राज्यसभा में संविधान पर बोलीं निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को राज्यसभा में संविधान पर बोलीं। अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने कांग्रेस को उनके कार्यकाल के दौरान संविधान के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए घेरा। वित्त मंत्री ने क्या-क्या कहा आइए जानें। राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान बोलते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, जैसा कि हम अपने संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, मुझे लगता है कि यह समय है कि हम ऐसे भारत के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें जो इस पवित्र दस्तावेज में निहित भावना को कायम रखे। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत का संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में संविधान के 75 वर्ष पर हो रही चर्चा पर बोलते हुए ये बातें कही। वित्त मंत्री ने कहा कि उद्योग जगत को कुशल जनशक्ति के लिए दुनिया भर की सरकारों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। संविधान पर बोलते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लोगों ने इतिहास में अपनी कुर्सी बचाने के लिए संविधान में संशोधन किए। वित्त मंत्री ने कहा कि आज कांग्रेस के लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हैं, पर उन्हें याद करना चाहिए कि किसी के खिलाफ में महज कविता पढ़ने के कारण 1949 में मजरूह सुल्तापुरी और बलराज साहनी जैसे सिनेमा के दिग्गजों को जेल भेज दिया गया था।
राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ...मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल भेजा गया था। 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान, मजरूह सुल्तानपुरी ने जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई एक कविता सुनाई और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा। उन्होंने इसके लिए मा$फी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल जाना पड़ा... अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं था। 1975 में माइकल एडवर्ड्स की लिखी गई राजनीतिक जीवनी नेहरू पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने किस्सा कुर्सी का नामक एक फिल्म पर भी प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाए गए थे...
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, इस देश के पहले प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की प्रेस जांच की निंदा की, ऐसा तब था जब वे सार्वजनिक रूप से प्रेस की स्वतंत्रता की प्रशंसा करते थे। इसमें कोई संदेह नहीं है। सीतारमण ने राज्यसभा में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पूर्व में हुए संविधान में संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे। उन्होंने कहा कि  कांग्रेस परिवारवाद और वंशवाद की मदद के लिए बेशर्मी से संविधान में संशोधन करती रही।