन अब इसमें बदलाव किया जा रहा है। कॉल सेंटर से कॉल के जरिये लिए गए फीडबैक में अच्छा काम करने वाले कई कलेक्टरों की रेटिंग कमजोर आई थी। इस कारण भी इसमें बदलाव किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मई में हुई समाधान ऑनलाइन की बैठक में यह कहकर सभी 55 जिलों के कलेक्टरों को चौंकाया था कि उनके पास हर कलेक्टर की परफार्मेंस रिपोर्ट है लेकिन इस बार इसे वायरल नहीं कर रहे हैं। अब जिलों की ग्रेडिंग का काम सरकार करा रही है। इसके बाद अच्छा काम करने वाले कुछ कलेक्टरों ने इसकी जानकारी जुटाई तो पता चला कि सरकार के फार्मूले के चलते अच्छा करने के बाद भी वे कमजोर परफार्मेंस वाले जिलों में शामिल हैं। इसके बाद ग्रेडिंग फार्मूले पर सवाल भी उठाए जाने लगे और यह बात सरकार तक पहुंच गई है जिसे अब और पावरफुल बनाने की तैयारी है ताकि कलेक्टरों की सही रिपोर्ट मिले और कोई आवाज न उठा सके। अगले दो माह में पैरामीटर्स फिक्स होने के बाद हर माह उसी के आधार पर परफार्मेंस रेटिंग तय की जाने लगेगी।

400 से अधिक पैरामीटर के आधार पर तैयार होगी रिपोर्ट

एमपीएसईडीसी के सीईओ आशीष वशिष्ठ बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से इस पर काम शुरू हुआ है। इसके लिए एक-दो नहीं बल्कि 400 से अधिक पैरामीटर्स के आधार पर परफार्मेंस तय करने की व्यवस्था की गई है। अभी कुछ और पैरामीटर्स भी बढ़ सकते हैं। वशिष्ठ के अनुसार सभी विभागों की योजनाओं के पैरामीटर्स इंडीकेटर और डायनॉमिक पैरामीटर्स के आधार पर परफार्मेंस रिपोर्ट बनाने का काम किया जाएगा।