बांग्लादेश में सेना का कट्टरपंथी पार्टियों को समर्थन

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हसीना की पार्टी चुनावी मैदान से गायब, खालिदा की BNP मुश्किलों में घिरी
ढाका। बांग्लादेशी आर्मी के चीफ जनरल वाकर-उज-जमान का झुकाव अब कट्टरपंथी इस्लामी दलों की ओर देखा जा रहा है। जिनमें जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश, खिलाफत मजलिस, मुत्ताहिदे मजलिस-ए-अमल, और तंजीमुल उलेमा जैसे दल शामिल हैं। सभी मिलकर एक कट्टरपंथी गठबंधन के रूप में उभर रहे हैं और एकजुट होकर प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन प्रणाली (मत प्रतिशत आधारित सीट बंटवारा) की मांग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह मांग नहीं मानी गई तो वे चुनाव बहिष्कार का रास्ता अपनाएंगे। मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) अंदरूनी चुनौतियों से जूझ रही है। पार्टी अब तक उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है और हर सीट पर कई दावेदारों के चलते अंतर्विरोध गहराते जा रहे हैं। ऐसे में नेता तारीक रहमान की संभावित वापसी को पार्टी संकट से उत्थान की अंतिम उम्मीद मान रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग चुनावी मैदान से लगभग गायब है। वहीं तेजी से उभर रही छात्रों की पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) जबरदस्त प्रचार कर रही है।
प्रस्तावित चुनावी व्यवस्था को लेकर BNP में ही मतभेद
चीफ एडवाइजर के नेतृत्व में राष्ट्रीय सहमति आयोग व संविधान सुधार आयोग ने दो सदन वाली संसद की सिफारिश की है। निचले सदन में 400 सीटें और चुनाव पहले की तरह फर्स्ट पास्ट द पोस्ट प्रणाली से होंगे।
ऊपरी सदन में 100 सीटें होंगी, जो निचले सदन के चुनाव में पार्टियों को प्राप्त वोट प्रतिशत के आधार पर तय की जाएंगी। इस पर कट्टरपंथी गठबंधन सहमत हैं, लेकिन BNP इन 3 मुद्दों पर मुद्दों पर असहमत है।
1. चुनाव प्रणाली पर मतभेद
कट्टरपंथी: प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन प्रणाली की मांग कर रहे हैं, जिसमें निचले सदन के चुनावों में किसी पार्टी को जितना प्रतिशत वोट मिले, उतने ही प्रतिशत सीटें उसे ऊपरी सदन में मिलें।
BNP: इस प्रणाली का विरोध करती है। पार्टी चाहती है कि ऊपरी सदन में सीटों का आवंटन महिला आरक्षित सीटों की तर्ज पर हो, यानी पार्टी की निचले सदन में जीत के अनुपात में हो, न कि वोट प्रतिशत के आधार पर।
2. रणनीतिक दबाव की राजनीति
कट्टरपंथी: प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन प्रणाली लागू करवाने के लिए वे एकजुट होकर चुनाव बहिष्कार की धमकी दे रहे हैं ताकि बीएनपी पर दबाव बनाया जा सके।
BNP: दबाव की राजनीति मंजूर नहीं, ये ब्लैकमेलिंग है।
3. चुनाव की टाइमिंग पर टकराव
कट्टरपंथी: फरवरी 2026 तक चुनाव के लिए तैयार नहीं है। वे चुनाव की प्रक्रिया को परामर्श आधारित बनाना चाहते हैं।
BNP: BNP ने फरवरी 2026 में चुनाव कराने पर सैद्धांतिक सहमति दी है, वे इसका दवाब बना रहे।
BNP नेता तारिक बांग्लादेश लौट सकते हैं
BNP के लिए राहत की बात यह है कि पार्टी के एक्टिंग चेयरमैन तारीक रहमान जुलाई या अगस्त में बांग्लादेश लौट सकते हैं। इससे पार्टी की सियासी अनिश्चितता का दौर खत्म होगा। BNP उनकी वापसी को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी की है। BNP प्रमुख खालिदा जिया के गुलशन स्थित फिरोजा बंगले के पास एक नया घर भी सजाया जा रहा है। माना जा रहा है कि तारीक अपने परिवार के साथ इसमें रह सकते हैं।
मानवता विरोधी अपराधों में हसीना पर 3 अगस्त से शुरू होगी सुनवाई
पूर्व पीएम शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराधों का केस चलाया जा रहा है। उनके साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान और पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल ममून पर भी आरोप लगे हैं।इन सभी पर 2024 में छात्र आंदोलन को दबाने के लिए हत्या और अत्याचार करने के आरोप हैं। ममून ने आरोप कबूल लिए हैं। इस केस की सुनवाई 3 अगस्त 2025 से शुरू होगी। बता दें कि हसीना ने पिछले साल (5 अगस्त 2024 को) देश छोड़ा था।