मध्य प्रदेश की राजनीति इन दिनों मंत्री विजय शाह के विवादित बयान को लेकर गरमाई

- शाह का भविष्य अब कोर्ट के फैसले पर निर्भर
- भाजपा एक कठिन राजनीतिक स्थिति का सामना कर रही
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति इन दिनों मंत्री विजय शाह के विवादित बयान को लेकर गरमाई हुई है। कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की गई टिप्पणी के बाद भाजपा एक कठिन राजनीतिक स्थिति का सामना कर रही है। अब उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के बयान ने भी पार्टी की परेशानी बढ़ा दी हैं। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह के विवादित बयान ने भाजपा को मुश्किल राजनीतिक स्थिति में ला खड़ा किया है। कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की गई टिप्पणी के बाद मंत्री के इस्तीफे की मांग लगातार हो रही है, लेकिन पार्टी फिलहाल स्पष्ट रुख अपनाने से बच रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बयान देते हुए कहा है कि इस मामले में अदालत का जो भी निर्णय होगा, उसी के अनुसार सरकार आगे कदम उठाएगी। इसका सीधा संकेत है कि इस्तीफा फिलहाल टाल दिया गया है, लेकिन न्यायिक आदेश के अनुसार स्थिति बदल सकती है। शाह का राजनीतिक भविष्य अब न्यायालय के निर्णय और पार्टी की रणनीति पर निर्भर करता है। सूत्रों के अनुसार विजय शाह ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है। अब इस पूरे प्रकरण ने आदिवासी समीकरण और सार्वजनिक छवि के बीच पार्टी को मुश्किल दोराहे पर खड़ी है। वहीं, इस मुसीबत को उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के बयान ने भी बढ़ा दिया है। पार्टी के भीतर इस मुद्दे को लेकर दो राय बन गई है। एक वर्ग जहां शाह से तत्काल पद छोड़ने की मांग कर रहा है, वहीं, दूसरा खेमा सियासी नुकसान को देखते हुए डैमेज कंट्रोल की रणनीति पर काम कर रहा है। पार्टी नेतृत्व इस बात को लेकर असमंजस में है कि कड़ा फैसला लेना नुकसानदेह हो सकता है। पार्टी की एक राज्यमंत्री समेत कई नेता शाह के समर्थन में खड़े हैं। वहीं, दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती कह चुकी हैं कि इस्तीफा नहीं तो बर्खास्त करने का निर्णय लें। दरअसल, मंत्री शाह आदिवासी समुदाय से आते हैं और चार दशक से अधिक समय से विधायक हैं। आदिवासी वर्ग मध्य प्रदेश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है। राज्य में 47 विधानसभा और 6 लोकसभा सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में पार्टी को आशंका है कि अगर शाह से इस्तीफा लिया गया, तो आदिवासी समाज में गलत संदेश जा सकता है। प्रदेश में आदिवासी वोट बैंक कुल वोट का करीब 22 प्रतिशत है।
कांग्रेस आक्रामक, सुप्रीम कोर्ट में कैविएट लगाई
कांग्रेस इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाह रही है। इसलिए पार्टी की तरफ हर दिन विरोध प्रदर्शन जारी है। वहीं, पार्टी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई है कि इस मामले में कांग्रेस की बात सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए। साथ ही, राज्यभर में विरोध-प्रदर्शन और कानूनी मोर्चेबंदी की तैयारी भी की जा रही है।