11 निकायों के 1204 नलकूपों से बगैर परीक्षण कर दी जलापूर्ति

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कैग ने माना जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़
भोपाल। भारत सरकार के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के 14 चयनित निकायों में से 11 निकायों द्वारा 1,204 बोरवेलों से जलापूर्ति के लिए जल परीक्षण न कराने का खुलासा हुआ है। भारत सरकार के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि मध्य प्रदेश के 14 चयनित निकायों में से 11 निकायों के 1,204 बोरवेलों से जलापूर्ति के पहले जल परीक्षण नहीं किया गया। इनमें से किसी भी बोरवेल का नियमित जल परीक्षण नहीं कराया गया और सीधे जनता को जल मुहैया कराया गया। कैग की रिपोर्ट के अनुसार इन निकायों को यह भी नहीं पता था कि भूजल की गुणवत्ता कैसी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नगरीय निकायों द्वारा बोरवेल के पानी का इस्तेमाल कर लोगों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। इन निकायों में बोरवेल की नियमित जल परीक्षण की अनदेखी की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक खतरनाक बीमारियों का सामना कर रहे हैं। गर्मी के मौसम में अधिकांश लोगों को पानी की आपूर्ति हैंडपंप और बोरवेल के जरिए की जाती है, लेकिन इन पानी स्रोतों की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। बोरवेल और हैंडपंपों की गहराई 300 फीट से अधिक होती है, जिसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, क्लोरीन, बाइकार्बोनेट, नाइट्रेट और सल्फेट जैसे खतरनाक तत्व मौजूद होते हैं। इन खनिजों का उच्च स्तर मनुष्यों, जानवरों और पौधों के लिए हानिकारक हो सकता है।
शिकायत मिलने पर करते हैं जांच
खंडवा नगर निगम ने कहा कि जब भी शिकायतें मिलती हैं, तब ही पानी की जांच कराई जाती है। वहीं, आष्टा, गंज बासौदा, लोहारदा, रतलाम और रामपुर नैकिन नगर निगमों ने माना कि उन्होंने कभी भी जल परीक्षण नहीं कराया। मंदसौर और नरसिंहगढ़ ने कहा कि परीक्षण कराए गए हैं, जबकि सतना नगर निगम ने सीएजी को कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। महाराजपुर ने 12 और इछावर ने चार परीक्षण रिपोर्ट कैग को प्रस्तुत की थीं।