योगी बच्चों को देखने लोकबंधु अस्पताल पहुंचे

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डॉक्टरों से कहा- इलाज में कोई कमी न हो
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आश्रय स्थल के 5 बच्चों की हुई थी मौत
लखनऊ। लखनऊ में निर्वाण आश्रय केंद्र के बच्चों को देखने सीएम योगी शुक्रवार को लोकबंधु अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बच्चों से उनका हालचाल पूछा। वहीं डॉक्टरों को बेहतर इलाज के निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा है कि बच्चों के इलाज में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। डॉक्टरों ने योगी को बच्चों की तबीयत के बारे में डिटेल में बताया। यह भी बताया कि बच्चों की हालत इतनी गंभीर क्यों हुई। योगी के साथ प्रमुख सचिव संजय प्रसाद और विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी भी हैं। योगी ने बच्चों का इलाज कर रहे डॉ. अरुण तिवारी से बच्चों की तबीयत को लेकर अलग से बातचीत की। लखनऊ में निर्वाण आश्रय केंद्र में 21 मार्च से 25 मार्च के बीच 5 बच्चों की मौत हुई है। इनमें 3 बच्चियां हैं। आश्रय केंद्र के 35 बच्चों को उल्टी-दस्त होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। 16 बच्चों को अभी लोकबंधु अस्पताल में भर्ती हैं। बच्चों के बीमार होने की शुरुआती वजह फूड पॉइजनिंग बताई जा रही है। उनको उल्टियां हो रही हैं, जिसमें 6 इंच तक के कीड़े भी निकले।
23 मार्च को खाना खाने के बाद बिगड़ी तबीयत निर्वाण आश्रय के कर्मचारियों ने बताया कि 23 मार्च की रात खाना खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। 23 मार्च से 26 मार्च के बीच 35 बच्चों को अलग-अलग अस्पताल ले जाया गया। अगले दिन यानी 24 मार्च को लोकबंधु अस्पताल में सरोजनी (16) और दीपा (15) की मौत हो गई। जबकि बलरामपुर अस्पताल में सूरज (12) और ठाकुरगंज अस्पताल में शिवांक (15) की मौत हुई।
हैरानी की बात यह है कि 24 मार्च को 4 बच्चों की मौत के बाद भी आश्रय स्थल का प्रशासन पूरी घटना को दबाए रहा। 26 फरवरी की सुबह रेनू (13) की लोकबंधु अस्पताल में मौत हुई। जबकि गोपाल और लकी नाम के दो बच्चों को गंभीर हालत में KGMU रेफर किया गया। इसके बाद मामला सुर्खियों में आया।
5 बच्चों की मौत के बाद जागा प्रशासन, कई जांच के आदेश गुरुवार सुबह कमिश्नर रोशन जैकब लोकबंधु अस्पताल पहुंची थीं। यहां उन्होंने बच्चों से बातचीत की। कहा था- आश्रय केंद्र के पानी की जांच कराई जाएगी। आश्रय केंद्र यानी रिहैबिलिटेशन सेंटर का कुछ महीने पहले दौरा किया था। तब सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त पाई गई थीं। कुछ कमियां थीं, उनको भी ठीक करने के निर्देश दिए थे। जरूरी बजट भी दिया गया था।
कमिश्नर ने कहा- नगर निगम, FSDA समेत कई विभागों की टीम को आश्रय सेंटर भेजा गया है। टीमें वहां सभी इंतजाम की जांच करेंगी। घटना को छिपाने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा- सेंटर ने घटना की जानकारी सही समय पर दी या नहीं, इसकी जांच कराई जा रही है।
इलाज का सारा खर्चा सरकार उठाएगी-डिप्टी सीएम डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी गुरुवार को लोकबंधु अस्पताल पहुंचे। यहां भर्ती बच्चों की तबीयत का हाल जाना। कहा- इलाज का सारा खर्चा सरकार उठाएगी। हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों का बेहतर इलाज है। इस मामले की जांच कराई जाएगी। दोषियों के ऊपर सख्त कार्रवाई होगी।
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा- मामले की जांच करवाई जाएगी। दोषी पाए गए लोगों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।
आश्रय स्थल ने कहा- बच्चों को खिचड़ी और दही दिया था
निर्वाण आश्रय केंद्र में विमंदित बच्चों की देखभाल केयर टेकर करते हैं। सूत्रों ने बताया कि बच्चों को सही समय पर खाना और पानी तक नहीं दिया जाता। सुबह का बचा हुआ भोजन रात में और रात का बचा खाना सुबह दिया जाता है। रविवार यानी 23 मार्च को भी दिन की बची हुई खिचड़ी रात में बच्चों को दही के साथ खाने के लिए दी गई थी।
इसके कुछ देर बाद बच्चों को उल्टी-दस्त की शिकायत शुरू हो गई। जिन बच्चों की हालत ज्यादा खराब हुई, उनको हॉस्पिटल ले जाया गया। ज्यादा तबीयत बिगड़ने के बाद बाकी बच्चों को अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि डायरिया या फूड पॉइंजनिंग में बच्चों को सही समय पर ट्रीटमेंट मिल जाता तो जान बचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
पोस्टमॉर्टम में मौत का सही कारण पता चलेगा-डीपीओ डीपीओ विकास सिंह ने बताया कि इस रिहैब सेंटर में कुल 146 बच्चे-बच्चियां हैं। रविवार से अचानक एक के बाद एक बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। कुछ को उल्टी भी हो रही थी। हम डॉक्टरों से संपर्क में हैं। जो बच्चे भर्ती हैं, उनका बेहतर इलाज किया जा रहा है। बच्चों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट में मौत का सही कारण पता चल सकेगा। विभागीय जांच भी कराई जाएगी।
उल्टी हुई तो 6 इंच के निकले कीड़े लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया- 23 मार्च से आश्रय केंद्र से बच्चों के आने की शुरुआत हुई थी। ये बच्चे मानसिक दिव्यांग थे। ऐसे में अपनी कंडीशन को लेकर ठीक तरीके से बता नहीं पा रहे थे। पेट पर हाथ रखे थे, इसलिए समझ आ रहा था कि पेट में दर्द हैं। वॉमिटिंग और लूज मोशन के भी लक्षण नजर आ रहे थे।
इस बीच 24 मार्च की रात में एक बच्चे की डेथ हो गई। पुलिस जानकारी देने के बाद शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। इस दौरान 5 बच्चों को ठीक करके डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं, 26 तारीख को दूसरे बच्चे की मौत हो गई। मौजूदा समय कुल 16 बच्चें एडमिट हैं।