- टूट गया 174 साल का रिकॉर्ड

नई दिल्ली। यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस ने शुक्रवार को पुष्टि की कि वर्ष 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा और ऐसा पहला वर्ष रहा जब वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। यूरोपीय जलवायु एजेंसी ने कहा कि 2024 में जनवरी से जून तक का हर माह अब तक का सबसे गर्म माह रहा। जुलाई से दिसंबर तक, अगस्त को छोड़कर हर माह 2023 के बाद रिकॉर्ड स्तर पर दूसरा सबसे गर्म माह रहा। कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (सी3एस) के वैज्ञानिकों के अनुसार 1850 में जब से वैश्विक तापमान की माप शुरू हुई है तब से 2024 सबसे गर्म वर्ष रहा। औसत वैश्विक तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस रहा - जो 1991-2020 के औसत से 0.72 डिग्री अधिक और 2023 से 0.12 डिग्री अधिक है। वैज्ञानिकों ने पाया कि 2024 में औसत तापमान 1850-1900 की आधार रेखा से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
ग्रीनहाउस गैस का स्तर बढ़ा
यह पहली बार है जब औसत वैश्विक तापमान पूरे कैलेंडर वर्ष के लिए 1850-1900 के औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। कोपरनिकस के वैज्ञानिकों  के अनुसार, इस बढ़ोतरी का प्रभाव वैश्विक मौसम और पारिस्थितिकी तंत्र पर लंबे समय तक महसूस किया जाएगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि 2024 में, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस का स्तर अब तक के सबसे उच्च वार्षिक स्तर पर पहुंच गया। कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 2023 की तुलना में 2.9 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम) अधिक था, जो 422 पीपीएम तक पहुंच गया, जबकि मीथेन का स्तर 3 भाग प्रति बिलियन (पीपीबी) बढ़कर 1897 पीपीबी तक पहुंच गया।
आर्कटिक और अंटार्कटिका के आसपास समुद्री बर्फ पृथ्वी की जलवायु की स्थिरता का एक आवश्यक संकेतक है। लगातार दूसरे वर्ष रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई।  2023 में प्रकाशित एक अध्ययन का अनुमान है कि विकसित देशों को अपने अत्यधिक उत्सर्जन के लिए लगभग 170 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का भुगतान करना है।