भोपाल में बदलेगा 54 साल पुराना सायरन सिस्टम

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अब कमांड सेंटर से होगा नियंत्रण
भोपाल। राजधानी भोपाल में आपातकालीन चेतावनी प्रणाली को आधुनिक रूप देने की तैयारी शुरू हो गई है। 1971 से संचालित हो रहा पुराना सायरन सिस्टम अब बदला जाएगा, जिसे अब तक युद्धकालीन परिस्थितियों के लिए उपयोग में लाया जाता था। हाल की मॉक ड्रिल के दौरान इस सिस्टम की खामियां सामने आने के बाद प्रशासन ने इसे अपग्रेड करने का निर्णय लिया है।
भोपाल में आपात स्थितियों के दौरान चेतावनी देने वाला 1971 से चला आ रहा सायरन सिस्टम अब बदला जाएगा। प्रशासन ने इस दिशा में कदम उठाते हुए शहर के प्रमुख इलाकों और बाजारों में नया सायरन सिस्टम लगाने की योजना तैयार की है, जिसे कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से सीधे जोड़ा जाएगा। हाल ही में हुई मॉक ड्रिल में सामने आया था कि पुराना सायरन सिस्टम कई इलाकों तक आवाज नहीं पहुंचा सका, जिससे उसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठे। प्रशासन ने इस फीडबैक के आधार पर नए और अधिक प्रभावशाली सिस्टम की जरूरत महसूस की।
नए सिस्टम को न सिर्फ तकनीकी रूप से अपग्रेड किया जाएगा, बल्कि इसकी उपयोगिता को लेकर स्कूल और कॉलेजों के विद्यार्थियों को भी जागरूक किया जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि सायरन का क्या महत्व है, किस स्थिति में यह बजाया जाता है और इससे जुड़ी सावधानियां क्या हैं। मॉक ड्रिल के दौरान यह भी पाया गया कि कई जगहों पर लाइट बंद नहीं हुई, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति बनी। प्रशासन अब इस दिशा में भी जनजागरूकता अभियान चलाएगा, ताकि आपात स्थिति में हर नागरिक सही प्रतिक्रिया दे सके।