• मुख्य याचिका के साथ सुनवाई के निर्देश

जबलपुर। याचिका में दावा किया गया कि उक्त कचरे में रेडियोएक्टिव पदार्थ शामिल थे, जिनमें नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया लंबे समय से जारी थी। ऐसे में विनष्टीकरण के बाद भी राख में ये जहरीले तत्व शेष हैं, जो न केवल मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित करेंगे बल्कि इसका प्रभाव पूरे मानव समुदाय और पर्यावरण पर पड़ेगा। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे की राख में रेडियोएक्टिव तत्वों की मौजूदगी के आरोपों के बीच जबलपुर हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश जारी किया है। लैंडफिल सेल के जरिए जहरीली राख के निस्तारण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने निर्देश दिए हैं कि इस याचिका को मुख्य याचिका के साथ जोड़ा जाए और विशेष पीठ के समक्ष सुनवाई की जाए।
याचिकाकर्ताओं ने उठाया गंभीर पर्यावरणीय संकट का मुद्दा
यह जनहित याचिका भोपाल निवासी अधिवक्ता बी.एल. नागर और समाजसेवी साधना कर्णिक प्रधान द्वारा दाखिल की गई थी। याचिका में कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में जमा 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का विनिष्टीकरण पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में किया जा चुका है। इस प्रक्रिया के पश्चात 850 मीट्रिक टन जहरीली राख और अवशेष शेष बचे हैं, जिन्हें अब लैंडफिल सेल में दफनाने की तैयारी की जा रही है।