अतिथि शिक्षक नहीं लगा रहे मोबाइल ऐप से अटेंडेंस

  • स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा- मानदेय नहीं मिलेगा

  • अतिथि शिक्षक संघ की अवकाश देने की मांग

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षक और अतिथि शिक्षक (गेस्ट टीचर्स) की ई-अटेंडेंस व्यवस्था जुलाई के पहले 15 दिन में पूरी तरह फेल हो गई है। इसी को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने अब सख्त कदम उठाया है। विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 18 जुलाई से जो गेस्ट टीचर ई-अटेंडेंस (ऐप से अटेंडेंस) नहीं लगाएंगे, उन्हें गैरहाजिर माना जाएगा और मानदेय (वेतन) नहीं दिया जाएगा। विभाग ने सभी जिलों के गेस्ट टीचर्स की ई-अटेंडेंस की रिपोर्ट भी जारी की है और निर्देश दिया है कि इस पर सख्ती से अमल कराया जाए। हालांकि अतिथि शिक्षक संघ का कहना है कि जब तक अवकाश की सुविधा नहीं मिलेगी, तब तक ई-अटेंडेंस नहीं लगाएंगे।

"हमारे शिक्षक" ऐप से अनिवार्य की गई उपस्थिति

स्कूल शिक्षा विभाग ने इस शैक्षणिक सत्र से गेस्ट टीचर्स की अटेंडेंस मोबाइल ऐप "हमारे शिक्षक" के जरिए दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अब शिक्षक की उपस्थिति सिर्फ ऐप के माध्यम से ही मान्य मानी जाएगी। हालांकि, अभी तक कई गेस्ट टीचर्स इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। इस पर लोक शिक्षण आयुक्त ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि लगभग 80% अतिथि शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं की है, जो कि बहुत ही निराशाजनक है।

"हमारे शिक्षक" ऐप से अनिवार्य की गई उपस्थिति

स्कूल शिक्षा विभाग ने इस शैक्षणिक सत्र से गेस्ट टीचर्स की अटेंडेंस मोबाइल ऐप "हमारे शिक्षक" के जरिए दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अब शिक्षक की उपस्थिति सिर्फ ऐप के माध्यम से ही मान्य मानी जाएगी।

हालांकि, अभी तक कई गेस्ट टीचर्स इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। इस पर लोक शिक्षण आयुक्त ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि लगभग 80% अतिथि शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं की है, जो कि बहुत ही निराशाजनक है।

"हमारे शिक्षक" ऐप से ई-अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया है।

"हमारे शिक्षक" ऐप से ई-अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया है।

विभाग ने साफ कहा है कि सभी गेस्ट टीचर्स को सूचना दी जाए कि अगर वे "हमारे शिक्षक" ऐप से अटेंडेंस दर्ज नहीं करते हैं, तो उन्हें गैरहाजिर माना जाएगा और उनका मानदेय नहीं मिलेगा। यह ई-अटेंडेंस की व्यवस्था 1 जुलाई 2025 से शुरू की गई है। लेकिन पहले 15 दिन की समीक्षा में सामने आया कि 80% से ज्यादा गेस्ट टीचर्स ने ऐप से अटेंडेंस नहीं लगाई है।

सिर्फ डिंडोरी में 50% से ज्यादा अटेंडेंस

शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 55 जिलों में से केवल डिंडोरी ऐसा जिला है जहां 57% गेस्ट टीचर्स ने ई-अटेंडेंस दर्ज की है। इसके बाद झाबुआ में 48%, खरगोन में 45%, नरसिंहपुर और शहडोल में 44-44% उपस्थिति दर्ज की गई।

वहीं, अनूपपुर सबसे पिछड़ा जिला रहा, जहां 17 गेस्ट टीचर्स में से किसी ने भी एक भी दिन अटेंडेंस नहीं लगाई। इसके अलावा निवाड़ी और अलीराजपुर में 7-7%, मऊगंज और हरदा में 8-8% अटेंडेंस दर्ज की गई।

"जब तक अवकाश की सुविधा नहीं मिलेगी, नहीं लगाएंगे ई-अटेंडेंस"

अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुनील परिहार ने स्कूल शिक्षा विभाग की ई-अटेंडेंस अनिवार्यता पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि पिछले 17 सालों में अतिथि शिक्षकों को एक भी अवकाश की सुविधा नहीं दी गई है, जबकि अतिथि विद्वानों को यह सुविधा उपलब्ध है।

परिहार ने कहा, हमारे पास न तो दुर्घटना बीमा है और न ही महिला शिक्षकों को प्रसूति अवकाश मिलता है। कई अतिथि शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें मात्र ₹10,000 मानदेय मिलता है और वे पिछले चार महीनों से बेरोजगार हैं। कई के पास स्मार्टफोन तक नहीं हैं, ऐसे में वे ई-अटेंडेंस कैसे लगाएं?

सुनील परिहार ने बताया कि इस फरमान के विरोध में गुरुवार को प्रदेश के सभी जिलों में ज्ञापन सौंपा जाएगा। संगठन की मांग है कि जब तक अतिथि शिक्षकों को सम्मानजनक सुविधाएं नहीं दी जातीं, तब तक उन्हें तकनीकी व्यवस्थाओं के लिए बाध्य न किया जाए।

एमपी में 15 हजार शिक्षक अलग-अलग दफ्तरों में अटैच:बच्चों को पढ़ाने के बजाय कर रहे बाबूगिरी

​​​​​​मध्यप्रदेश में हजारों शिक्षक स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की बजाय सरकारी दफ्तरों में फाइलों के बीच उलझे हुए हैं। जबकि शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने साफ निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों का असली स्थान स्कूल की कक्षा होनी चाहिए, न कि सरकारी दफ्तर। उन्होंने 18 अप्रैल की विभागीय बैठक में यह बात कही और ऐसे सभी शिक्षकों को तत्काल स्कूलों में भेजने के निर्देश दिए। इस बीच दैनिक भास्कर ने पता किया कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की बजाय कितने टीचर सरकारी दफ्तरों में फाइलें उठा रहे हैं?