एयरपोर्ट्स पर हजारो लोग हुए परेशान, डीजीसीए तक पहुंची सिर्फ 732 शिकायतें
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नई दिल्ली । हवाई यात्रियों की परेशानियों को बीच में ही दबा दिया गया , इसे लेकर कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले जनवरी के महीने में हजारों यात्रियों ने अपनी परेशानी बताई। इस दौरान दिल्ली, मुंबई सहित न जाने कितने ही एयरपोर्ट पर यात्रियों को अपनी परेशानी बयां करने के लिए जो भी माध्यम मिला, वहां पर उन्होंने अपना दर्द बयां किया। एयरपोर्ट और एयरलाइंस के सोशल मीडिया एकाउंट्स यात्रियों की शिकायतों से भरे पड़े हैं। इन सब के बावजूद डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) के पास जनवरी माह में सिर्फ 732 यात्रियों की शिकायत पहुंची, जिसमें से 727 यानी 99 फीसदी शिकायतों का निपटारा एयरलाइंस की तरफ से कर दिया गया है। अब यहां पर सवाल उठता है कि शिकायतें सही जगह तक पहुंची नहीं, या फिर एयरपोर्ट पर ही यात्रियों की आवाज को घोंट दिया गया। डीजीसीए के अनुसार, जनवरी माह में विभिन्न एयरलाइंस को कुल 732 शिकायतें मिलीं थी, जिनमें स्पाइस जेट की 372, एयर इंडिया की 118, एलायंस एयर की 65, इंडिगो की 62 शिकायतें शामिल हैं। इसके अलावा, इंडियावन एयर की 49, अकासा एयर की 26, एआईएक्स कनेक्ट की 17, स्टार एयर की 17, विस्तारा की 4 और फ्लाई बिग की की 2 शिकायतें मिली थीं।
इन शिकायतों में सबसे अधिक 54.8 प्रतिशत शिकायतें फ्लाइट प्रॉब्लम को लेकर थीं। वहीं, रिफंड को लेकर 17.8प्रतिशत और बैगेज को लेकर 10.4 प्रतिशत यात्रियों ने शिकायत की थी। इसके अलावा, कस्टमर सर्विस को लेकर 5.2प्रतिशत, स्टाफ बिहेवियर को लेकर 4.6प्रतिशत, केटरिंग को लेकर 0.1प्रतिशत, डिसेबिलिटी को लेकर 0.4प्रतिशत, किराए को लेकर 0.8प्रतिशत यात्रियों ने शिकायत की थी। डीजीसीए का दावा है कि इसमें 5 शिकायतों को छोड़कर बाकी बची 727 शिकायतों का निपटारा एयरलाइंस द्वारा किया जा सकता है। इसमें एलायंस एयर की दो और विस्तारा की 3 शिकायतों का निपटारा ही अभी बाकी है।
वहीं, विभिन्न एयरलाइंस के सोशल मीडिया हैंडल पर नजर डालें, तो मामला इससे ठीक उलट नजर आता है। एयरलाइंस के सोशल मीडिया एकाउंट्स का आलम यह है कि फेयर रिफंड और बैगेज की समस्या को लेकर उनकी वॉल भरी पड़ी हैं। यात्री अपनी तमाम शिकायतों को लेकर पहुंच रहे हैं और एयरलाइन के कस्टमर केयर एजेंट उस पर अपना रटा रटाया जवाब दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर आंकड़े कुछ भी कहें पर हकीकत कुछ अलग ही है। ऐसे में परेशान यात्रियों की आवाज को दबाया जा रहा है।