माघी पूर्णिमा पर डुबकी के साथ पूरा हुआ कल्पवास प्रवास
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- 10 लाख श्रद्धालुओं ने एक माह किया अनुष्ठान
प्रयागराज। तीस दिनों से गंगा किनारे रहकर साधना में जुटे श्रद्धालुओं ने अंतिम स्नान के साथ सारे धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए। पौष पूर्णिमा से गंगा की रेती पर आरंभ हुआ कल्पवास बुधवार को माघी पूर्णिमा की डुबकी के साथ पूर्ण हो गया। तीस दिनों से गंगा किनारे रहकर साधना में जुटे श्रद्धालुओं ने अंतिम स्नान के साथ सारे धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए। शिविर में परिजनों केे साथ भगवान सत्य नारायण की कथा समेत अन्य धार्मिक अनुष्ठान पूरा करके कल्पवास व्रत का पारायण किया। कल्पवासी शिविरों में कथा-पूजन एवं भंडारे का क्रम देर-शाम तक जारी रहा। सेक्टर 19 समेत सेक्टर-छह, सात, आठ, नौ, दस समेत अन्य सेक्टरों में तीर्थ पुरोहितों के शिविरों में दस लाख से अधिक श्रद्धालु कल्पवास के लिए बसाए गए थे। एक माह तक गंगा की रेती ही कल्पवासियों का ठिकाना रही। कठोर नियमों के साथ दिन में तीन बार गंगा स्नान, एक समय भोजन एवं शैय्या त्याग का संकल्प लिया। तीस दिनों से यही दिनचर्या रही। बुधवार को पूर्णिमा स्नान के साथ यह संकल्प पूरा हुआ। दंडी स्वामियों को भोजन कराकर उनसे आशीष लिया। आखिरी में तीर्थ पुरोहित को यथाशक्ति दान-दक्षिणा अर्पित करके कल्पवास अनुष्ठान पूरा किया।
वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ हवन पूजन
कुंभ नगरी के विभिन्न धार्मिक शिविरों में माघी पूर्णिमा पर हवन पूजन की पूर्णाहुति हुई। स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के शिविर में भी यज्ञ की पूर्णाहुति हुई। इसके पश्चात भंडारा हुआ। बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया।
शारदा पीठ एवं पुरी पीठ के शंकराचार्य शिविरों में विधि-विधान से पूजन-अर्चन के साथ यज्ञ में पूर्णाहुति अर्पित की गई। संगम लोअर मार्ग स्थित सतुआ बाबा शिविर में भी बुधवार को विधि-विधान से पूजन-अर्चन के साथ यज्ञ में पूर्णाहुति अर्पित की गई। महामंडलेश्वर संतोष दास समेत इस दौरान हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे।