• खुलासे के खौफ से बड़े नेताओं और अफसरों की सांसें फूलीं

भोपाल। आरटीओ का पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा लोकायुक्त की गिरफ्त में आ गया है। मंगलवार को कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को सौरभ शर्मा से पूछताछ के लिए सात दिन की रिमांड दे दी। सौरभ पूछताछ में कई राज खोलेगा। इसमें कई बड़े नेताओं से लेकर अफसरों तक की सांसें फूला दी हैं। परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का सरगना आरटीओ का पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा 41 दिन बाद लोकायुक्त की गिरफ्त में आ गया। मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश किया, जहां से उसे सात दिन की रिमांड पर भेज दिया गया। सौरभ के साथ ही लोकायुक्त की पकड़ में उसके साथी चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल भी आ गए। अब लोकायुक्त तीनों से अलग-अलग और आमने-सामने बैठा कर पूछताछ करेगी। इसमें कांस्टेबल आरटीओ के बड़े घोटाले में कई बड़े खुलासे कर सकता है। शर्मा की गिरफ्तारी ने प्रदेश के कई बड़े नेता और अफसरों की सांसें फूला दी हैं।
सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में नियुक्ति शिवराज सरकार में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के कार्यकाल में हुई थी। उसकी नियुक्ति भी सवालों के घेरे में है। हालांकि,  इन आरोपों पर भूपेंद्र सिंह जवाब दे चुके हैं कि कांस्टेबल की नियुक्ति में मंत्री का सीधा कोई दखल नहीं होता। सौरभ शर्मा 2016 से 2023 तक नौकरी में रहा। इस बीच, कांग्रेस से भाजपा में आए गोविंद सिंह राजपूत, कमलनाथ और शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री रहे। सौरभ शर्मा ने उनके कार्यकाल में करीब चार साल तक नौकरी की। दरअसल, कांग्रेस के कई बड़े नेता आरोप लगा चुके हैं कि एक कांस्टेबल इतना पैसा बिना किसी सफेदपोश और बड़े अधिकारी के संरक्षण के बगैर नहीं कमा सकता। इसमें गोविंद सिंह राजपूत पर भी आरोप लगे। हालांकि, राजपूत ने भी इन आरोपों पर जवाब दिया कि इस मामले में मेरा कोई लेना—देना नहीं है। जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। जांच के बाद सब क्लियर हो जाएगा।
डायरी में कई अधिकारियों के नाम 
सौरभ के दोस्त चेतन गौर की गाड़ी में एजेंसी को एक डायरी मिली है, जिसमें प्रदेश के सभी जिलों के अधिकारियों के हिसाब किताब लिखा होने की बात सामने आई है। अब सौरभ और चेतन गौड़ पूछताछ में डायरी में किन अधिकारियों का लेखा जोखा है, उसका खुलासा कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि डायरी में उन अधिकारियों की पूरी डिटेल है, जिनको उगाही का हिस्सा देता था। ऐसे में कई अधिकारियों और नेताओं की अब धड़कनें बड़ी हुई हैं। 
जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर खड़े हुए सवाल 
सौरभ शर्मा के ठिकानों पर लोकायुक्त ने 19 दिसंबर को छापा मारा था। इसके बाद से वह फरार था। इसके बाद एजेंसियों के उसके दुबई जाने की बात कही। वहीं, रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया। हालांकि, बाद में उसके 23 दिसंबर को भारत लौट आने की जानकारी भी सामने आई। वह इसके बाद से दिल्ली समेत अलग-अलग शहरों में घूम रहा था। वह अपने परिवार के संपर्क में था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बीच वह भोपाल भी आया, लेकिन एजेंसियां सोती रहीं। सौरभ के वकील राकेश पाराशर ने दावा किया कि सोमवार को सौरभ कोर्ट आया और आवेदन पर हस्ताक्षर किए। इसके बावजूद एजेंसियों को कोई भनक नहीं लगी। ऐसे में अब जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है। 
निश्चित ही जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली कटघरे में  
वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया का कहना है कि इस मामले में निश्चित तौर पर जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें लोकायुक्त, ईडी और आयकर की टीम जांच कर रही है। वहीं, आरोपी भारत में घूम रहा है। वह भोपाल आता है और जांच एजेंसियों को उसका पता ही नहीं चलता है। इससे जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली कटघरे में आती है। हाईप्रोफाइल मामले में तो जांच एजेंसियों की तेजी से कार्यवाही की उम्मीद रहती है।