सतना। 
मध्य प्रदेश में सतना जिले में एक ऐसा परिवार भी है जिसकी पूरी साल  भर की इनकम मात्र 3 रूपए है। यह बात बाकायदा सरकारी दस्तावेज में पटवारी ने बाकायदा प्रमाण  पत्र जारी किया है और इसे हम कहते हैं आय प्रमाण पत्र। वार्षिक आय किसी की 3 रूपए हो सकती है क्या? यह आय प्रमाण पत्र है और  इसे जारी किया है सतना जिले के जो कोठी  तहसील है वहां के जो पटवारी हैं सौरभ द्विवेदी इन्होंने बाकायदा यह प्रमाण पत्र जारी किया है और इस प्रमाण पत्र में कहा गया है कि कोठी तहसील का जो गांव है इसका नाम है नायगाम। इस नाय गांव में रहते हैं रामस्वरूप पिता श्यामलाल और इनकी कुल इनकम टोटल साल भर की इनकम 3 रूपए है। अब यह 3 रूपए में खाना कैसे खाते होंगे? कैसे रहते  होंगे? क्या करते होंगे? यह कल्पना बाहर है। लेकिन किस तरह आंख बंद करके पटवारी ने साइन किए हैं प्रमाण पत्र पे। पटवारी ने प्रमाण पत्र जारी करने की अपनी जो ऊपरी फीस है उस पर नजर रखी होगी। इस प्रमाण पत्र को भी यदि वह देख लेते हस्ताक्षर करने से पहले तो इतनी बड़ी गलती नहीं होती। निश्चित तौर पे यह प्रमाण पत्र फर्जी है। गलत तरीके से बनाया गया है। और यदि इस प्रमाण पत्र में यह लिखा है कि आवेदक के आवेदन के अनुसार यदि आय है, तो फिर आवेदन डायरेक्ट ही दे दे ना। प्रमाण पत्र की जरूरत क्या है? अभी  तक खुद लिख के दे दिया करें। यदि आप प्रमाण पत्र बना रहे हैं तो आप उसकी जांच करते होंगे। पता लगाते होंगे कि वाकई इसकी इनकम कितनी है और क्या आपने यह पता लगाया जांच की और मात्र 3 रूपए  इनकम निकली साल भर की  और यदि उसने आवेदन भी इस तरह दे दिया था गलती से तो उसकी जांच करने का जिम्मा किसका था? तनख्वाह कौन लेता है? आवेदन  देने वाला या पटवारी जी? वेतन तो आप लेते  हैं पटवारी जी और आप कुछ भी आंख बंद करके कर देंगे। जो आपको दे जाएगा जेब में रख  जाएगा और आप साइन कर देंगे। क्या मजाक बना दिया है प्रशासन को आप लोगों ने। खबर का उद्देश्य इतना ही है कि  पटवारी बगैर देखे साइन कर रहे हैं। बगैर  पढ़े साइन कर रहे हैं। आंख बंद करके साइन कर रहे हैं। और मध्य प्रदेश के इतिहास में  पहली बार एक ऐसा परिवार मिला है जिसकी सालाना इनकम मात्र 3 रूपए है। देखिए तो क्या  मजाक मचा मचा रखा है इन लोगों ने।