भोपाल, सबकी खबर। 

शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन  यादव के निर्देश पर एक बहुत बडी कार्रवाई हुई है। ऐसा लगता है कि गरीबों  को हक देने की दिशा में बहुत बड़ा कदम मोहन सरकार ने उठा लिया है। दरअसल सहारा ग्रुप जो है उसने  छोटे-छोटे निवेशकों निवेशकों से पैसा लिया था और कई शहरों में जमीनें खरीदी थी। सहारा जब डूबने लगा तो यह जमीनें ओनेपौने दांव पर बेच दी गई हैं। शुक्रवार को मध्य प्रदेश में ईओडब्ल्यू ने एक एफआईआर दर्ज की है और वो  एफआईआर दर्ज की है सहारा ग्रुप के जो चेयरमैन रहे हैं संस्थापक सुब्रत राय के  बेटे हैं जिनका नाम है सीमांतो राय और एक संस्थापक उनके एक डायरेक्टर हैं इनका नाम  है जेवी रॉय और इनके एक डिप्टी मैनेजर वर्कर हैं ओपी श्रीवास्तव। तीनों पर एफआईआर की गई है और इन पर आरोप लगाया लगा  है कि इन्होंने जमीनें बेचने के मामले में  लगभग 72 करोड़ 82 लाख की अनिमितता की है।  घोटाला किया है। यहां मुख्यमंत्री मोहन यादव की मंशा साफ जाहीर होती हैं कि  वह उन गरीबों को हक दिलाना है जिनका यह पैसा है जिसे ये डकार गए है। लेकिन खबर का दूसरा पहलू यह भी हैं कि सबसे बड़ा झटका मध्य प्रदेश के अरबपति विधायक संजय पाठक को भी लगा है।  क्योंकि आज जिन पांच शहरों में जमीनों को  लेकर एफआईआर हुई है, उसमें से तीन शहर की जमीनें संजय पाठक उनके परिवार की कंपनियों ने खरीदी है। इस एफआईआर  में यह कहा गया है कि भोपाल, जबलपुर,  सागर, कटनी और ग्वालियर पांच शहरों में यह  जमीनों की जो खरीद फरोख्त हुई है, इसमें  आर्थिक अनिमितता करीब 72 करोड़ 82 लाख की  हुई है। दरअसल, सहारा की जमीनें बेचने के  मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ  निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना  है कि बाजार दर से कम से कम 90 प्रतिशत की दर से  यह जमीनें बिकना चाहिए। कम से कम ज्यादा  मिले तो और अच्छा है। और यह पैसा पूरा  सेबी के अकाउंट में जमा होना चाहिए। लेकिन बड़ी बात यह है कि ना तो यह 90% जो होना  चाहिए वह हुआ है और ना ही पूरा पैसा सेबी  के अकाउंट में जमा हुआ है। इस संबंध में  कटनी के एक सामाजिक  कार्यकर्ता हैं जिनका नाम है आशतोष मनु  दीक्षित। उन्होंने एक शिकायत ईओब्ल्यू में की थी। इसके अलावा कुछ और शिकायतकर्ता हैं  जिनमें दूसरा नाम है दीपेंद्र सिंह ठाकुर  और एक नाम है हिमांशु पवैया। इन लोगों ने  यह शिकायतें की थी और ईओडब्ल्यू पिछले 5 छ महीने से इस पर लगातार एक तरह से जांच  कर रही थी। सबकी खबर ने पहले भी आगाह किया था कि संजय पाठक के हाथ से  310 एकड़ जमीन फिसलने वाली है। हालांकि हमने नहीं कहा था कि ईओब्ल्यू  में एफआईआर हो रही है। पर सबकी खबर के पास जो सूत्र ओर जो जानकारी सामने आई थी उससे यह तो पक्का था कि इन जमीनों को लेकर ईओडब्ल्यू कोई बडा कदम जरूर उठाएगी। जो शुक्रवार को एफआईआर हो गई है और यह जो जमीन  जिसे संजय पाठक ने मात्र 80 करोड़ में  खरीदा है 312 एकड़ जमीन संजय पाठक  ने  भोपाल  कटनी और जबलपुर में जो खरीदी है वह लगभग 80 करोड़ में खरीदी है और आप विश्वास  करेंगे यह जमीन बाजार कीमत इसकी 1000 करोड़ की है। संजय पाठक तो बड़े खुश हो  रहे थे 2022 में जनवरी फरवरी में जमीनों की रजिस्ट्रियां हुई थी। अब तो वे  अरबपति खरबपति हो गए। लेकिन आज पूरी हवा निकाल दी डॉक्टर मोहन यादव  ने। मोहन  यादव  का साफ-साफ कहना है, साफ-साफ  मानना है कि जो गरीबों का पैसा है, वह  गरीबों के खाते में जाना चाहिए और आज इस बात को उन्होंने सिद्ध कर दिया है।  