• रात में घरों मकानों में कर रहा तोड़फोड़, ग्रामीण दहशत में

अनूपपुर। मध्यप्रदेश में एक बार फिर छत्तीसगढ़ से आए जंगली हाथियों का कहर देखने को मिल रहा है। बीते 16 दिनों से अनूपपुर जिले के राजेंद्रग्राम वन परिक्षेत्र में डेरा जमाए चार हाथियों का दल अब डिंडोरी की सीमा में प्रवेश कर चुका है। ये हाथी हर रात भोजन की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर घरों में तोड़फोड़ कर रहे हैं और अनाज खा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। वन विभाग की टीम लगातार हाथियों की निगरानी में जुटी है, लेकिन हाथियों की सक्रियता थमने का नाम नहीं ले रही।
 चार प्रवासी हाथियों का यह दल पहले छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल क्षेत्र में देखा गया था। इसके बाद 14 जून की रात अनूपपुर जिले के जैतहरी क्षेत्र में प्रवेश कर गया। यहां तीन दिन तक विचरण करने के बाद 17 जून की रात यह दल बैहार की पहाड़ी पार कर राजेंद्रग्राम के जंगलों में पहुंचा और तब से लगातार 16 दिनों तक वहीं सक्रिय रहा। बुधवार सुबह यह समूह डिंडोरी जिले की सीमा में स्थित बैदरा गांव के पास के जंगलों तक पहुंच गया। हाथी दिनभर जंगल में विश्राम करते हैं और रात होते ही भोजन की तलाश में गांवों का रुख करते हैं। राजेंद्रग्राम क्षेत्र में बीते 16 दिनों में हाथियों द्वारा 50 से अधिक ग्रामीण घरों में तोड़फोड़ की जा चुकी है। वे घरों में रखे धान, चावल, गेहूं और अन्य अनाज खाकर चले जाते हैं।
मंगलवार रात हाथियों ने ग्राम पंचायत अमदरी के टिकरा धवई गांव में दो मकानों, इंद्रपाल सिंह पिता रामदीन सिंह और कोप सिंह पिता कांशी सिंह में तोड़फोड़ की। बुधवार सुबह वे डिंडोरी जिले के मोहगांव बीट अंतर्गत बैदरा गांव से लगे जमुनापानी जंगल में विश्राम करते पाए गए। यह जंगली इलका जरहा गांव से लगभग 5-7 किलोमीटर दूर है। वन विभाग की ओर से गश्ती दल सतत निगरानी कर रहा है। हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखते हुए ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। विभाग की सतर्कता के चलते अब तक किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई है। फिर भी ग्रामीणों में भय और चिंता का माहौल बना हुआ है।
बता दें कि वर्षों से अनूपपुर, जैतहरी और राजेंद्रग्राम क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ से हाथियों का आना-जाना लगा रहता है। वन विभाग का मानना है कि अब इन क्षेत्रों को हाथियों ने स्थायी विचरण क्षेत्र के रूप में अपना लिया है, जिससे इन जिलों में अक्सर ऐसे हालात उत्पन्न होते रहते हैं।