• कर हस्तांतरण के फॉर्मूले में संशोधन की सिफारिश की

भोपाल। मोहन सरकार ने 16वें वित्त आयोग के सामने जनसंख्या आधारित आवंटन को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आबादी के लिए 10 प्रतिशत वेटेज जोड़ने का सुझाव दिया है। 16वें केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया समेत सदस्यों ने मध्य प्रदेश सरकार के साथ कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में गुरुवार को बैठक की। इस बैठक में प्रदेश सरकार ने वित्त विभाग से केंद्र से मिलने वाले वित्तीय अनुदान में बदलाव की मांग की। बैठक के बाद वित्त आयोग ने मीडिया से चर्चा में बताया कि राज्य सरकार ने कर हस्तांतरण (टैक्स डी-वोल्यूशन) फॉर्मूले में संशोधन की मांग की है, जिसमें राज्यों को मिलने वाले विभाज्य कर पूल के हिस्से को बढ़ाने के प्रस्ताव पर जोर दिया गया है। वर्तमान में, राज्यों को केंद्र के विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत हिस्सा मिलता है, लेकिन मध्य प्रदेश ने सुझाव दिया है कि सभी केंद्रीय राजस्व, जिसमें उपकर (सेस) और अधिभार (सरचार्ज) भी शामिल हैं, को इस पूल में जोड़ा जाए। यदि ऐसा किया जाता है, तो राज्य का हिस्सा 41 प्रतिशत पर स्थिर रह सकता है। हालांकि, अगर केवल मौजूदा कर ही पूल में बने रहते हैं, तो मध्य प्रदेश ने राज्यों के हिस्से को बढ़ाकर 48 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। इसके अलावा, राज्य ने केंद्र से सेस और सरचार्ज को 10 प्रतिशत तक सीमित करने की भी मांग की है, क्योंकि वर्तमान में ये पूरी तरह से केंद्र के पास जाते हैं और राज्यों को इसका कोई हिस्सा नहीं मिलता। 
क्षैतिज हस्तांतरण में बदलाव की सिफारिश
मध्य प्रदेश ने राज्यों के बीच संसाधन वितरण के लिए भी कई संशोधनों की सिफारिश की है। राज्य ने जनसंख्या आधारित आवंटन को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आबादी के लिए 10 प्रतिशत वेटेज जोड़ने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, क्षेत्र आधारित आवंटन को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का भी सुझाव दिया है, जबकि वन कवर और पारिस्थितिकी के लिए वेटेज को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है। राज्य ने आय-अंतर मानदंड (इंकम डिस्टेंस क्राइटेरिया) को 45 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत करने और बहुआयामी गरीबी (मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी) के लिए 5 प्रतिशत का नया वेटेज जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा, राज्य के कर प्रयास और सकल घरेलू उत्पाद में योगदान के लिए 2.5 प्रतिशत वेटेज का भी सुझाव दिया गया है।
स्थानीय निकायों और आपदा राहत के लिए सिफारिशें
राज्य ने स्थानीय निकाय अनुदान के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच 60:40 अनुपात की सिफारिश की है, ताकि ग्रामीण शासन और विकास को अधिक वित्तीय सहायता मिल सके। साथ ही, मध्यप्रदेश ने आपदा राहत कोष को बढ़ाने और जलवायु अनुकूलन (क्लाइमेट रेजिलिएंस) एवं आपातकालीन तैयारियों के लिए वित्तीय सहायता को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। 16वां वित्त आयोग सभी राज्यों से सुझाव ले रहा है, ताकि राज्यों की वित्तीय जरूरतों को समझ सके। मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी वित्तीय मांगों और विकास योजनाओं को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया है, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि आयोग की सिफारिशों में राज्य की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। 
मुफ्त रेवड़ी पर साधी चुप्पी
वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगड़िया से जब मीडिया ने मुफ्त रेवड़ी यानी फ्री-बीज को लेकर सवाल किया तो वह बचते हुए नजर आए। उन्होंने इस सवाल को टाल दिया।