विज्ञान मंथन यात्रा विद्यार्थियों के लिये उपयोगी सिद्ध होगी

- मुख्यमंत्री ने निभाई शिक्षक की भूमिका और भावी वैज्ञानिकों से किया संवाद
- मुख्यमंत्री ने किया विज्ञान मंथन यात्रा का शुभारंभ
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार की शाम मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (मैपकॉस्ट) की 17वीं विज्ञान मंथन यात्रा का मुख्यमंत्री निवास परिसर से शुभारंभ किया। उन्होंने इस यात्रा के लिए चयनित प्रतिभाशाली भावी वैज्ञानिक बच्चों को बधाई देते हुए उनके साथ संवाद भी किया। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में बच्चों से सवाल-जवाब भी किए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर विद्यार्थियों के साथ मुख्यमंत्री निवास परिसर से टेलीस्कोप द्वारा विभिन्न ग्रहों को देखा। उन्होंने विद्यार्थियों से अंतरिक्ष विज्ञान पर विस्तार पूर्वक संवाद किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मैं आप सभी के बीच मुख्यमंत्री या किसी शिक्षक नहीं मित्र के रूप में उपस्थित आपके जीवन के लिए यह विज्ञान मंथन यात्रा उपयोगी सिद्ध होगी। पाठ्य पुस्तकों के अध्ययन के साथ विद्यार्थी जब विज्ञान से जुड़े नामी-गिरामी संस्थानों का प्रत्यक्ष अवलोकन कर वहां की कार्य पद्धति की जानकारी प्राप्त करते हैं तो यह ज्ञान सिर्फ नौकरी के लिए नहीं बल्कि जीवन के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मानव शरीर और प्रकृति का भी समन्वय है। मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी प्रक्रियाएं जानने और समझने का विषय है। प्राण भी 5 प्रकार के हैं, जो श्वसन प्रणाली, हृदय, वाणी, पाचन प्रणाली, उत्सर्जन और प्रजनन प्रणाली और मांसपेशी के साथ परिसंचरण प्रणाली के रूप में जाने जाते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मैपकॉस्ट जैसी संस्थाएं विद्यार्थियों को सैद्धांतिक ज्ञान के साथ व्यावहारिक ज्ञान उपलब्ध करवाने की दिशा में सार्थक भूमिका निभा रही हैं।
अंतरिक्ष विज्ञान पर बच्चों से बातचीत
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने बच्चों से प्रश्न किए कि पृथ्वी और चंद्रमा में से परिक्रमा कौन करता है? ग्रह और उपग्रह में क्या अंतर है? गुरुत्वाकर्षण शक्ति क्या है? ग्रहों की परस्पर दूरी का आकलन किस तरह होता है? विद्यार्थियों के सारगर्भित उत्तर से मुख्यमंत्री डॉ. यादव बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने यात्रा के लिए चयनित विद्यार्थियों के ज्ञान स्तर की प्रशंसा की। अपर मुख्य सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग संजय दुबे, मैपकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी, मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक अशोक कड़ेल, विभिन्न विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलगुरू एवं पदाधिकारी, शिक्षकगण उपस्थित थे।