उन्होंने चिंता नहीं की कि ये जमीन उनके विधायक ने खरीदी है। उन्होंने चिंता नहीं  की सागर की जमीन बीजेपी के नेता ने खरीदी  है। उन्होंने चिंता नहीं की ग्वालियर की  जमीन में कौन नेता इसके पर्दे के पीछे है।  आज मोहन यादव ने ईओडब्ल्यू को सीधे  निर्देश दिए कि यदि दोषी हैं तो एफआईआर करिए अब हमारे सूत्र हमें जो बता रहे हैं वह सुनेंगे तो चौंक जाएंगे। यह सारी पांच शहरों की जमीनें इसकी रजिस्ट्रियां शून्य  होंगी क्योंकि इसमें हाई कोर्ट के आदेश का  उल्लंघन हुआ है। बेशक आप कितनी भी  लिटिगेशन में चले जाएं। यह जमीनें अब  विवाद में आ चुकी हैं। और बड़ी बात यह है  कि सुबत राव के बेटे सुब्रत राय जो सारा  के सारा श्री कहलाते थे। उनके बेटे आरोपी  हैं और कभी भी इसमें गिरफ्तारी हो सकती  है। हमारे सूत्र तो हमें एक और बड़ी बात  बता रहे हैं। इस मामले में अगले कुछ दिनों में ईडी की एंट्री होने वाली है। ईडी  प्रतीक्षा कर रही थी इस एफआईआर की। यह  एफआईआर आ गई है। इसमें  बड़ी बात यह है कि एफआईआर हुई है खरीददार  के बेच बेचवाल के खिलाफ। जिसने बेचा पैसा  लिया सेबी में जमा नहीं किया। लेकिन खरीददार भी कम दोषी नहीं होंगे  क्योंकि उन्हें पता था जब उन्हें यह पता  था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। जब उन्हें यह पता था कि 90% से कम पे नहीं  खरीद सकते तो उन्हें यह भी पता था कि पैसा सेबी के अकाउंट में देना है जो इन्होंने नहीं दिया है। यह भी आरोपी बन सकते हैं  आगे चलके। संजय पाठक का परिवार  क्योंकि संजय पाठक की जिन दो कंपनियों में  यह जमीन खरीदी गई है। इनकी एक कंपनी है snap रियलस्टेट  जिसने यह जमीन खरीदी है। और दूसरी कंपनी  का नाम है न्याया यह दोनों कंपनियों के में केवल दो  ही पार्टनर हैं। एक संजय की मां और एक  संजय के बेटे। इन्होंने ₹80 करोड़ में यह  जमीनें खरीदी थी। खुश तो बहुत थे कि 1000  करोड़ का माल 80 करोड़ में मिल गया है।  लेकिन अब एक बड़ी आफत बड़ी संकट में फंस  चुके हैं। 
पाठक जी अब तो ईडी भी आ रही हैं 
ईडी बहुत जल्दी आ रही है। और अब ईडी इस मामले में बहुत  बड़ी कारवाई करेगी। यह जो एक साजिश  के तहत सहारा की जमीन  ओनेपौने दांव पे खरीद दाव में खरीदने के लिए सच्चाई यह है कि यह गरीबों का पैसा है  और सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि  मोहन यादव ने कडी कार्रवाई करने का मन बना लिया है। उनकी इच्छा यह है कि यह जो पैसा है यह जो जमीनें हैं वो खुले बाजार में नीलाम की जाना चाहिए और हो सकता है खुले बाजार में  नीलाम करेंगे तो 80 करोड़ की जमीन 1000  करोड़ में बिकेगी और यह 1 करोड़ 1000  करोड़ गरीबों में बटेंगे सेबी के पास जो  पैसा जाएगा जिनने निवेश किया है यह उनको  मिलना मिलेगा यह पैसा पाठक की जेब  से तो निकलने वाला है। 
भोपाल में भी हैं सहारा की जमीन
