भोपाल, सबकी खबर। 
मध्य प्रदेश में नहीं पूरे देश में जहां-जहां  भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं वहां  एक काम बड़ी शिद्दत से होता है और वो है  शहरों का नाम बदलना, गलियों का नाम बदलना, मोहल्ले का नाम बदलना, स्कूल कॉलेज का नाम  बदलना, अस्पताल का नाम बदलना। यदि उनको  लगता है कि कहीं भी इस्लामिक या मुस्लिम  नाम है तो कोशिश होती है कि उसे बदला जाए  और बदले ना बदले लेकिन उसके नाम पर  राजनीति जरूर करते हैं। भोपाल का नाम भोजपाल करने की कितनी कोशिशें लगातार चल रही हैं। हालांकि अभी तक पता नहीं क्यों करीब-करीब  20.22 साल से सरकार भारतीय जनता पार्टी की  है लेकिन भोपाल का नाम नहीं बदलवा पाए।  अब नई राजनीति शुरू हुई है भोपाल में गुरूवार कोभोपाल नगर निगम की परिषद की बैठक  काफी हंगामेदार रही हंगामा होता रहा नाम बदलने को लेकर। वो नाम बदलना चाहते हैं हमीदिया रोड का। वो नाम बदलना चाहते हैं हमीदिया कॉलेज का। वो नाम बदलना चाहते हैं हमीदिया स्कूल का। वो नाम बदलना चाहते हैं। इस तरह के कई जो हैं तो क्या बरकतउल्ला विश्वविद्यालय बरकत विश्वविद्यालय नहीं रह जाएगा? क्या और तमाम सारे मोहल्ले हैं जैसे जहांगीराबाद है, शाहजहानाबाद है। यह भी बदले जाना चाहिए? ये ऐसे मुद्दे हैं कि क्या नाम बदलने से  वहां लोगों को राहत मिल जाती है? क्या  वहां राम राज्य आ जाता है? आप नाम की वजह  काम क्यों नहीं बदलते हो? इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता जो भारतीय  जनता पार्टी मध्य प्रदेश के मीडिया विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं। इस समय प्रदेश  कार्यकारिणी सदस्य में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं दीपक विजयवर्गीय सबकी खबर ने उनसे बात की इस विषय में उनका कहना था कि जो भी सुधार के कार्यक्रम है जो भी बेहतरी के कार्यक्रम है उन सबको भारतीय जनता पार्टी उठाती रही है और उसको आगे बढ़ाती रही है। भारतीय जनता पार्टी का जो एजेंडा है वो भी राष्ट्रभक्ति से लेकर विकास की ओर है। जहां तक कल के विषय की बात है तो हमीदुल्लाह खान भोपाल के अंतिम नवाब थे। और आप जब इतिहास के में घुसने का  प्रयास करेंगे तो हमीदुल्लाह खान ने  पाकिस्तान के समर्थन में बहुत सारे कदम  उठाए थे। भारत का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में शामिल हो जाए। इसके लिए कोशिश की थी और इसीलिए ऐसे में अगर कोई यह मांग करता  है कि हमीदुल्लाह खान के नाम से जो भोपाल  में सड़क है या स्कूल है या अस्पताल है  उनको बदला जाना चाहिए तो बिल्कुल ठीक है।  किसी भी देशद्रोही के नाम पर ऐसे व्यक्ति  के नाम पर जिसने भारत सरकार के विरुद्ध  काम किया हो जिसके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का  मामला भी चलना चाहिए और जो साबित हो चुका हो  इतिहास के पन्नों में दर्ज हो तो उसके नाम  से अगर भोपाल में कहीं पे कोई संस्थान है  तो निश्चित तौर पे उनके नाम बदला जाना  चाहिए और ये आज की बात नहीं है। यह तो जब  भोपाल का विलिनीकरण हुआ तो डॉ शंकरदयाल  शर्मा भोपाल स्टेट के पहले मुख्यमंत्री  थे। डॉ. शंकर दयाल शर्मा को यह काम कर  देना चाहिए था। अगर वह नहीं कर पाए थे तो  मध्य प्रदेश के जो पहले मुख्यमंत्री थे पंडित रविशंकर शुक्ल उनको यह काम कर देना चाहिए था। अगर भोपाल में कुछ ऐसे चिन्ह  हैं जो गुलामी और राष्ट्रद्रोह के प्रतीक हैं तो उनको बदला जाना चाहिए था।  ये इतिहास में दर्ज है कि हमीद उल्लाह खान भारत सरकार के प्रति गद्दार थे। जब भारतीय संघ का गठन हो रहा था। देश का आजाद हुआ। भारत की जो रियासतें थी वो सब विलीन होना चाहती  उनमें से ज्यादातर तो उनमें से बहुत सारे  राज्यों पर हमीदुल्लाह खान ने जाकर बात की और खुद वो लगातार जिन्ना के संपर्क में रहे और यह इतिहास की किताबों में दर्ज है।  1947 में जब देश आजाद हो रहा था भारतीय संघ में भारत के जो रियासतें मिल रही थी  उस समय जो हबीदुल्लाह खान का रवैया था वो भारत सरकार के विपरीत था और इसीलिए उनकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है। अगर किसी की संपत्ति को शत्रु संपत्ति  घोषित किया गया है। जाहिर तौर पर वो शत्रु था। तो एक बात सवाल यह भी है कि आपको केवल हमीद हमीदुल्लाह खान से ही दिक्कत है।  कभी-कभी यह भी आता है कि जहांगीराबाद का भी नाम बदला जाए, शाहजहानाबाद का नाम बदला जाए, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय का नाम  बदला जाए। इस संबंध में भारतीय जनता  पार्टी का खासकर आपका क्या दृष्टिकोण है? देखिए ऐसा है कि जहां तक सांस्कृतिक  राष्ट्रवाद की बात है तो भारत में जो भी गुलामी के प्रतीक हैं उन सबके नाम बदले जाना चाहिए। गुलामी का प्रतीक मतलब अगर कोई पर्शियन नाम है, कोई अरबियन नाम है तो  निश्चित तौर पर बदला जाना चाहिए। भारत में उनका कुछ पुराना नाम था और वो होना चाहिए।  लेकिन आमतौर पर ज्यादा विवाद से बचने की कोशिश की जाती है क्योंकि कहीं ना कहीं नजरिया अलग-अलग होता है। लेकिन जो घोषित तौर पर देशद्रोही है, राष्ट्रद्रोही है  जिसने भारत सरकार के हितों के विरुद्ध काम  किया है, जिसने भारत राष्ट्र के हितों के  विरुद्ध काम किया है, उनके उनके नाम पर भारत में सड़कें होना निश्चित हम सबके लिए शर्म की बात है।