दरअसल पांच शहरों में यह सहारा की जमीनें खरीद बिक्री हुई  है। भोपाल में जो होशंगाबाद रोड पर भोजपुर के वहां  सहारा की 110.10  एकड़ जमीन है। जिसे 47 करोड़ 73 लाख में  विक्रय करना दिखाया गया है। और सेबी के खाते में ₹1 भी जमा नहीं हुआ। पूरा पैसा ऊपर ही ऊपर कहीं गायब हो गया।  सागर में थी 99.76  एकड़ जमीन। यह 14 करोड़ 79 लाख में बिकी है और सेबी के अकाउंट में एक भी जमा नहीं  हुआ। कटनी में थी 99.43  एकड़ जमीन 22 करोड़ में बिकी है। सेबी के अकाउंट में 14 करोड़ 85 लाख जमा हुए। 7 करोड़ 15 लाख निकाल के दूसरी जगह ट्रांसफर कर लिए। जबलपुर में जो संजय पाठक  के  परिवार ने खरीदी है 99.44  एकड़ जमीन है। यह बिकी है 20 करोड़ 60 लाख  में 17 करोड़ 7000 सेबी में जमा हुए।  बाकी 3 करोड़ 53 लाख दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिए गए हैं। ग्वालियर में 99.76 एकड़ जमीन है। 18 करोड़ 60 लाख में बिकी है और थोड़ा बहुत पैसा जमा किया गया है सेबी में। ₹1 करोड़ 72 लाख इसमें भी कटौती कर ​ली गई है। तो यह आरोप लगा है कि 72 करोड़ 82 लाख इसमें निकाल लिए गए हैं। अब आपराधिक केस दर्ज हो गया है। आईपीसी की धारा 420 और 120 बी यानी आपराधिक षड्यंत्र के तहत यह तीन आरोपी अभी बनाए गए हैं। लेकिन इसमें और आरोपी बढ़ेंगे। अभी इसमें केवल  बेचने वाले आरोपी बने हैं। अब खरीददार भी  आरोपी बनेंगे। संजय पाठक मध्य प्रदेश के अरबपति विधायक को एक  सप्ताह में दूसरा बड़ा झटका लगा है। मानना पड़ेगा मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को अब वे  नहीं सुन रहे किसी की। कोई विधायक लल्लू  चप्पो करने पहुंच जाए। कोई विधायक आर्थिक  अनमित ना करें। वह छोड़ ही नहीं रहे किसी  को भी। पाठक आपने एक्सिस माइनिंग की  थी। इसी आशुतोष मनु दीक्षित ने शिकायत की  थी। ईओडब्ल्यू में ही की थी। ईओब्ल्यू ने  वो शिकायत भेज दी खनन में। खनन ने तत्काल  जांच टीम बना दी। जांच टीम ने रिपोर्ट दे  दी और अब भोपाल से  जबलपुर कलेक्टर को पत्र गया है ₹540 करोड़  की रिकवरी का। अब कलेक्टर साहब उसको जब बनाएंगे तो वह हो जाएगा लगभग 1100 करोड़  क्योंकि उसमें अभी ब्याज भी लगना है।  उसमें जीएसटी भी लगना है।  1100 करोड़ में यदि आप कोर्ट में अपील  करने जाएंगे तो बताते हैं 20% लगता है।  यानी ₹200 करोड़ आप अपनी जेब में रख लीजिए  जमा करने तब तो कोर्ट आपकी सुनवाई करेगा।  वरना आपकी कोई सुनवाई नहीं है। ₹100 करोड़  तो वहां जमा करने की तैयारी कर लीजिए आप।  और 1000 करोड़ के आसपास का यह फटका लग  गया आपको तो यह समय शायद आपका ठीक नहीं चल  रहा है । अभी और भी मामले में जिनमें आपके खिलाफ कारवाई होना लगभग है।  लगभग क्या मतलब 100% मान के चल रहा हूं।  अभी बहुत सारे मामले हैं। आपने जबलपुर में  जो नगर निगम की अधिकृत जमीनें खरीद ली हैं। वह भी 200 करोड़ से कम की नहीं है।  वह सारी जमीनों को लेकर आज नहीं तो  कल हाई कोर्ट उसमें जांच के आदेश दे चुका  है। ऐसे कई मामले हैं। आपने ढिंडोरी में गरीब आदिवासियों के नाम से 1173 एकड़ जमीन  खरीद ली है। बेनामी जमीनें हैं। आज नहीं तो कल इनकम टैक्स उनको सीज करेगा, अटैच  करेगा। अब तो तमाम फाइलें हैं।अब आपकी फाइलें खुलना शुरू हुई है। अभी  अभी दो खुली है जिसमें लगभग 2000 करोड़ का फटका आपको लगा है। अभी कई फाइलें खुलने बाकी है। पाठक जी देखिए आगे आगे होता है क्या।